कभी ऐसा महसूस हुआ है कि सब ठीक होने के बाद भी अंदर बेचैनी रहती है? या फिर बिना वजह गुस्सा, थकान या उदासी घेर लेती है? कई बार इसकी वजह हमारे आस-पास नहीं, बल्कि हमारे भीतर होती है, हमारे सात चक्रों में। ये सातों चक्र हमारे शरीर में मौजूद ऊर्जा के केंद्र हैं, जो सिर से लेकर रीढ़ की हड्डी तक फैले होते हैं। जब ये संतुलित रहते हैं, तो इंसान के भीतर शांति, आत्मविश्वास और पॉजिटिव एनर्जी भरी रहती है। लेकिन जैसे ही इनमें असंतुलन आता है, हमारी सोच, भावनाएं और मानसिक स्थिति सब पर असर पड़ता है।
कभी अचानक डर या बेचैनी महसूस होती है, तो समझिए मूलाधार चक्र गड़बड़ है। अगर मन हमेशा उलझा रहता है या रिश्तों में तनाव बढ़ जाता है, तो अनाहत चक्र यानी दिल वाला चक्र मदद मांग रहा है। और जब दिमाग में लगातार भ्रम, शक या नकारात्मकता रहती है, तो आज्ञा चक्र का संतुलन बिगड़ चुका होता है।
असल में, हमारी मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता सीधा इन चक्रों से जुड़ी होती है। अच्छी बात ये है कि इन्हें संतुलित करना मुश्किल नहीं है। मेडिटेशन, गहरी सांस लेना, योग, सही खान-पान और सकारात्मक सोच से ये धीरे-धीरे हील हो जाते हैं। क्योंकि सच्ची मानसिक सेहत सिर्फ दिमाग की नहीं होती, वो पूरे शरीर की ऊर्जा में बसती है।
अगर आप अंदर से मजबूत, शांत और खुश रहना चाहते हैं, तो अपने सात चक्रों को पहचानिए, समझिए और संतुलित रखिए। तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में आज हम इन्हीं चीज़ों पर बात करेंगे। साथ ही जानेंगे शरीर के सात चक्रों को कैसे जगाएं और 7 चक्र का रहस्य।
सात चक्र और इन्हें जगाने के तरीके (Saat chakra aur inhein jagane ke tareeke)
मूलाधार चक्र
सबसे पहला चक्र है मूलाधार चक्र, जो रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से में होता है। यह हमारी सुरक्षा और आत्मविश्वास का केंद्र है। जब यह कमजोर पड़ता है तो हमें डर, बेचैनी या अस्थिरता महसूस होती है। इसे संतुलित रखने का सबसे आसान तरीका है ग्राउंडिंग, यानी नंगे पैर मिट्टी पर चलना, ध्यान करना और लाल रंग पर ध्यान केंद्रित करना।
स्वाधिष्ठान चक्र
दूसरा है स्वाधिष्ठान चक्र, जो नाभि के ठीक नीचे होता है। यह हमारी भावनाओं और रचनात्मकता से जुड़ा होता है। जब यह बिगड़ता है तो मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन या आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है। इसे बैलेंस करने के लिए खुद को अभिव्यक्त करें, चाहे वो संगीत हो, नृत्य हो या लिखना।
मणिपुर चक्र
तीसरा चक्र है मणिपुर चक्र, जो पेट के ऊपर वाले हिस्से में स्थित है। यही हमारी इच्छाशक्ति और आत्म-सम्मान को नियंत्रित करता है। जब यह कमजोर होता है तो व्यक्ति ‘मैं नहीं कर सकता’, ‘मुझसे नहीं होगा’ वाली सोच में फंस जाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति अक्सर हार मान लेने के कगार पर होता है। इसे ठीक करने के लिए प्राणायाम, सूर्य नमस्कार और सकारात्मक सोच का अभ्यास करें।
अनाहत चक्र
इसके बाद आता है अनाहत चक्र, यानी दिल का चक्र। यह हमारे अंदर प्यार, दया और अपनापन पैदा करता है। जब यह ब्लॉक होता है, तो व्यक्ति भावनात्मक रूप से परेशान हो जाता है या दूसरों पर भरोसा खो देता है। इसे स्थिर रखने के लिए माफ करना सीखें, प्रकृति के साथ समय बिताएं और खुद को प्रेम देना न भूलें।
विशुद्ध चक्र
पांचवां चक्र है विशुद्ध चक्र, जो गले में स्थित होता है। यह संवाद और अभिव्यक्ति का केंद्र है। जब यह संतुलित नहीं होता, तो व्यक्ति अपनी बात कहने से डरता है या उसके मन में हमेशा गलत समझे जाने का डर रहता है। इसे बैलेंस करने के लिए ओम का उच्चारण करें, गाना गाएं और सच्चे मन से बोलना सीखें।
आज्ञा चक्र
छठा है आज्ञा चक्र, जो दोनों भौंहों के बीच होता है। यह हमारी अंतर्ज्ञान शक्ति यानी थर्ड आई से जुड़ा होता है। अगर यह असंतुलित हो जाए तो व्यक्ति ओवरथिंकिंग में फंस जाता है या दिशा खो देता है। ध्यान और अच्छी नींद, दोनों ही इसे बैलेंस करने के बेहतरीन तरीके हैं।
सहस्रार चक्र
आखिरी है सहस्रार चक्र, जो सिर के शीर्ष पर होता है। यह हमें आध्यात्मिकता, शांति और आत्म-ज्ञान से जोड़ता है। जब यह खुला होता है, तो व्यक्ति भीतर से स्थिर और शांत रहता है। इसे संतुलित रखने के लिए ध्यान, मौन और आत्म-स्वीकृति का अभ्यास बेहद असरदार है।
इस आर्टिकल में हमने सात चक्रों के बारे में बात की। साथ ही इनके रहस्यों के बारे में बताने के साथ ही इसको जगाने के तरीकों के बारे में बताया।
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