ओम स्वामी

ओम स्वामी द्वारा लिखित ‘द वेलनेस सेंस’

‘द वेलनेस सेंस’ हमारे मूल स्वभाव से जुड़ने के लिए एक मददगार हैंडबुक है। यह आयुर्वेद और यौगिक ज्ञान के माध्यम से शारीरिक और मानसिक शुद्धीकरण के लिए चरण-दर-चरण तरीके प्रदान करती है।

हम विरोधाभासी समय में जी रहे हैं। हमारे जीवन के एक आरामदायक हिस्से के लिए पैसों की खोज में हम अपने स्वास्थ्य और खुशी को खो रहे हैं। अंततः हम अपने बिगड़े हुए स्वास्थ्य को बचाने के लिए मेहनत से कमाया हुआ सारा धन खर्च कर देते हैं। हम अलग-अलग क्षेत्रों में ग्राहकों के लिए लंबे समय तक कई घंटों तक काम करते हैं। इसके लिए हम काम के दबाव और तनाव के उच्च स्तर को भी सहन कर जाते हैं। हम जितना अधिक अपने जीवन को बनाने पर ध्यान देते हैं उतना ही अधिक हम अपने जीवन को अनदेखा कर देते हैं। कुछ हद तक हम सभी अपनी संपूर्ण भलाई पर ध्यान न देने के लिए दोषी हैं।

ओम स्वामी एक एमबीए स्नातक हैं जो कभी ऑस्ट्रेलिया में मल्टी मिलियन डॉलर टेक कंपनी चलाते थे, लेकिन वे भी दूसरों से अलग नहीं थे। अपने जीवन के अधिकांश समय में वे अस्थमा से पीड़ित रहे। भले ही उनके शरीर को आराम की आवश्यकता थी, लेकिन उनके पास अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए समय ही नहीं था। आखिरकार उन्होंने अपने भौतिकवादी जीवन को त्याग दिया और संन्यासी बनने के लिए हिमालय की ओर चल पड़े। हैरानी की बात यह है कि बर्फ के बीच रहने के बावजूद एक बार भी उन्हें ज़ुकाम नहीं हुआ। वह दिन में केवल एक बार किफायती भोजन करते थे फिर भी उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार हो रहा था। इस जीवनशैली ने उन्हें तीन अद्वितीय विषयों : आयुर्वेद, योग और तंत्र में स्वास्थ्य और कल्याण का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। ओम स्वामी ने अंततः अपनी पुस्तक ‘द वेलनेस सेंस’ में अपने विचार व्यक्त किए।

पुस्तक की शुरुआत इस आधार पर होती है कि पंचभूत – प्रकृति के 5 तत्वों के रूप में माता प्रकृति हम सबके शरीर में ही मौजूद है। वह आगे आयुर्वेद के मूल सिद्धांत तीन दोषों (जीवन बलों) और गुणों (मन की स्थिति) की छानबीन करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आधुनिक चिकित्सा के विपरीत, हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य आयुर्वेद से परस्पर संबंधित है। दोष के संग गुण भी हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। ओम स्वामी अपनी किताब में लिखते हैं, ”हमारे विचार हमारे शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।”

पुस्तक के अंत में रोगों पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह 4 हानिकारक तत्वों विषाक्त पदार्थों, अपच, चीनी और तनाव के बारे में बात करती है। यह हमारे मानसिक रोगों जैसे क्रोध, भय, लालच, ईर्ष्या और घृणा की भी व्याख्या करती है। ओम स्वामी के अनुसार, “मानसिक पीड़ा शारीरिक रोग पैदा करती है तो बदले में शारीरिक रोग भी मन की स्थिति को बिगाड़ते हैं।” अंतत: पुस्तक चरण-दर-चरण आयुर्वेदिक ज्ञान के माध्यम से शारीरिक सुधार और मेंटली डिटॉक्सिफिकेशन के लिए तरीके प्रदान करती है।

पुस्तक दो कारणों से काफी खास है। सबसे पहला यह कि कई आयुर्वेदिक पुस्तकों के विपरीत यह बीमारी के सतही लक्षणों के इलाज के लिए हर्बल उपचार नहीं बताती हैद वेलनेस सेंस हमारे सशक्तिकरण के बारे में है, यह हमारे स्वास्थ्य का सम्पूर्ण नियंत्रण पाने के बारे में है। दूसरा यह पुस्तक किसी संत के अव्यवस्थित पेशों का संकलन नहीं है। ओम स्वामी के विचार और प्रतिबिंब वास्तव में सभी योग्य पेशेवर चिकित्सकों के द्वारा मान्य है। इस प्रकार यह पुस्तक आयुर्वेदिक  और यौगिक ग्रंथों (Compound texts) में पाए जाने वाले प्राचीन ज्ञान को समझने के लिए किसी को भी मज़बूत आधार प्रदान कर सकती है।

मामलों के उदाहरणों (केस स्टडीज़) के साथ लिखी हुई,द वेलनेस सेंस हमारे मूल स्वभाव को समझने में हमारी मदद करने के लिए एक उपयोगी पुस्तक है। यह हमारे मन को हमारे भीतर छुपे एक पूरे ब्रह्मांड से अवगत कराती है, जिससे हमें यह एहसास होता है कि हमारे शरीर की हर एक कोशिका का अपना जीवन है। जानकारी के साथ भरी हुई इस पुस्तक को उन लोगों को पढ़ने की सलाह दी जाती है जो अपने स्वास्थ्य और भलाई की कमान को अपने हाथों में लेना चाहते हैं। ओम स्वामी लिखते हैं, “जितना अधिक हम अपने वास्तविक स्वरूप को समझेंगे, उतने ही हम शांत और स्वस्थ होंगे।”

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