रविंद्रनाथ टैगोर

रविंद्रनाथ टैगोर: इन 3 देशों के राष्ट्रगान के पीछे का प्रतिभाशाली चेहर

टैगोर ने अपनी शानदार और मन मोह लेने वाली कविताओं, लघु कथाओं और उपन्यासों से बंगाली साहित्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। रविंद्रनाथ टैगोर ने 1882 में अपनी पहली बंगाली लघुकथा भिखारिणी लिखी। वहीं, 1913 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

रविंद्रनाथ टैगोर वो शख्स हैं, जिनके बारे में हम बचपन से ही पढ़ते और सुनते आ रहे हैं। उनके लिखे देशभक्ति के गीत ‘जन गण मन’ जब भी कानों में गूंजता है, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन्हें राष्ट्रागान के रचनाकर के अलावा संगीत-साहित्य सम्राट भी कहा जाता है। वो कवि भी थे और कहानीकार, संगीतकार, नाटककार और चित्रकार भी थे। उन्होंने सिर्फ आठ साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी। वहीं, 1877 में 16 साल की उम्र में पहली लघुकथा उन्होंने लिखी, जो 1877 में प्रकाशित हुई थी।

रविंद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव भी कहा जाता है। उनका जन्म 07 मई 1861 को बंगाल के कोलकाता में जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में हुआ था। हर साल रवीन्द्रनाथ टैगोर जयंती की उनके जन्मदिन के दिन मनाई जाती है। उनके पिता देवेंद्रनाथ टैगोर जाने-माने समाज सुधारक थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी। तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाओं के बारे में बताएंगे। साथ ही किन तीन देशों के राष्ट्रागान में उनका योगदान है, इसके बारे में बताएंगे।

लंदन गए पढ़ाई करने, लेकिन डिग्री नहीं ली (London gaye padhai karne, lekin degree nahi li)

कोलकाता में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद रविंद्र नाथ टैगोर कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन गए। वो बैरिस्टर बनना चाहते थे, लेकिन वहां से बिना डिग्री लिए ही लौट गए। 20 साल की उम्र में ही उनकी ख्याति चारों ओर फैलने लगी थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘जीवन स्मृति’ में लिखा है कि जब रमेश चंद्र दत्त की सबसे बड़ी बेटी की शादी समारोह में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय पहुंचे, तो रमेद्र चंद्र ने उन्हें माला पहना दी। उसी समय जब मैं वहां पहुंच गया, तो बंकिम चंद्र ने वो माला निकाल कर मेरे गले में ये कहते हुए पहना दी कि मैं इसका ज़्यादा हकदार हूं।

रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं (Rabindranath Tagore ki pramukh rachnayein)

टैगोर ने अपनी शानदार और मन मोह लेने वाली कविताओं, लघु कथाओं और उपन्यासों से बंगाली साहित्य को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। रविंद्रनाथ टैगोर ने 1882 में अपनी पहली बंगाली लघुकथा भिखारिणी लिखी। वहीं, 1913 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें गीतांजलि के लिए मिला था। गीतांजलि बंगाली गीतों का संग्रह है। ये गीत इतने प्रसिद्ध हुए कि इनके अंग्रेजी अनुवाद किए गए, जिन्हें विश्वस्तर पर सराहा गया। इसके लिए उन्हें अंग्रेज सरकार की ओर से नाइटहुड की उपाधि भी दी गई थी। लेकिन, इस उपाधि को उन्होंने 1919 में जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद लौटा दिया था।

इसके अलावा रवींद्र ने घर और दुनिया, पोस्ट मास्टर, चोखेर बाली, गोरा, इंतज़ार में, पोस्ट ऑफिस, दोस्त, कागज़ की नावें जैसी कई रचनाएं कीं। उनकी हर एक रचना के चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं। अगर आपको पुस्तकें पढ़ना पसंद हैं तो रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं आज भी आपको आसानी से अपना दीवाना बना सकती हैं।

डब्लूबी यीट्स ने लिखा था गीतांजलि का प्रकाशन (WB yeats ne likha tha Geetanjali ka prakashan)

रविंद्रनाथ टैगोर ने 1907 से लेकर 1910 के बीच गीतांजलि की कविताएं लिखी थी। इन कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद उन्होंने सियालदह में पद्मा नदी के किनारे बैठ कर किया था। जब वो 1912 में इंग्लैंड गए, तो वहां भी कविताओं का अंगेजी अनुवाद ले गए। वहां उन्होंने इसको सबसे पहले चित्रकार विलियम रोथेनस्टीन को दी। रोथेनस्टीन ने उसे मशहूर कवि डब्लूडी यीट्स को दे दी। उन्होंने उन कविताओं को अपने कवि दोस्तों के पास पढ़ा। वहीं फैसला हुआ कि इन कविताओं को इंडियन सोसाइटी ऑफ लंदन द्वारा छपवाया जाएगा। यीट्स ने इन कविताओं का प्रकाशन लिखा। इस तरह से 1912 में गीतांजलि सबसे पहले लंदन में प्रकाशित हुई। इसलिए रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं कई हैं, मगर उन सब में से गीतांजलि का नाम सबसे पहले लिया जाता है।

भारतीय राष्ट्रगान के लेखक हैं रवींद्रनाथ टैगोर (Bharatiya Rashtragan ke lekhak hain Ravindranath Tagore)

भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ रविंद्रनाथ टैगोर के गीत भाग्यो बिधाता से ली गई है। इसके अलावा बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी उन्हीं की रचना है। यहीं नहीं बल्कि अपने अद्भुत मंदिरों के लिए मशहूर श्रीलंका का नेशनल एंथम ‘श्रीलंका मथा’ भी टैगोर की रचना से ही प्रेरित है। श्रीलंका मथा लिखने वाले, आनंद समरकून शांति निकेतन में रविंद्र नाथ टैगोर के पास रहे थे। आनंद समरकून ने बताया था कि वे टैगोर स्कूल ऑफ पॉएट्री से बहुत ज़्यादा प्रभावित थे। तो देखा जाए तो कुल मिलाकर 3 देशों के राष्ट्रगान के पीछे का चेहरा एक मात्र रवींद्रनाथ टैगोर हैं।

टैगोर की रचनाओं पर बन चुकी है फिल्म (Tagore ki rachnaon per ban chuki hai film)

रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं इस कदर मशहूर थीं कि उनपर फिल्में भी बनाईं गईं हैं। अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली भारत की फिल्म दो बीघा जमीन की कहानी रविंद्रनाथ टैगोर की रचना ‘दुई बीघा जोमी’ पर आधारित थी। इस फिल्म को बिमल रॉय ने बनाया था। वहीं, उनकी लघु कहानी पर रितुपर्णो घोष ने 2003 में ‘चोखेर बाली’ फिल्म बनाई। उनकी कहानी काबुलीवाला पर 1961 में बिमल रॉय ने ‘काबुलीवाला’ फिल्म बनाई थी। इसके अलावा उनकी अन्य रचनाओं पर भी कई फिल्में बन चुकी हैं।

रविंद्रनाथ टैगोर ने की थी 2230 गीतों की रचना (Rabindranath Tagore ne ki thi 2230 geeton ki rachna)

रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं सिर्फ कहानियों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि रविंद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन काल में करीब 2230 गीतों की भी रचना की। इन सभी गीतों में उन्होंने संगीत भी दिया, जिसे ‘रविंद्र संगीत’ के नाम से जाना जाता है। इन गीतों का आज भी काफी लोग पसंद करते हैं। उन्होंने 1901 में शांतिनिकेतन में एक स्कूल की स्थापना की थी, जहां पश्चिमी परंपरा और भारतीय परंपराओं को मिलाने की उन्होंने कोशिश की। बाद में यह स्कूल 1921 में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय बन गया।

इस आर्टिकल में आपने जाना रविंद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं कौन-सी हैं और किस तरह वो एक विख्यात लेखक बनें। यह आर्टिकल पढ़कर आपको कैसा लगा, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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