मशहूर लेखक आर के नारायण की लेखनी और उनके जीवन की एक झलक

मशहूर लेखक आर के नारायण की लेखनी और उनके जीवन की एक झलक

आर के नारायण ने अपनी लेखनी से पूरी दुनिया में भारत का धाक जमाया और लगभग हर भाषा के लेखकों और आलोचकों को प्रभावित किया। उनकी लेखनी की सबसे खास बात यह थी कि वो छोटे शहरों की कहानियां लिखा करते थे और वहीं के विषयवस्तु को बड़े पर्दे पर रखने का काम करते थे।

साहित्य में थोड़ी-सी रुचि रखने और पढ़ने-लिखने वाला कोई भी ऐसा शख्स नहीं होगा, जिसने अपने जीवन में कभी न कभी आर के नारायण का नाम नहीं सुना होगा। आर के नारायण वैसे तो अंग्रेजी के लेखक थे, लेकिन उनकी लेखनी को पढ़ने वाले हर भाषा के लोग थे। उनका नाम भारत के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में आता है। आर के नारायण का पूरा नाम रासीपूरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी था।

आर के नारायण ने अपनी लेखनी से पूरी दुनिया में भारत का धाक जमाया और लगभग हर भाषा के लेखकों और आलोचकों को प्रभावित किया। उनकी लेखनी की सबसे खास बात यह थी कि वो छोटे शहरों की कहानियां लिखा करते थे और वहीं के विषयवस्तु को बड़े पर्दे पर रखने का काम करते थे।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको आर के नारायण और उनकी लेखनी और जीवन यात्रा के बारे में बताते हैं।

मालगुडी डेज ने दिलाई सबसे ज़्यादा पहचान (Malgudi Days ne dilayi sabse zyada pahchan) 

आर के नारायण का जन्म 10 अक्टूबर 1906 को चेन्नई में हुआ थी। उस समय चेन्नई को मद्रास कहा जाता था। वहीं, उनका निधन 94 साल की उम्र में 13 मई 2001 को हुआ। कहा जाता है कि उनकी कहानियों से दोस्ती बचपन में ही हो गई थी। उनको दादी ने पाला था, जो हर दिन उन्हें कहानियां सुनाती थी। यहीं से उनकी साहित्य में रूचि पैदा हो गई। उनकी जीवन की कहानी सभी को प्रेरणा से भर देती है। वे ग्रेजुएशन में उसी विषय में फेल हुए, जिसमें उन्होंने लिखना शुरू किया और पूरी दुनिया में नाम कमाया।

कहा जाता है कि दुरदर्शन ने जब उनकी कहानी लेकर मालगुडी डेज नामक सीरियल बनाया, तो उसकी रचना की पहुंच भारत के सभी घरों तक हो गई थी। यह सीरियल हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में बनाई गई थी। मालगुडी डेज (Malgudi days in hindi) में 39 एपिसोड थे, जो उस समय की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर धारावाहिक था। 

आर के नारायण की पहली किताब और उससे जुड़ी परेशानी (RK Narayan ki pahli kitab aur usse judi pareshani) 

आर के नारायण का पहला उपन्यास ‘स्वामी एंड फ्रेंडस’ था। यह उपन्यास 1935 में बाज़ार में आया और आते ही पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया। इसमें उन्होंने स्कूली लड़कों के ग्रुप की कहानी लिखी है, जो कि काफी रोमांचक है। हालांकि, इस उपन्यास का प्रकाशन करवाने के लिए उन्हें काफी भटकना पड़ा था। इससे परेशान होकर उन्होंने अपने दोस्त कहा था कि इसे टेम्स नदी में फेंक दो। लेकिन, उनके दोस्त ने इसके पांडुलिपियों को अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक ग्राहम ग्रीन तक पहुंचा दिया। उन्होंने जब पढ़ा, तो उन्हें काफी पसंद आई। इसके बाद उपन्यास का प्रकाशन हुआ और रातों-रात लोकप्रिय हो गया। कहते भी हैं कि मेहनत का फल मीठा होता है। आज भी इस उपन्यास के दीवाने आपको मिल ही जाएंगे।

समाज के बदलाव का आइना है मालगुडी कस्बा (Samaj ke badlab ka aaina hai Malgudi Days) 

वैसे तो आर के नारायण ने बहुत सारी कहानियों और उपन्यास लिखे, लेकिन सभी के केंद्र में मालगुडी कस्बा ही रहा। उन्होंने यहां का इस तरह से वर्णन किया कि लोगों के दिलो-दिमाग में मालगुडी कस्बा बस गया। लोग इस कस्बे के बारे में जानने के लिए लालायित हो गए। और धीरे-धीरे यह कस्बा सामाजिक बदलाव का आईना बन गया। इस कस्बे को लेकर लोग ऐसे दीवाने हो गए कि शिकागो यूनिवर्सिटी की टीम इसको ढूंढने के लिए पहुंच गई, लेकिन यह कस्बा नहीं मिला। बाद में आर के नारायण ने खुद बताया कि यह वास्तविक कस्बा नहीं है बल्कि ये सिर्फ कल्पना है। इस कहानी को शिकागो यूनिवर्सिटी ने साहित्यिक एटलस में जगह दी।

गाइड को लेकर मिला था साहित्य अकादमी (Guide ko mila tha Sahitya Akademi) 

आर के नारायण ने बहुत सारी कहानियों और उपन्यास लिखे। इसमें से गाइड उनका प्रचलित उपन्यास रहा। इस उपन्यास को लेकर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। साथ ही इसकी कहानी पर देवानंद और वहीदा रहमान फिल्म गाइड भी बनी, जो काफी प्रचलित रही। इस फिल्म में अंधविश्वास और विवाहेत्तर संबंध को भी दिखाया गया। गाइड के गाने आज भी लोग गुनगुनाते मिल जाएंगे। 

पद्मभूषण और पद्मविभूषण से हुए सम्मानित (Padma Bhushan or Padma Vibhushan se huye sammanit)

आर के नारायण को उनकी कृति के लिए भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण और पद्मविभूषण से भी नवाजा गया। साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए साल 1989 में उन्हें राज्यसभा का मानद सदस्य भी बनाया गया। उन्हें दिल्ल विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया। कहते हैं कि उन्हें साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए भी नॉमिनेट किया गया, लेकिन नहीं मिला। 

आर के नारायण की प्रमुख कृति (RK Narayan ki pramukh Kriti) 

उनकी प्रमुख कृतियों में, द इंग्लिश टीचर, वेटिंग फॉर द महात्मा, द गाइड, द मैन ईटर ऑफ मालगुडी, द वेंडर ऑफ स्वीट्स, अ टाइगर फॉर मालगुडी शामिल हैं। उन्होंने लॉली रोड, अ हॉर्स एंड गोट्स एंड अदर स्टोरीज, अंडर द बैनियन ट्री एंड अदर स्टोरीज़ भी लिखी हैं। उनकी लिखी हर कहानी पढ़ने वाले को अपने वश में कर लेती है।

इस आर्टिकल में हमने आपको आर के नारायण के जीवन और उनकी लेखनी के बारे में बताया। यह पढ़कर आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। इसी तरह के और भी ज्ञानवर्द्धक जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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