महाभारत का वर्णन

देवदत्त पटनायक द्वारा लिखित ‘जया : एन इलस्ट्रेटेड रीटेलिंग ऑफ महाभारत’

इस पुन:कथन का उद्देश्य पाठकों को महाकाव्य की मुख्य घटनाओं के माध्यम से यह बताना है कि किन कारणों से कथा वाचन किया गया है, कथा वाचन कैसे किया गया है, साथ ही इसका उद्देश्य इसमें वर्णित पात्रों के जीवन चरित्र की यात्रा करवाना है।

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन,

मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि”॥

यह 80 के दशक में अनेक रविवारों की सुबह भारतभर में लाखों लोगों द्वारा सुना जाने वाला श्लोक है, क्योंकि वे भारतीय टेलीविजन पर भारत की सबसे लोकप्रिय महाकाव्य श्रृंखला (Popular epic series) में से एक महाभारत को देखने के लिए समय निकाल कर अपने टीवी सेट के सामने बैठ जाते थे। इस महाकाव्य के बारे में लिखी गई अनगिनत पुस्तकों में हर लेखक ने अपना-अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया है। ‘जया : एन इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग ऑफ महाभारत’ देवदत्त पटनायक द्वारा लिखी गई एक उत्कृष्ट कृति है।

महाभारत की कथा (Mahabharat ki katha) मूल रूप से महर्षि वेदव्यास द्वारा बताई गई एक मौखिक कहानी थी और बाद में यह सदियों तक लिखी गई, अंतत: इसने आधुनिक आकार ग्रहण किया। पटनायक द्वारा की गई इस पुनर्व्याख्या का उद्देश्य पाठकों को महाभारत की कथा की मुख्य घटनाओं के माध्यम से यह बताना है कि कथा वाचन का वर्णन कैसे किया जाता है साथ ही इसका उद्देश्य इसमें वर्णित पात्रों के जीवन चरित्र की यात्रा करवाना है।

पटनायक ने महान महाकाव्य की प्रमुख घटनाओं की व्याख्या महिमा मंडित करने या आलोचना करने के इरादे से नहीं, बल्कि एक गहरी समझ के साथ की है जो विभिन्न मिथकों को तोड़ती है और महाभारत की कथा की एक उचित समालोचना करती है। वे विशेषज्ञता के साथ पौराणिक कथा के अनुसार ‘धर्म’ की अवधारणा, अर्जुन को कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश पर आधारित प्रमुख सिद्धांतों को एक सूत्र में पिरोते हैं।

इस प्रक्रिया में लेखक ने पुस्तक में अपनी सटीक समझ के साथ बताया है कि किस प्रकार, आधुनिक हिंदू आदर्शों ने आकार लिया।

पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि किस प्रकार से हमारी राजनीति ने सदियों से इस प्राचीनतम कहानी को अपने संदर्भों और स्थानीय परंपराओं के साथ आत्मसात किया है। ऐसा करके उन्होंने जाति, पंथ या लिंग से ऊपर उठकर अपने पाठकों को एक अलग परिप्रेक्ष्य और प्रेरणा दी है। पटनायक इस पुनर्व्याख्या में अपने चित्रों को शामिल करके पुस्तक को और भी अधिक शानदार और आत्मसंतुष्टि के योग्य बनाते हैं।

‘जया’ से जो मैंने ग्रहण किया वह यह नहीं है कि महाभारत का युद्ध कितना भव्य था, कितनी वीभत्सता से लड़ा गया, कौन जीता, कौन हारा और यह भी नहीं कि इसमें आधुनिक मानव द्वारा आविष्कृत किए जाने से भी हजारों साल पहले एक अत्यंत उन्नत तकनीक का वर्णन किया गया है। पुस्तक से मेरी सीख यह है कि महाभारत की कथा को युद्ध की निरर्थकता के एक गंभीर संकेत के रूप में लिखा गया है, कैसे हम सब अंततः कारण और प्रभाव के पवित्र धागे से बंधे हुए हैं और किस प्रकार हममें से अत्यंत शक्ति संपन्न लोग (इस पुस्तक में, स्वयं भगवान भी) ‘धर्म’ के चश्में से कृत्यों के एकमात्र मानक पर आंके जाते हैं।

पटनायक ने अपनी पुस्तक में महाभारत की कथा के सभी यहां तक की विवाद की संभावना वाले संस्करणों को भी शामिल करते हुए सभी लोकप्रिय विचारों को रद्द कर दिया है। अपनी इस कृति में उन्होने वास्तव में पूरे देश के लिए महाभारत की कथा की एक पुनर्व्याख्या की है– जैसा की वास्तविक महाकाव्य का उद्देश्य था।

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