अदिति ने जब विन्सेंट वैन गो की ‘द स्टारी नाइट’ की रेप्लिका (कृत्रिम कलाकृति) की बगल में बैठे व्यक्ति को देखा तो वह उसे परिचित सा लगा। रेस्तरां (Restaurant) में एक व्यस्त शाम को अपने विचारों में ज्यादा गहराई से बिताने की बजाय अदिति उसका आर्डर लेने चली गई। उसे एक हैमबर्गर और एक ग्लास लेमोनेड (नींबू पानी) चाहिए था। उसका आर्डर लिखते ही उसने कोशिश की कि वह उस व्यक्ति के दाहिने हाथ के घाव के निशान या उसकी बाईं कलाई के लाल धब्बों को न घूरे। उसे करीब से देखने पर अब अदिति को यकीन हो गया था कि उसने उसे कहीं देखा है, लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था कि कहां देखा है।
40 मिनट के बाद वह उस अजनबी के पास बिल लेकर गई। उसने अपना बिल चुकाया, अच्छी खासी टिप दी और खांसते हुए बोला, ‘थैंक यू अदिति’। इसके बाद वह वहां से चला गया।
अदिति स्तब्ध रह गई। वह सोचती रही कि वह अजनबी उसका नाम कैसे जानता है। तभी उसे याद आया। अपनी कार का एक्सीडेंट! उसने उसे उसकी बर्बाद हो चुकी कार में आग लगने से ठीक पहले निकाल लिया था। यह बात याद आते ही उसने उसका पीछा करने की कोशिश की, लेकिन वह जा चुका था।
जब अदिति वापस आई तो उसे उसकी मेज़ पर एक नोट मिला। इसमें लिखा था:
प्रिय अदिति,
तुम्हारे एक्सीडेंट (Accident) वाली रात मैं एक बैंक लूटने जा रहा था। लेकिन जब मैंने तुम्हें कार से बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया, तो मुझे एहसास हुआ कि वास्तव में जीवन कितना नाजुक होता है। हम इसे किसी भी चीज़ के लिए जोखिम में नहीं डाल सकते। आज मैं एक चित्रकार (Painter) हूं। मेरी ज़िंदगी गुलजार है और एक ईमानदार जीवन जी रहा हूं। थैंक्स फॉर सेविंग मी। मैं तुम्हें हमेशा अपनी प्रार्थनाओं में याद रखूंगा।
अदिति अभिभूत थी। सच्चाई तो यह है कि हादसे (Accident) की रात अदिति शराब के नशे में गाड़ी चला रही थी। इससे उसका जजमेंट प्रभावित हुआ और उसका संतुलन बिगड़ गया था। इसी वजह से उसकी कार अनियंत्रित हो गई थी। कुछ घंटों के बाद जब उसे होश आया, तो डॉक्टरों ने बताया कि वह सही वक्त पर अस्पताल पहुंचाई गई थी। वह बहुत भाग्यशाली थी कि वह जीवित बच गई थी।
अदिति लंबे समय से अपने सेवियर (बचाने वाले) की तलाश कर रही थी। उसने न केवल उसे अस्पताल पहुंचाया था, बल्कि उसे एक महत्वपूर्ण सबक भी सिखाया था कि लाइफ इज ए ब्यूटीफुल गिफ्ट (ज़िंदगी गुलजार है), जो बेहद कीमती है और उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस एप्पीफेनी (प्रभुप्रकाश) में ही अदिति ने अपने जीवन को सही दिशा देने का फैसला कर लिया था। तीन महीने बाद उसने पूरी तरह शराब छोड़ दी थी। तब से वह जिम्मेदारी और कृतज्ञता भरा जीवन जी रही थी।
अदिति इस बात को जानकार हैरान थी कि कैसे अपनी बर्बादी के रास्ते पर चल रहे दो अजनबियों ने एक-दूसरे को बचाया था। वह यह तो नहीं बता सकती थी कि यह बात महज़ संयोग था या कुछ और लेकिन जो कुछ भी था उसकी समझ से बाहर था। इसे अपनी समझ से बाहर की चीज़ मानते हुए अदिति ने नोट को अपने हाथों में कसकर पकड़ा। फिर अपनी आंखें बंद कर ली और कृतज्ञता भरे मन से उसके लिए एक मौन प्रार्थना की। इसके बाद वह अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कुराहट लिए काम में व्यस्त हो गई।