जिय्योन भले ही एक बच्चा था, लेकिन उसकी कल्पना शक्ति का कोई सानी न था। उसकी उम्र के बच्चे जहां लुका-छिपी या टैग जैसे खेल खेलना पसंद करते थे, वही युवा जिय्योन को अपने पिता की दूरबीन के ज़रिए आकाश को देखने का उसे एक बेशकिमती खज़ाना ही हाथ लग गया था। उसे आकाश में तारों को ढूंढना और अंतरिक्ष की अद्भुत कहानियां (Amazing stories of space) सुनना बेहद पसंद था।
ब्रह्मांड की कई पुरानी कहानियों में लाल ग्रह की कहानी उसकी सबसे पसंदीदा थी। जब उसने पहली बार लाल ग्रह की कहानी सुनी तो उस वक्त वह काफी छोटा था। उसे कुछ अच्छी तरह याद भी नहीं है। उसके पिता उसे बताते थे कि जल्द ही मनुष्य लाल ग्रह पर उतरेंगे और उसे स्वर्ग में बदलेंगे। उसके पिता कहते थे ” आने वाले समय में लाल ग्रह एक दिन हमारा घर हो सकता है।”
इस पर अक्सर जिय्योन अपने पिता से पूछता- “लेकिन हमारे ग्रह पर तो लोग, जानवर और महासागर है, जबकि उस ग्रह पर सिर्फ और सिर्फ धूल ही है। आखिरकार युवा लड़के का दिमाग जिज्ञासु जो था। इसके बावजूद उसके पिता ने उसके सवालों का कभी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। उसकी बातें सुन वह सिर्फ राहत भरी सांस लेते, उसे गले लगाते और कहते, “जब तुम अपना बिस्तर ठीक नहीं करते हो और कूड़ा नहीं फेंकते हो, तभी ऐसा होता है।” जिय्योन को मालूम था कि उसके पिता सच नहीं बोल रहे हैं। वैसे भी रेत से ढके लाल ग्रह से एक बिस्तर का क्या लेना-देना है?
उसके पिता ने उसे जो कुछ भी बताया था, वह पोलर कैप्स के बारे में था। जो कभी बर्फ की मोटी चादरों में ढके हुए थे। हाईटेक रोवर्स को लाल ग्रह की सतह पर नेविगेट करने और वहां के वातावरण का अध्ययन करने के लिए भेजा था। लाल ग्रह मनुष्य के रहने लायक था, लेकिन हमेशा से यह ऐसा नहीं था। उसने अपने दोस्तों से सुना था कि वहां काफी समय पहले एलियंस रहा करते थे। हमारे जैसे जीव की तरह सिर्फ बुद्धिहीन और शांत प्रवत्ति के। लेकिन, वे खुद ही अपने लिए सबसे बड़े दुश्मन बन गए। इसका नतीजा यह हुआ कि वे विलुप्त हो गए।
जिय्योन को अपने दोस्तों पर कभी भरोसा नहीं हुआ। यहां से दूर एक ग्रह के इतिहास की तो बात ही छोड़िए, उनमें से आधे को अंतरिक्ष के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। वह है कि ग्रहों की असली कहानी जानने में दिलचस्पी रखता है, कोई साइंस फिक्शन नहीं।
एक दिन जब घर पर कोई नहीं था तब जिय्योन अपने पिता के स्टडी रूम में पहुंच गया। वह उस पुस्तक की तलाश करने लगा, जिससे उसके पिता कहानियां सुनाया करते थे। पुस्तक की कवर पर काली जिल्द चढ़ी थी और उस पर एक लाल ग्रह बना हुआ था। एक घंटे तक इधर-उधर देखने के बाद आखिरकार उसे किताब मिल ही गई।
उसने अपनी बड़ी-बड़ी और भूरी आंखों से इसे देखा। जैसे उसने कल्पना की थी उसी तरह किताब के कवर पर लाल ग्रह बड़े अक्षरों में लिखा हुआ होगा। इसके बजाय उसने ऐसे शब्द देखे जिसे उसने कभी पहले सुना ही नहीं था। पृथ्वी और उसका अंत।