टंकी का नल चालू था। वहीं, उसके नीचे पड़ा टब बैंगनी, गुलाबी और नीले रंगों से पूरी रह भर गया था। उस वक्त पवन गली में मिले एक अवारा कुत्ते को धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों से रगड़कर उसे नहला रहा था। उसने बकायदा कुत्ते का नाम भी रख दिया-जॉली। पवन बीती रात जॉली को होली खेल रहे कुछ शरारती बच्चों से बचाकर उसे अपने घर लाया था।
ज्यों ही पवन उस बेजुबान कुत्ते को तौलियों से उसके गीले शरीर को सूखा रहा था, उसी क्षण उसका ध्यान उस स्थिति में पहुंच गया, जब जॉली गहरे गड्ढे में डर से कांप रही थी और चुपचाप थी। जॉली उस वक्त नाली में पड़े-पड़े कांप रही थी। उसकी पूरी बॉडी होली के रंग से रंगी हुई थी। पवन को मालूम था कि वह इस बेजुबान को ऐसी हालत में छोड़ कर नहीं जा सकता। ऐसे में वह इस निरीह जानवर को अपनी गोद में उठाकर अपने घर लाया। उसे खाना खिलाया और उसकी अच्छी तरह सफाई की।
जॉली की भौंकने की आवाज़ ने उसे फिर अपने वर्तमान हालात में पहुंचा दिया। गली में रंगों के चलते हुल्लड़ मचा था। लोग अभी भी होली के उत्साह में पूरी तरह डूबे हुए थे। होली की मस्ती के बीच इन मासूम जानवरों की पीड़ा और लोगों के व्यवहार को देखकर पवन काफी दुखी था। ना जाने लोग इन ऊटपटांग कामों में खुद को क्यों व्यस्त रखते हैं? होली रंगों और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटने का पर्व है। लेकिन, उत्सव मनाने के चक्कर में इतने लापरवाह भी हम नहीं बन सकते हैं। उस वक्त पवन के विचार उसे एक दूसरी दिशा की ओर लेकर जा रहे थे। वह मन-ही-मन सोच रहा था कि अगर उसे कोई बदलाव करने का मौका मिलेगा, तो वह क्या करना चाहेगा। उसे अब भली-भांति मालूम था कि उसे क्या बदलाव करना है और इसकी शुरुआत कहां से करनी है।
आनन-फानन में पवन ने अपने कुछ दोस्तों को फोन घुमाया। अगले ही दिन वे सभी मिलने और जानवरों के प्रति संवेदनशीलता अपनाने और लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए प्लान बनाने पर राजी हो गए।
ज्यों ही पवन अपने घर में आया, तो जॉली उसे देखकर अपनी पूंछ हिलाकर प्यार जताने लगी। उस दौरान उसे सच्चाई का पता चला कि ये जानवर कितने प्यारे हैं। किसी बदलाव के लिए बड़ी शुरुआत की ज़रूरत नहीं है। यह चुनिंदा लोगों की छोटी पहल से भी शुरू हो सकता है। इसके लिए कुछ लोगों का साथ चाहिए, जिनमें कुछ करने का जोश और जुनून हो।