सीमा, अनीता के घर में काम करती थी। एक दिन सुबह, अनीता ने उसके हाथ में एक प्लास्टिक का डिब्बा पकड़ाते हुए कहा, “ये ले पहले अपने बच्चों को मिठाई दे आ। वैसे भी यहां फ्रिज में पड़ी-पड़ी खराब हो रही है। देशी घी की नहीं है ना, इसलिए किसी ने नहीं खाई… मैंने सोचा तेरे बच्चे खा लेंगे।”
सीमा ने खुशी-खुशी डिब्बा लिया और अपनी मालकिन को धन्यवाद कहकर अपने बच्चों को मिठाई देने जाने लगी। तभी पीछे से अनिता ने कहा “सुन डिब्बा भी तू ही रख लेना। मेरे किसी काम का नहीं।” अनीता की बात सुनकर, सीमा चुपचाप डब्बे को साड़ी के पल्लू से ढककर, अपने घर ले गयी।
सीमा मिठाई लेकर घर पहुंची तो उसे देखकर उसके दोनों बच्चे बुलबुल और अनुज बहुत खुश हुए। सीमा गरीब थी। उसका पति नहीं था। जिसकी वजह से घर चलाने की सारी ज़िम्मेदारी उसी पर थी। घर के खर्च के साथ-साथ सीमा बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही थी।
इतने खर्चों के बाद बच्चों के लिए उनकी मनपसंद मिठाईयां खरीदना, उससे संभव नहीं हो पाता था। इसलिए जब कभी भी काम करने वाले घरों से कुछ भी खाने पीने का सामान मिलता, वो उसे अपने बच्चों के लिए ले आती थी।
और आज तो उसे डब्बा भर के मिठाई मिली थी। बच्चों को मिठाई देकर सीमा वापस काम पर आ गई। बुलबुल और अनुज ने सारी मिठाई खा ली और खाली डब्बे को देखने लगे।
अनुज ने कहा, “मम्मी की मालकिन कितनी अच्छी है ना… उन्होनें हमारे लिए कितनी सारी मिठाई भेजी।” इसपर बुलबुल ने भी उसका साथ दिया और दोनों अनीता की तारीफ करने लगे।
अनुज को आइडिया आया कि, क्यों ना अनीता आंटी को थैंक्यू कहकर, उनके डब्बे को वापस लौटाने चलें?
इसपर बुलबुल ने कहा, “अरे बुद्धू! मम्मी कहती हैं, किसी को खाली डब्बा नहीं लौटाते।” और दोनों इस बात पर उदास हो गये कि डब्बे में भरकर देने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। थोड़ा सोचने पर उन्हें एक आइडिया आया।
बच्चे बचपन से ही अपनी-अपनी गुल्लक में एक रूपया डालते थे। उन्होंने अपनी गुल्लक तोड़ कर उसमें से पैसे निकाले और बाज़ार की सबसे बड़ी दुकान पर से थोड़ी-सी मिठाई खरीद कर डब्बे में भर दी। फिर दोनों अनीता की बिल्डिंग की तरफ चल दिए।
अनीता के दरवाज़े पर पहुंचते ही अनुज के पेट में तेज़ दर्द हुआ और वो बेहोश हो गया। सीमा ने अनुज को घर के अंदर ज़मीन पर लिटा दिया। बहुत देर तक अनुज को होश नहीं आया। इसलिए अनीता को डॉक्टर बुलाना पड़ा। डाक्टर ने कहा “अनुज को फूड पॉइजनिंग हुई है। उसने कोई खराब या बासी चीज़ खा ली है।” इसपर बुलबुल ने बताया कि अनुज ने तो बस अनिता आंटी की दी हुई मिठाई खाई है।
तभी सीमा ने बुलबुल को डांटकर चुप कराया और पूछा, “तुम दोनों यहां आए क्यों थे?”
बुलबुल ने बताया कि वो लोग अनिता को मिठाई के लिए थैंक्यू कहने आए थे। फिर बुलबुल ने अनिता के हाथ में वही डब्बा पकड़ा दिया और कहा, “थैक्यू आंटी… मिठाई आपके लिए है, हमने अपनी गुल्लक तोड़ कर खरीदी है। खाइएगा ज़रूर।”
बुलबुल की बात सुनकर अनिता अपने किए पर शर्मिंदगी महसूस करने लगी और आगे से ऐसा कभी न करने की कसम खा ली।