दुनिया जब नववर्ष के स्वागत की तैयारी में जुटी थी, उस वक्त देव अपनी ‘कैब’ शहर के भीड़भाड़ भरे रास्तों पर दौड़ा रहा था। वह कुछ और सोच ही नहीं सकता था। कोविड 19 (Covid 19) की वजह से अपनी पत्नी को खोने के बाद देव अपना अधिकतर वक्त काम में ही गुजारता था। वह दिन-रात कैब चलाता, मानो कुछ हुआ ही नहीं था। हालांकि भीतर से वह दुखी था। वह मुस्कुराना भूल चुका था। वह यह भी भुला बैठा था कि आखिर खुश कैसे रहा जाता है।
वह अपने ही विचारों में गुम था कि एक व्यक्ति ने उसे कहीं जाने के लिए आवाज़ लगाकर रोका। वह अच्छे कपड़े पहने हुए था और उसके हाथों में कुछ तोहफे भी दिखाई दे रहे थे। देव ने सामान रखने में उसकी सहायता कर यात्रा शुरू कर दी। उसे काफी दूर तक जाना था। यात्रा की शुरुआत हुई ही थी कि कुछ देर बाद सहयात्री ने देव से बातचीत शुरू कर दी। उसने उसे अपना नाम और काम बता दिया। रोहित एक खुशमिजाज़ दिल (Happy heart) जैसी शख्सियत का मालिक था। कुछ वक्त के बाद देव खुद को नहीं रोक सका और उसने रोहित से पूछ ही लिया कि क्या वह इस शहर में नया है या फिर किसी से मिलने जा रहा है। उत्साह से लबरेज रोहित ने कहा, ‘मैं दो वर्ष तक कनाडा में था। वहां से लंबे समय बाद घर लौटना अच्छा लग रहा है। सबसे अच्छी बात यह है कि मेरे घर वालों को पता ही नहीं है कि मैं लौट रहा हूं”।
देव ने कहा, “लगता है कि आपके पास एक बड़ा और प्यार करने वाला परिवार है।” रोहित ने तपाक से कहा, “जी। काफी बड़ा परिवार है। मैं उन्हें कनाडा में काफी याद करता था।” देव ने मन ही मन सोचा, कितना खुशनसीब व खुशमिजाज़ दिल है यह व्यक्ति। जब वेअपने गंतव्य पर पहुंचे तो रोहित ने कैब से उतरने के बाद देव को अपने साथ कॉफी पीने का न्योता दे दिया। देव जैसे ही कैब से उतरा उसे भीतर से बच्चों के खिलखिलाते हुए बाहर आने की आवाज़ सुनाई दी। रोहित ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा, स्वागत है आपका मेरे प्यारे और सुंदर घर में। वह एक अनाथालय था। देव नि:शब्द खड़ा था। सभी बच्चों के चेहरों पर असीम खुशी की लहर दौड़ रही थी। उनका अपना कोई नहीं था, लेकिन वे अकेले नहीं थे। वे एक दूसरे का सहारा थे। उसी क्षणदेव ने जीवन का एक ऐसा सबक सीखा, जो वह अपनी पूरी ज़िंदगी में नहीं सीख सकता था, वह यह कि खुशी बांटने से बढ़ती है।
लंबे अरसे बाद वह फिर मुस्कुराया।