घर का दरवाज़ा खोलते ही सुनहरी धूप थी। मस्ती करते और शोर करते बच्चे बस से स्कूल जा रहे थे। आसपास की महिलाएं और पुरुष सुबह नींद से जगने के बाद दिनचर्या के काम में व्यस्त थे। कुछ लोग अपनी कार व बाइक की सफाई में लगे थे। कई लोग पालतू जानवरों के साथ पार्क में टहल रहे थे। वहीं, कुछ लोग सुबह-सुबह अपने आसपास के लोगों की चुगली कर रहे थे।
हर दिन की तरह आज की सुबह भी सामान्य थी, लेकिन कीथ के लिए परेशान करने वाला और निराशाजनक दिन की शुरुआत थी। उसे उस सुबह की याद आ गई, जब उसके आसपास लिली भी हुआ करती थी। उसके पास से जैसे ही स्कूल जाते बच्चे गुजरते, वे पूंछ हिलाती थी।
लिली के चले जाने के बाद कीथ के लिए वही सुनहरे पल बहुत कठोर और गहरे दुख से भरे हुए थे। इस खालीपन को भरने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था।
कीथ को घर पर रखे सामान ने फरबॉल की याद दिला दी। घर में जहां-तहां फर फैला हुआ था। सोफे पर लिली का कंबल, दीवार पर पंजे के छोटे-छोटे निशान थे। वहीं, फर्श पर चबाने वाले खिलौने बिखरे हुए थे। जिस घर में वह कभी ऊधम मचाते रहती थी, वह अब शांत है।
अभी भी कीथ उस पल को नहीं भूल पाया। जब उसने लिली को आखिरी बार अस्पताल में बिस्तर पर देखा था। वह उसे निहार रही थी। मानो कह रही हो कि मज़बूत हो जाओ। बिना शर्त प्यार (Love) देकर कीथ को वह एक तरह से आश्वस्त कर रही थी।
कीथ हर चीज़ समझाता था। इसके बाद भी वह लिली को खोने का दर्द भूल नहीं पा रहा था। उसे भूलना कीथ के लिए आसान नहीं थी, क्योंकि लिली ही उसकी दुनिया थी। उसके जाने के बाद उसकी दुनिया उजड़ सी गई।
वह रसोई में गया, तो उसने खिड़की के बाहर अजीब आवाज़ सुनी। सड़क पर एक पप्पी था। कीथ उसके पास गया, तो वह पूंछ हिलाने लगा और खुश होकर पंजा थपथपाया।
कीथ उसे प्यार से पकड़कर घर ले आया। जैसे ही उसे नीचे उतारा, वह लिली के पानी के कटोरे के पास पहुंच गया।
वह दूर चला गया, तो कीथ मुस्कुराने लगा। वह कुछ भी नहीं कर सका। यह छोटा फरबॉल लिली से अलग नहीं था। कीथ ने वही नि:स्वार्थ प्रेम और स्नेह महसूस किया, जैसे लिली के साथ करता था। जब वो चुपचाप उसके बगल में लेटी रहती थी। कीथ ने उस गर्माहट भरे आनंद व आराम को महसूस किया, जो केवल एक पप्पी ही आसानी से प्रदान कर सकता है।