मां और उनकी कहानियां

किटी पार्टी जमी हुई थी। बातों ही बातों में अचानक बच्चों की कहानियां कहने की बात चली, तो मिसेज रावत ने कहा, "भई कहानी-वहानी तो हमें आती नहीं, फिर घर में दादा-दादी किस लिए हैं। इन लोगों से कुछ तो कराना ही चाहिए।”

रविवार का दिन था। यही कोई सुबह के नौ बज रहे थे। कल्पना के बच्चे मोबाइल पर कार्टून देखने में मशगूल थे, वहीं कल्पना घर की साफ-सफाई के बाद किचेन में व्यस्त थी। दरअसल, आज सोसाइटी में रहने वाली कल्पना की कुछ सहेलियां घर आने वाली थीं। काफी दिनों से सभी सहेलियां कल्पना को अपने घर किटी पार्टी करने के लिए बोल रही थीं। यह उसे सबसे उपयुक्त समय भी लगा, क्योंकि उसके पति ऑफिस के काम के सिलसिले में एक सप्ताह के लिए दुबई गए हुए थे और इतवार के कारण बच्चे भी घर पर ही थे। उन्हें भी तैयार करने और स्कूल से लाने की कोई टेंशन नहीं थी। धीरे-धीरे एक के बाद एक कल्पना की सभी सहेलियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। 11 बजे तक लगभग सभी महिलाओं का जमावरा लग गया, तो किटी पार्टी का दौर शुरू हुआ। 

किटी पार्टी जमी हुई थी। बातों ही बातों में अचानक बच्चों की कहानियां कहने की बात चली, तो मिसेज रावत ने कहा, “भई कहानी-वहानी तो हमें आती नहीं, फिर घर में दादा-दादी किस लिए हैं। इन लोगों से कुछ तो कराना ही चाहिए।”

यह सुन कर सभी महिलाएं हंस पड़ीं। तभी पीछे से राधा ने कहा, “कितनी आउटडेटेड बात है यह। आज के ज़माने में भी कहीं कहानी कही जाती है।”

ज़्यादतर महिलाओं के अनुसार बच्चों को कहानी सुनाना सबसे बेकार का काम था। इतने में शहर के जाने-माने और संपन्न घर की बहू शिल्पा मनचंदा बोल पड़ी, “सॉरी, पर एक मां के रूप में हमें यह काम करना ही चाहिए।”

यह बात शिल्पा मनचंदा ने कही थी, इसलिए सभी उसकी बात को ध्यान से सुनने लगीं। कुछ देर के लिए एक चुपी का माहौल बन गया। शिल्पा ने आईपैड निकाल कर एक समाचार दिखाते हुए कहा, “पूरी दुनिया में एक नया ट्रेंड चल रहा है। मांएं रोज़ रात को अपने छोटे बच्चों को एक कहानी सुनाती हैं, वह भी अपनी मातृभाषा में। साइकोलॉजिस्ट का भी कहना है कि बच्चों के साथ इस तरह समय बिताने से आपकी बॉन्डिंग काफी बढ़ती है।”

थोड़ी देर पहले बोरिंग लगने वाली एक्टिविटी करने के लिए सभी तैयार हो गईं। राधा पहले से ही शिल्पा से अभिभूत थी। घर जाते हुए रास्ते में ही उसने तय कर लिया था कि आज रात को वह बेटे अनुभव को कहानी ज़रूर सुनाएगी। डिनर के बाद वह वह बेटे अनुभव के बेडरूम में पहुंची। इस तरह अचानक रात को कमरे में मम्मी को देख कर अनुभव हैरान रह गया। आते ही राधा ने कहा कि आज वह उसे एक कहानी सुनाएगी। अनुभव यह सुन कर खुश हो गया कि बचपन से ही रोने पर उसे चुप कराने के लिए मोबाइल पकड़ाने वाली मम्मी आज उसे कहानी सुनाने आई है।

“एक बड़े फॉरेस्ट में एक टेरापीन एंड एक रैबिट बनी रहता था।” आगे की कहानी याद नहीं आई तो बात बदल दी कि एक ब्लैक कलर के रेवन को एक वेसल मिला। “फिर…” बेटे ने पूछा। फिर उस वेसल में उसका फेस दिखाई दिया और फिर राधा आगे की कहानी भी भूल गई। थोड़ी देर में शेर की कहानी में गधा आ गया और सियार की जगह हिरण को अंगूर खट्टे लगे।

राधा को खुद पर दया और गुस्सा दोनों आया। पर हां, देर तक मोबाइल में सिर खपाने वाला अनुभव उस रात अपनी मम्मी की गोद में सालों बाद गहरी नींद सो गया था।