उड़ान

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डांस को अपना सबकुछ मानने वाली सुधा नेशनल कॉम्पिटीशन के लिए बिल्कुल तैयार थी। मगर एक एक्सीडेंट ने उसे ज़िंदगी के कठिन मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया।

सुधा को हमेशा से नाचने का‌ शौक था। बचपन से ही नाचने में उसकी रूचि देखकर, उसके मम्मी- पापा ने उसका एडमिशन एक मशहूर डांस एकेडमी में करा दिया।

महज़ ग्यारह साल की उम्र में उसने कई डांस फॉर्म सीख लिए और कॉम्पिटीशन में पार्ट लेकर, बहुत सारी ट्रॉफी और सर्टिफिकेट्स भी जमा कर लिए।

सुधा के डांस टीचर ने उसको नेशनल लेवल के एक डांस कॉम्पिटीशन में हिस्सा लेने को कहा। और उसकी ट्रेनिंग भी शुरू करवा दी।

ये सुधा का पहला नेशनल लेवल कॉम्पिटीशन था, जिसके लिए वो बहुत खुश थी। सुधा के कॉम्पिटीशन में अभी दस दिन बाकी थे, और उसके पापा अपनी बेटी की तरक्की सेलिब्रेट करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने दो दिन के लिए बर्फ और पहाड़ों पर घूमने का प्लान बना लिया।

बहुत मनाने के बाद सुधा के डांस टीचर ने भी उसे जाने के लिए हां कह दिया। सुधा जब पहाड़ों पर बर्फ के मज़े ले रही थी, तब अचानक ही उसका पैर फिसल गया और गिरने की वजह से उसके दाहिने पैर की ऐड़ी छिल गई। चोट मामूली सी थी, इसलिए फर्स्ट ऐड करने से खून रुक गया। पूरे दो दिन बर्फ में मस्ती करने के बाद, सुधा वापस आ गई।

उसके अगले दिन जब सुधा डांस प्रैक्टिस कर रही थी, तो उसे ऐड़ी में लगी चोट महसूस होने लगी। डांस करने से दर्द बढ़ रहा था, पर कॉम्पिटीशन में हिस्सा ना ले पाने के डर से सुधा ने किसी को चोट के बारे में नहीं बताया।

कॉम्पिटीशन के बस दो ही दिन बचे थे। डांस करने से बार-बार घाव रगड़ रहा था, जिसकी वजह से सुधा की ऐड़ी में पस पड़ गया था। इससे अनजान सुधा दिन रात दर्द सहकर, डांस प्रैक्टिस करती रहती और कॉम्पिटीशन के ठीक एक दिन पहले सुधा डांस करते हुए बेहोश हो गई।

जब डॉक्टर की नज़र उसके घाव पर पड़ी तब उन्होंने बताया कि, हमें इस हिस्से का ऑपरेशन करके पस निकालना होगा, क्योंकि पस धीरे-धीरे पूरे पैर में फ़ैल रही है। अगर जल्द से जल्द ऑपरेशन नहीं करवाया तो सुधा को अपने पूरे पैर से ही हाथ धोना पड़ेगा। यह सुनकर जैसे सुधा के सारे सपने बिखर गए।

कॉम्पिटीशन वाले दिन ही ऑपरेशन होने की वजह से सुधा हिस्सा नहीं ले पाई। उसका ऑपरेशन हो गया और डाक्टर ने उसे एक महीने आराम करने की सलाह दी।

उस एक महीने ने सुधा को बुरी तरह झकझोर दिया। कॉम्पिटीशन में हिस्सा ना ले पाने का दुख और डांस ना कर पाने‌ के दुख ने उसपर इतना गहरा असर डाला‌ कि, सुधा ने अपने कमरे से बाहर आना तो दूर सबसे हंसना बोलना भी छोड़ दिया।

सुधा के मम्मी-पापा ने सुधा का ये हाल उसके टीचर को बताया। टीचर ने डाक्टर से सलाह ली, और डाक्टर ने उसे फिर से डांस करने की अनुमति दे दी।

टीचर उससे मिलने आए और उन्होंने उसे डांस करने को कहा। सुधा डांस करने के लिए उठी, पर‌ वो ज़्यादातर स्टेप्स भूल चुकी थी और निराश होकर बैठ गई। उसके डांस टीचर ने उससे कहा कि, “स्टेप्स पर ध्यान मत दो और मन में जैसे आए वैसे डांस करो।” उस दिन सुधा ने पूरे दिन डांस किया।

उसका टूटा हुआ आत्मविश्वास धीरे-धीरे वापस आने लगा था। उसके टीचर ने उसे समझाया कि, कभी भी बहुत देर नहीं हुई होती। वो एक कॉम्पीटीशन में ही तो हिस्सा नहीं ले पाई, पर आगे बहुत कुछ है, जिसमें उसे जीतना है।

सुधा ने टीचर की बात मानकर बहुत सारे कॉम्पिटीशन में हिस्सा लिया। पूरे साल प्रैक्टिस करने के बाद, उसने नेशनल लेवल के कॉम्पिटीशन में पहला स्थान प्राप्त किया। उसे समझ आ गया था परेशानी कैसी भी हो, बस हार न मानी जाए तो जीत की शुरुआत हो जाती है।

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