उसने ऊपर की ओर नज़र डाली पर उसे पर्वत की चोटी दिखाई नहीं पड़ी।
पानी की एक बूंद उसके गाल पर गिरी और लुढ़क गई। स्नोफॉल शुरू हो चुका था। यह तूफान (Storm) के आने का संकेत था। उसने अपने पिट्ठू बैग को अच्छी तरह से बांधा और स्नोफॉल की अनदेखी करते हुए विश्व की सबसे ऊंची चोटी की ओर अपनी चढ़ाई जारी रखी।
चोटी के उच्चतम बिंदू पर पहुंचने में उसे 2 घंटे लगे। यहां उसे पर्वत का संगीत सुनाई पड़ रहा था। उसे अपने चेहरे पर ठंडी पर्वतीय पवन के स्पर्श की अनुभूति हो रही थी। इन सबसे उसने जान लिया कि वह अपनी चढ़ाई में सफल हो गई है। पर्वत शिखर पर विजय प्राप्ति के बाद वह वहीं बैठ गई। उसने 5 साल पहले के उस दिन के बारे में सोचा जब एक दुर्घटना में उसकी दोनों आंखे चली गई थीं। वह मुस्कुरा उठी। कौन कहता है कि सपने देखने के लिए आंखों की ज़रूरत होती है।