पढ़ाई सब कुछ नहीं होती, हुनर भी कुछ होता है

अवधेश ने अपनी पत्नी से कहा, “मुझे देर हो रही है। कभी खुद भी कुछ कर लिया करो। घर में बैठे-बैठे हुक्म चलाना आसान है, बाहर जाकर आटे तेल का भाव लोगी तब दुनियादारी समझ आयेगी।”

अवधेश एक प्राइवेट कूरियर सर्विस कंपनी में काम करता था। वैसे तो वो बी.ए पास था, पर हिंदी माध्यम में पढ़ाई करने की वजह से उसे अंग्रेजी भाषा ज़्यादा समझ नहीं आती थी। बावजूद इसके वो हमेशा एक-पढ़ी लिखी सुंदर बीवी के सपने देखा करता था। पर जब उसकी शादी की बारी आई तो उसे सुंदर सुशील पत्नी तो मिली पर पढ़ाई के मामले में अवधेश को समझौता करना पड़ा क्योंकि उसकी पत्नी सरिता सिर्फ पांचवीं तक पढ़ी थी।

एक दिन जब अवधेश काम पर जाने के लिए तैयार हो रहा था, तब सरिता ने उसे राशन लेते आने के लिए कहा। इसपर अवधेश ने अपनी पत्नी से कहा, “मुझे देर हो रही है। कभी खुद भी कुछ कर लिया करो। घर में बैठे-बैठे हुक्म चलाना आसान है, बाहर जाकर आटे तेल का भाव लोगी तब दुनियादारी समझ आयेगी।” उसने बेवजह ही जाने किस बात की भड़ास सरिता पर निकाल दी थी। उसकी बात से सरिता को बहुत ठेस पहुंची।

वहीं पास ही बैठ कर अवधेश की मां उन दोनों की बात सुन रही थीं। उन्होंने अवधेश को डांटते हुए कहा, “तू ज़्यादा मत बोल! बड़ा आया सरिता को दुनियादारी सिखाने वाला। घर पर रहकर घर संभालना भी आसान नहीं होता समझा!”

इसपर अवधेश ने कहा, “होता होगा। पर घर पर बैठ कर पैसे नहीं कमाए जा सकते!” और यह कहकर वो अपने काम पर निकल गया। 

सरिता उस दिन चैन से नहीं बैठ पायी। उसे पूरे दिन अवधेश की बातें सताती रहीं और तभी उसने फैसला किया कि वो अवधेश को कुछ करके दिखाएगी।

कुछ दिन बाद, अवधेश काम से जल्दी घर आ गया। अवधेश की मां ने उससे जल्दी आने की वजह पूछी तो उसने बताया, “मुझे अंग्रेजी नहीं आती। अक्सर कूरियर पर पता अंग्रेजी में लिखा होता है। पता ठीक से पढ़ नहीं पाया तो नौकरी से निकाल दिया गया। अब घर कैसे चलेगा अम्मा?” कहते हुए अवधेश की आंखें भर आईं। सरिता उसके लिए जल्दी से पानी लेकर आई और उसे ग्लास देते हुए बोली, “आप चिंता मत करिए! मैं सब संभाल लूंगी।”

“क्या संभाल लोगी? बी.ए तक पढ़े होने के बावजूद भी जब मुझे नौकरी से निकाल दिया गया तो तुम पांचवीं पास हो, क्या कर लोगी?”

इसपर सरिता ने धीरे से जबाव दिया, “घर संभाल लूंगी।”

उसकी बात को पूरा करते हुए अवधेश की मां बोलीं, “पैसे कमा लेगी।…हर चीज़ पढ़-लिख कर ही नहीं होती अवधेश! हुनर भी कुछ होता है।”

अवधेश को अपनी मां और सरिता की एक भी बात समझ नहीं आ रही थी।

तब सरिता ने उसे बताया कि, उसने आस-पास के दो स्कूलों में बच्चों को लोक गीत और डांस सिखाना शुरू कर दिया है। 

ये सुनकर अवधेश चौंक गया। “पर…तुम्हें ये सब कब आया?”

फिर सरिता ने कहा, “अपने पिता और आपकी मां से सीखा।

मतलब, अपनी जवानी के दिनों में अवधेश की मां को डांस करना पसंद था, पर घर की ज़िम्मेदारियों की वजह से उन्हें कभी प्रोफेशनल तौर पर नाचने का मौका नहीं मिला। और लोक गीत तो सरिता बचपन से ही सुनती और गुनगुनाती आई थी क्योंकि उसके दादाजी महोत्सव और मेलों में लोक गीत के कार्यक्रम किया करते थे। वहीं आसपास के स्कूल अपने बच्चों को भारत की कला और संस्कृति से अवगत कराना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सरिता को इस काम के लिए चुन लिया था।

अवधेश ये सुनकर दंग रह गया। उसे अपनी मां के डांस करने के हुनर के बारे में कुछ भी नहीं पता था। और सरिता को संगीत भी आता है ये जानना भी उसके लिए नया था। उसे अपनी गलती पर अफसोस हुआ कि दो औरतों के इतने पास रहकर भी उसने कभी उनकी पसंद-नापसंद नहीं पूछी। और उल्टा सरिता को कम पढ़ा-लिखा होने की वजह से ऐसी बातें सुना दी थीं। 

अवधेश ने सरिता से माफी मांगी और दोनों को गले लगा लिया।

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