रंग-बिरंगे फूलों के बगीचे के बीच निखिल चलता जा रहा है। मन में प्यार का एहसास लिए, मानो आज तो उससे मुलाकात हो ही जाएगी। “अरे ये क्या! बारिश…” निखिल नींद में बुदबुदाया।
निखिल के मुंह पर पानी छिड़कते हुए मां बोली, “बारिश नहीं, तेरी मां है।” निखिल चादर से मुंह को पोंछते हुए बोला, “क्या मां! थोड़ी देर और सो लेने देती।” कम से कम मेरा सपना तो पूरा हो जाता।”
मां मजाक करते हुए बोली, “सपना बाद में पूरा करना, पहले नहा-धोकर नीचे आ। आज तुझे लड़की वाले देखने आ रहे है।” निखिल झल्लाते हुए बोला, “कितनी बार कहा है, मैं अपनी पसंद की लड़की से शादी करूंगा।” उसकी बात सुनकर मां हंसकर चली गई।
निखिल तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे उतर रहा होता है। तभी एक आहट से वहीं रुक जाता है। सीढ़ियों की ओट से देखता है कि एक अंकल-आंटी के साथ एक लड़की (उनकी बेटी) घर के अंदर आ रही है। हल्की गुलाबी रंग की कुर्ती-सलवार में वह लड़की बेहद खूबसूरत लग रही थी। छोटी-सी नाक, भूरी आंखें और लंबे बाल देखकर मानो निखिल को पहली नज़र का प्यार हो गया हो।
निखिल उल्टे पैर सीढ़ियों से अपने कमरे में भागा और बिस्तर पर बैठ गया। इतने में मां आकर कहती है, “तू अभी तक यहीं बैठा है? चल नीचे, पापा बुला रहे हैं।” निखिल तैयार होकर आहिस्ता से नीचे आता है और अपने पापा के पास आ कर बैठ जाता है। पापा अपने बेटे का बखान करते हुए कहते हैं “अपने कॉलेज का सबसे होनहार बच्चा था मेरा। अब तो हाई कोर्ट में बहुत बड़ा वकील है।” लड़की के पिता मुस्कुराते हुए अपने बेटी का परिचय देते हैं, “हमारी बेटी ने तो होम साइंस में मास्टर्स किया है और इंटीरियर डेकोरेशन इसकी हॉबी है।”
लंबी बातचीत के बाद निखिल की मां कहती है “अरे कब से हम लोग ही बातें कर रहे हैं, थोड़ा बच्चों को भी आपस में घुलने-मिलने का मौका दें।” वो निखिल को लड़की के साथ अपने कमरे में जाने के लिए कहती हैं। लड़की की मां भी उसे निखिल के साथ जाने का इशारा करती है। दोनों धीमे कदमों से कमरे में जाते हैं।
थोड़ी देर तो खामोशी रही, फिर निखिल ने पहल की, “मेरा नाम निखिल है, आपका नाम?” लड़की ने धीरे से कहा, “मुग्धा।” निखिल अपने मन में बोला, “जैसी सूरत, वैसा नाम… इसलिए मैं इतनी देर से मुग्ध हुआ जा रहा हूं।”
निखिल ने कहा, “जी, बहुत सुंदर नाम है। आपके मन में कोई सवाल है, तो आप पूछ सकती हैं।” मुग्धा ने धीमे से कहा, “जी, मैं शादी के बाद जॉब करना चाहती हूं। मैं अपना खुद का इंटीरियर डेकोरेशन फर्म खोलना चाहती हूं।” निखिल की आंखे चमक उठी, उसे लगा कि वह एक स्वावलंबी लड़की से बात कर रहा है। उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “जी बिल्कुल, मैं भी यही चाहता हूं।”
मुग्धा ने पूछा, “आपका कोई सवाल?” निखिल ने कहा, “क्या आप अपनी इंटीरियर डेकोरेशन फर्म का पहला कस्टमर मुझे बनाएंगी?” मुग्धा उसकी बात सुनकर शर्मा जाती है। कुछ देर की बातचीत के बाद दोनों नीचे चले जाते हैं। मुग्धा से उसके माता-पिता ने उसकी राय पूछी तो मुग्धा ने मुस्कुराकर हां में सिर हिला दिया।
निखिल मां को एक तरफ ले जा कर कहता है, “मां… मां… मां… मेरे पसंद की लड़की मुझे मिल ही गई। मां, मुझे मुग्धा से पहली नज़र का प्यार हो गया है।” निखिल यह बात कहते हुए इतना एक्साइटेड हो जाता है कि उसकी आवाज़ हॉल तक चली जाती है। मुग्धा शर्मा जाती है और सब लोग हंसने लगते हैं।