उन दोनों की मुलाकात कोई इत्तेफाक नहीं, जैसे भगवान की रची हुई कोई साजिश थी। ऐसा सिर्फ मुझे ही नहीं लगता ऐसा वहां मौजूद उस हर शख्स को लग रहा था जो उन दोनों को जानता था। जी हां, मैं बात कर रही हूं निलेश और पूजा की।
पूजा मेरी बेस्ट फ्रेंड है और निलेश हैं उसके एक्स हसबैंड। पूजा और निलेश की चार साल पहले अरेंज मैरिज हुई थी। नया रिश्ता, अंजान लोग, नई जिंदगी की शुरुआत और अजनबी से हमसफर बनने तक का सफर, पूजा और निलेश ने साथ तय किया। मगर उनके प्यार को और भी मजबूत होने से पहले ही उनकी खुशियों को जैसे किसी की नज़र लग गई थी।
पूजा पहली दफा प्रेगनेंट हुई और दो महीने बाद ही उसका मिसकैरेज हो गया। बच्चे के आने की उम्मीद से घर में सभी खुश थे, पर इस हादसे ने सभी को गहरी ठेस पहुंचाई। पर सबसे ज़्यादा ठेस निलेश को पहुंची। उसे लगा जैसे उसने अपनी ज़िंदगी का सबसे अहम हिस्सा को दिया है।
“अगर तुम अपना ख्याल ठीक से रखती तो ऐसा कभी नहीं होता।” निलेश ने रोती हुई पूजा को सांत्वना देने की बजाय उसी को दोषी करार कर दिया था।
और बस यही वो दिन था, जब उनके रिश्ते में एक गहरी दरार पड़ गई थी। और उसके बाद जाने कब बात इतनी आगे बढ़ी की तलाक तक पहुंच गई। पूजा ने निलेश से बिछड़ना नहीं चाहा था, पर हालातों ने उन्हें एक भी नहीं होने दिया।
और आज यहां पूरे चार साल बाद मेरी शादी में निलेश मेरे होने वाले पति का दोस्त बनकर आया था। ये इत्तेफाक कुछ ऐसा होगा ये मैंने कभी नहीं सोचा था। ये तो किसी मूवी की स्टोरी जैसा है।
मैंने पूजा को उस दौर से गुज़रते देखा है, जब वो तलाक के बाद पूरी तरह से टूट गई थी। क्या कुछ नहीं सहा बेचारी ने। बच्चा खो देने का दुख तो था ही साथ ही घर और ससुराल वालों के ताने। बेवफा पति और छोड़ी हुई पत्नी का दुख। इन सब से वो कैसे-कैसे निकल पाई है, ये मुझसे अच्छे से कोई नहीं जानता। इस वक्त निलेश को यहां देखकर मेरा खून खौल रहा था और मैं भगवान को कोसने लगी थी कि उसने ऐसी लीला क्यों रची? क्यों पूजा को परेशान करने के लिए उसके सामने निलेश को फिर से ले आए थे। क्या ये सच में भगवान की रची लीला थी?
पूजा मेरे साथ ही स्टेज पर खड़ी थी और निलेश मेरे पति के साथ उनके दोस्तों में।
हम दोनों की जयमाला की रस्म हुई और हमें चेयर पर बैठा दिया गया। सब लोग स्टेज से नीचे उतर गये। मैं दूर से ही पूजा और निलेश को भीड़ में शामिल होते हुए देखती रही।
मुझे परेशान देखकर मेरे पति ने पूछा, “क्या हुआ?”
“निलेश आपके दोस्त हैं?” मैंने उनसे पूछा।
“हां!” उन्होंने कहा। “तो क्या आप जानते हैं पूजा…?” मैं बस इतना ही कह पायी थी कि मेरे पति ने मेरे हाथ पर हाथ रखते हुए कहा, “वो देखो।”
सामने निलेश और पूजा दोनों एक ही प्लेट से खाना खा रहे थे।
“तुम जानती हो, निलेश को अपनी गलती का कितना पछतावा था। उसने पूजा से खूब माफी मांगी थी और आज यहां शायद पूजा ने उसे माफ कर दिया और अपने रिश्ते को एक और मौका दे दिया।
“क्या? पर…ये सब पूजा ने मुझे क्यों नहीं बताया?” मैंने हैरान होते हुए कहा।
“अब ये जानने के लिए तो तुम शादी के बाद अपनी दोस्त से ही लड़ना।”
मैंने फिर से पूजा की तरफ़ देखा वो खुश लग रही थी। तभी मेरे पति ने कहा, “जिदंगी में कभी-कभी दूसरा मौका दे देना चाहिए। अब चलो स्माइल करो। नहीं तो सारी फोटो फूले हुए मुंह में ही आएंगी।” और यह कहकर वो हंसने लगे।
उनको हंसता देख मुझे भी हंसी आ गई।