“सुनो! मुझे तुमसे कुछ बात करनी है”? आयुष ने रंजना से कहा। “दरअसल, कल मेरे मम्मी-पापा यहां आने वाले हैं और वे तुमसे मिलना चाहते हैं। क्या तुम मिलना चाहोगी”? इतना सुनते ही रंजना हैरान हो गई। उस वक्त उसने ऐसा सोचा भी नहीं था कि कोई इस तरह का सवाल भी कर सकता है।
बात इतनी है कि रंजना और आयुष पिछले काफी वक्त से दोनों एक साथ रह रहे थे, पर उन दोनों ने आज तक अपने संबंधों के बारे में अपनी मम्मी-पापा को कभी भी कुछ नहीं बताया था। रंजना को लग रहा था कि आयुष के मम्मी-पापा से मिलना नि:संदेह उसकी ज़िंदगी का एक बहुत बड़ा फैसला होगा।
आयुष के मम्मी-पापा से मिलने की बात सुनकर उस रात रंजना के मन-मस्तिष्क में हजारों आशंकाएं घूम रही थीं। आयुष के घरवालों से मिलने-जुलने में वह कहीं जल्दबाजी तो नहीं कर रही है ना? जो कुछ वो कर रही है, ये सब ठीक है ना?
आशंकाओं के समुद्र में गोते लगाते-लगाते रंजना का ख्याल अचानक आयुष की तरफ चला गया। वह सोचने लगी जब भी मैं परेशान होती हूं, तो आयुष कैसे मुझे खुश करने के लिए एक-से-एक तरकीब अपनाता है। मुझे क्या अच्छा लगता है और क्या बुरा, उन सभी मामूली चीज़ों का भी वह बखूबी ख्याल रखता है, जो वास्तव में मेरे लिए काफी अहमियत रखती हैं। आयुष की इन खूबियों ने रंजना की सारी आशंकाओं को दूर कर दिया और वह मिलने के लिए तैयार हो गई।
इधर, अगली सुबह आयुष अपनी मम्मी-पापा से मिलने जाने के लिए तैयारी ही कर रहा था, तभी उसके मोबाइल पर रंजना का कॉल आया। उसकी आवाज़ सुनकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह काफी परेशान है। “सुनो! आयुष मेरी कार खराब हो गई है और स्टार्ट नहीं हो रही है। मुझे नहीं लग रहा है कि मैं एयरपोर्ट पर समय पर पहुंच पाऊंगी”, रंजना ने कहा।
दरअसल, रंजना ये कभी नहीं चाहती थी कि आयुष बेवजह उसकी प्रतीक्षा करे। उसे भली-भांति मालूम था कि अगर आयुष मेरे चक्कर में रहा, तो वह अपनी मम्मी-पापा को रिसीव करने समय पर एयरपोर्ट नहीं पहुंच पाएगा। “सुनो, आयुष तुम कैब बुक करके एयरपोर्ट चले जाओ, मुझे नहीं लग रहा है कि कार स्टार्ट हो पाएगी।”
इतना सुनते ही आयुष ने एक पल भी बिना कुछ विचार किए तुरंत कैब बुक किया और रंजना के घर पर आ धमका। उसने देखा कि रंजना मैकेनिक के पास खड़ी थी, जबकि वह कार ठीक करने में लगा हुआ था। रंजना को परेशान देख आयुष उसके पास गया और उसके हाथों को अपने हाथ में पकड़कर कहा, रंजना हम लोगों के पास अभी भी वक्त है, परेशान होने की कोई ज़रुरत नहीं है।
आयुष के चेहरे पर संतुष्टि का भाव देखकर रंजना काफी अशांत हो उठी।
करीब एक घंटे देरी से आनन-फाफन में दोनों एयरपोर्ट पहुंचे। विलंब होने के चलते दोनों मन ही मन सोच रहे थे कि वे मम्मी-पापा से इसके लिए माफी मांग लेंगे। लेकिन, दोनों किस्मत के धनी थे। अंदर पहुंचने के बाद पता चला कि जिस फ्लाइट से आयुष के मम्मी-पापा आने वाले थे, वो करीब एक घंटे लेट है। उस वक्त रंजना को अहसास हुआ कि ज़िंदगी में समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं मिलता है। जो होना होता है, वो होकर ही रहता है।