आखिरी मुलाकात के वक्त विनय ने साधना का हाथ पकड़ते हुए कहा, “हमारी कहानी कोई आम कहानी नहीं… जो यूं ही खत्म हो जाए। तुम देखना… हम फिर से ज़रूर मिलेंगे!”
विनय की बात के जवाब में साधना ने अपना हाथ झटक कर कहा, “मैं दुआ करुंगी, वो पल कभी न आए।” और इतना कहकर, वहां से चली गई।
एक साल बाद, आज अपनी और साधना की आखिरी मुलाकात के वक्त हुई बातों पर विजय को बहुत अफसोस हो रहा था। तभी उसके अस्पताल में एक गंभीर एक्सीडेंट केस आया। वो केस किसी और का नहीं साधना का था, जो जिसके सिर पर गहरी चोट आई थी।
विनय, अब डॉ विनय था और एक नामी सर्जन। जिसने अपने एक साल के करियर में ऐसे बहुत से मरीज़ों का इलाज किया था। पर साधना को ऐसी हालत में देख कर, वो कांपने लगा था।
उसका पहला प्यार साधना, जिससे वो एक गलतफहमी के चलते अलग हो गया था, और बिछड़ते वक्त विनय ने कहा भी था कि हम फिर मिलेंगें, पर इस तरह? ये सोच-सोच कर विनय की हालत खराब हो रही थी।
विनय अपने जज़्बातों में इतनी बुरी तरह टूट चुका था कि उसमें सर्जरी करने की हिम्मत ही नहीं थी।
“डॉ विनय! डॉ विनय! जल्दी चलिए! उस लड़की की हालत बहुत खराब है। आपको जल्दी से सर्जरी शुरू करनी होगी, नहीं तो उसकी जान बचाना बहुत मुश्किल है।” एक नर्स भागती हुई, विनय के केबिन में आई और उसे साधना का हाल बता कर, हड़बड़ाहट में निकल गई।
विनय के शरीर में यहां उठने तक की शक्ति खत्म हो गई थी, ऐसी हालत में वो कैसे ऑपरेशन थियेटर तक जा सकता था? वो नर्स से कहना चाहता था कि, वो किसी दूसरे सर्जन से सर्जरी करा लें, पर इस वक्त न तो सर्जन का इंतज़ार करने का वक्त था, और न ही साधना पर ज़्यादा वक्त बचा था।
खुद को संभालते हुए, विनय ने अपनी जेब से पर्स निकाला और उसमें रखी साधना की फोटो को निकाल कर चूम लिया। तस्वीर को चूमते ही विनय को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके अंदर अचानक बहुत सारी ताकत भर दी है। उसने अपने आंसू पोंछे और ऑपरेशन थियेटर की तरह बढ़ा।
ऑपरेशन थियेटर के बाहर बैठकर, एक आदमी बहुत रो रहा था। विनय को आता देख उस आदमी ने जल्दी से विनय के पैर पकड़ लिए, और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “डॉक्टर! प्लीज़! मेरी वाइफ को बचा लीजिए। प्लीज़! डॉक्टर! मैं साधना के बिना मर जाऊंगा। आप कुछ भी कीजिए, पर उसे बचा लीजिए।”
उस आदमी की बातें, विनय के लिए एक और बड़ा झटका था। उस आदमी को उठाते हुए विनय ने कहा, “डोंट वरी! आई विल ट्राई आई बेस्ट!” और ऑपरेशन थियेटर के अंदर चला गया।
वहां साधना बेहोश थी, पर दर्द से कराह रही थी। विनय ने एक गहरी सांस लेकर सर्जरी शुरू की, और करीब एक घंटे बाद, एक नर्स से कहा, “पेसेंट की सर्जरी हो चुकी है, जाओ! उनके पति को बता दो।”
साधना की सर्जरी सक्सेसफुल रही। पर जितने भी दिन वो अस्पताल में रही। नर्स को दवाइयां समझा कर, विनय उतने दिन छुट्टी पर रहा। वह समझ चुका था कि कुछ लोग इसलिए हमें नहीं मिलते क्योंकि उन्हें किसी और से मिलना होता है।