ज़रूरी कागज़ात

ज़रूरी कागज़ात

मम्मी ने बचपन से सिखाया है कि सड़क पर गिरी चीज़ें नहीं उठाते, पर ये फाइल जिससे कुछ कागज़ बाहर को भी झांक रहे हैं, किसी के बहुत ज़रूरी काम की फाइल भी तो हो सकती है?

11 साल का गोलू अपने स्कूल से घर जा रहा था। रास्ते में खाली सड़क पर एक लाल रंग की फाइल पड़ी थी। जिसे देखकरगोलू ने अपनी साइकिल रोक दी, और सोचने लगा, “पता नहीं किसकी फाइल गिर गई है, या किसी ने जान बूझ कर इसे यहां फेंक दिया है?मम्मी ने बचपन से सिखाया है कि सड़क पर गिरी चीज़ें नहीं उठाते, पर ये फाइल जिससे कुछ कागज़ बाहर को भी झांक रहे हैं, किसी के बहुत ज़रूरी काम की फाइल भी तो हो सकती है?”

दोपहर का वक्त था और सड़क पर दूर-दूर तक कोई ऐसा नहीं दिख रहा था, जिससे इस फाइल के बारे में पूछा जाए। गोलू के मन में आया कि वो एक बार उस फाइल को उठा कर देखे पर उसने ऐसा नहीं किया और साइकिल लेकर आगे बढ़ गया।

घर आकर गोलू ने देखा कि पूरा घर बिखरा पड़ा है। मम्मी दराज़ो और अलमारियों में कुछ ढूंढ रही हैं और पापा बहुत परेशान होकर किसी से फोन पर बात कर रहे हैं।

गोलू को देखकर मम्मी बोली, “बेटा जाओ! अपने कमरे जाकर आराम करो। पापा की एक ज़रूरी कागज़ात लाल रंग की फाइल नहीं मिल रही, इसलिए वो बहुत परेशान हैं।”

मम्मी की बात सुनकर गोलू ने सोचा कि कहीं रास्ते में पड़ी हुई फाइल,वही फाइल तो नहीं जिसे पापा ढूंढ रहे थे। तभी गोलू ने जल्दी से मम्मी को सारी बात बताई कि उसने रास्ते में एक लाल रंग की फाइल पड़ी हुई देखी है।

गोलू की बात सुनकर पापा तुरंत उसके साथ उसी सड़क पर पहुंचे जहां फाइल पड़ी हुई थी।

वो फाइल अब भी वहीं पड़ी हुई थी। पर जैसे ही गोलू और पापा फाइल की तरफ बढ़े, तभी मम्मी का घर से फोन आ गया और मम्मी बोली, “आपकी लाल रंग की फाइल मिल गई है। गलती से आपके कपड़ों के नीचे दब गयी थी।आप दोनों अब जल्दी से घर आ जाइए।”

मम्मी की बात सुनकर पापा ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “बेटा! चलो घर।हमारी फाइल मिल गई है। यह फाइल हमारी नहीं है।” मगर जैसे ही पापा गोलू का हाथ पकड़ कर घर की तरफ जाने को हुए, गोलू ने उनका हाथ छोड़ कर, ज़मीन पर पड़ी हुई फाइल को उठा ली।

“पापा! ये फाइल हमारी नहीं है, पर जिसकी है वो भी ऐसे ही परेशान हो रहा होगा ना? जैसे कि थोड़ी देर पहले आप हो रहे थे?”

गोलू की बात सुनकर पापा ने गोलू के हाथ से फाइल ले ली। उस फाइल में किसी की मार्कशीट और कुछ ज़रूरी पहचान पत्र रखे थे। एक पहचान पत्र पर उस व्यक्ति का फोन नंबर भी लिखा था। पापा ने उस नंबर पर फोन किया, तो वो आदमी खुश होकर बोला, “जी‌ आपका बहुत-बहुत शुक्रिया! ये मेरे बहुत ज़रूरी कागज़ात हैं, जो मुझसे गलती से गिर गये थे। आप इन्हें अपने पास रख लीजिए। मैं जल्द ही अपनी फाइल वापस लेने आता हूं।” गोलू के पिता से उनका पता लेकर उस अंजान आदमी ने फोन रख दिया।

“क्यों गोलू? अब ठीक है न? चलें घर!” पापा ने मुस्कुराते हुए कहा तो गोलू ने उस फाइल को अपने हाथों में कस कर पकड़ते हुए कहा, “बहुत खुश!” और दोनों बाप-बेटे अपने घर की तरफ चल दिए।

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