ये मेरा बच्चा है

ये मेरा बच्चा है

अरे! जब पता था कि बच्चा ऐसा है तो न करती पैदा। हम कुछ दिन दुखी होते पर इस बेचारे को क्यों दुनिया में बोझ बनने के लिए ले आई?” शीतल की सास दुख जताते हुए बोली।

जब घर में बच्चे की किलकारियां गुंजती हैं तो पूरा घर खुशियों से झूमने लगता है और जब ये किलकारी वर्षों बाद गूंजे तो खुशी दुगुनी हो जाती है। मगर, रितेश के पैदा होने पर घर में खुशियां नहीं बल्कि ऐसा सन्नाटा फैल गया जैसे कोई अनहोनी हो गई हो।

घर का एक-एक शख्स जो बच्चा होने की आस लिए फूले नहीं समा रहा था, वो रितेश को देखते ही बेचैन होने लगा था।

“अरे भाई! ये कोई सन् नब्बे का ज़माना तो है नहीं, जो पता नहीं चला होगा, आज कल डिलवरी से पहले पांच बार अल्ट्रासाउंड होते हैं। डॉक्टर मां को बच्चे का रूप-रंग, कद-काठी सब पहले ही बता देता है।” रितेश की मां (शीतल) से बुआ सास ने मुंह बनाते हुए कहा।

“अरे! जब पता था कि बच्चा ऐसा है तो न करती पैदा। हम कुछ दिन दुखी होते पर इस बेचारे को क्यों दुनिया में बोझ बनने के लिए ले आई?” शीतल की सास दुख जताते हुए बोली। कुछ ऐसे ही मिले-जुले ताने घर का हर एक शख्स रितेश की मां को मार रहा था। पर शीतल चुपचाप सबके तानों को अनसुना करते हुए, रितेश को प्यार कर रही थी।

लेकिन, घरवालों के ताने जब जली-कटी बातों में बदलने लगे तो रितेश के पापा से सुना नहीं गया और रितेश को गोद में लेकर बड़े गर्व के साथ बोले, “ये मेरा बच्चा है! हां ये बाकी बच्चों की तरह नहीं है, ये भविष्य में शायद बाकी बच्चों की तरह दौड़ न सके और चलने में भी असमर्थ हो, पर फिर भी ये मेरा बच्चा है। मैं अपने बच्चे की इस अपंगता को कभी उसकी कमज़ोरी बनने नहीं दूंगा। रही बात इसकी मां शीतल की तो हां उसे पहले से मालूम था कि हमारा बच्चा चल फिर नहीं पायेगा। उसने मुझे ये बात बताई भी थी, पर हम दोनों ने मिलकर ही ये फैसला किया कि हम इस बच्चे को इस दुनिया में लेकर आएंगे और इसकी ताकत बनेंगे।”

इतना सुनते ही सारे घर वाले दंग रह गये और फिर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई रितेश की दिव्यांगता के बारे में कुछ कह सके।

रितेश के मां-बाप अपने बच्चे पर नाज़ कर रहे थे और वे हमेशा रितेश की ढाल बनने के लिए बिल्कुल तैयार थे।

टिप्पणी

टिप्पणी

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।