एक-दूसरे का साथ

साथ-साथ चलकर

राशि और अतुल की ज़िंदगी में सब कुछ सही चल रहा था। दोनों साथ ऑफिस जाते और वापस आकर अपने परिवार के साथ खुशी के पल बिताते। पर एक दिन अचानक रिशू की दादी को हार्ट अटैक आने के बाद से उनकी तबियत बिगड़ गई।

राशि और अतुल एक मल्टीनेशन कंपनी में जॉब करते थे। जहां अतुल एक वेब डिज़ाइनर था और उसकी पत्नी राशि सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर थी। उन दोनों का एक पांच साल का बच्चा रिशू था। राशि और अतुल के ऑफिस जाने के बाद रिशू को संभालने की पूरी ज़िम्मेदारी उसकी दादी पर थी। रिशू की दादी अपने बेटे बहु को बहुत सपोर्ट करती थीं, इसलिए उन्होंने अपने पोते रिशू को स्कूल से लाना और ले जाने की सारी ज़िम्मेदारियां बड़े प्यार से संभाल रखी थीं।

राशि और अतुल की ज़िंदगी में सब कुछ सही चल रहा था। दोनों साथ ऑफिस जाते और वापस आकर अपने परिवार के साथ खुशी के पल बिताते। पर एक दिन अचानक रिशू की दादी को हार्ट अटैक आने के बाद से उनकी तबियत बिगड़ गई। दादी बीमार रहने लगीं, और अब रिशू की देखभाल करना तो दूर,उन्हें ही खुद हर वक्त किसी की देख रेख की ज़रूरत पड़ गई थी। ऐसे में राशि और अतुल के सामने बहुत बड़ी मुसीबत आकर खड़ी हो गई थी कि आखिर घर और ऑफिस एक साथ कैसे संभाले जाएं।

राशि ने अपने आस-पड़ोस में पूछ कर, किसी केयर टेकर की तलाश की,पर इतनी जल्दी में सब कुछ संभालने के लिए कोई नहीं मिला। फिर एक बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की और एक दिन राशि ने ऑफिस से छुट्टी ली और दूसरे दिन अतुल ने छुट्टी लेकर दोनों का ख्याल रखा। इस तरह दो दिन तो निकल गये पर आगे और दिन कैसे मैनेज होंगे इसकी चिंता दोनों को खाये जा रही थी।

इसी बीच अतुल का एक दोस्त उसकी मां का हाल चाल लेने आया। अतुल और वो दोस्त गेस्ट रूप में बैठकर बातें कर रहे थे, तभी अतुल का दोस्त बोला, “अरे यार!… भाभी जी को समझना चाहिए, बच्चा छोटा है और अब तो तुम्हारी मां की भी तबियत ठीक नहीं। घर की इतनी ज़िम्मेदारियों के बीच औरत को घर की तरफ ध्यान देना चाहिए न कि ऑफिस की तरफ।उनसे बोल की वो जॉब छोड़ दें और सब संभाल लें, सिम्प्ल है।” जब वो दोस्त ये सब बोल रहा था तब ही राशि गेस्ट रूम में चाय लेकर आ रही थी और उसने उस दोस्त की सारी बातें सुन लीं।

इससे पहले की राशि उन दोनों के सामने चाय लेकर जाती, अतुल ने कहा, “क्यों यार? औरत ही ज़िम्मेदारियां क्यों संभाले? मेरा भी तो परिवार है ये…मैं भी तो जॉब छोड़ सकता हूं न! मैं संभाल लूंगा सब कुछ।” अतुल के मुंह से ये बात सुनकर राशि का दिल सुकून से भर गया। उसे ये सुनकर बहुत अच्छा लगा कि उसका पति उसके करियर को न केवल सपोर्ट करता है बल्कि उसके लिए आवाज़ भी उठाता है। राशि ने मुस्कुराकर अतुल के सामने चाय रखी और बोली, “हममें से किसी को जॉब छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। एक दिन तुम घर बैठ कर घर और ऑफिस संभालना और एक दिन मैं सब कुछ संभाल लूंगी। और इस तरह साथ-साथ चलकर हम सब संभाल लेंगे!” फिर दोनों ने ऐसा ही किया और कुछ दिन बाद जब अतुल की मां ठीक हो गई तो उन्होंने फिरसे अपने बेटे बहु की सारी ज़िम्मेदारियों को अपने कंधो पर ले लिया।

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