पिता का दर्द

मेरा परिवार

विपिन को काम पर जाने की इतनी हड़बड़ी थी कि जल्दी-जल्दी में प्रोजेक्ट पर लगा गीला रंग उसकी शर्ट पर लग गया। मुस्कान तो तभी स्कूल के लिए निकल गयी थी, पर शर्ट से दाग़ छुड़ाने की कोशिशों और फिर दूसरी शर्ट बदलने में विपिन का बहुत वक़्त बर्बाद हो गया था।

विपिन को सुबह 8 बजे ऑफिस पहुंचना था, पर अब तो पूरे 10 बजने वाले थे। ये पहली बार था जब विपिन से काम को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही हुई थी। फोन पर बॉस से जैसे तैसे बहाना बनाकर बात संभाल तो ली थी पर अब हर हाल में उसे 15 मिनट के अंदर ऑफिस पहुंचना था। ऊपर से सड़क पर इतना ज़्यादा जाम लगा था कि ऑफिस जल्दी न पहुंच पाने की टेंशन से विपिन का खून सूख रहा था। 

“ये मुस्कान भी ना बहुत ज़िद्दी हो गयी हैं, सुबह-सुबह अपने स्कूल का प्रोजेक्ट दिखाने बैठ गयी, शरारती इतनी है कि कुछ पूछो ही मत। मालिनी भी उसे उसको बिलकुल नहीं डांटती कि पापा को देर हो रही है। हद्द है मां बेटी की।” लेट होने की वजह से बौखलाये विपिन ने सारा दोष अपनी पत्नी मालिनी और 8 साल की बेटी मुस्कान को दे दिया।

दरअसल, सुबह जब विपिन ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था, तभी उसकी बेटी मुस्कान अपने स्कूल का एक ‘मेरा परिवार’ प्रोजेक्ट दिखाने ले आई, जिसे मालिनी और मुस्कान ने पूरी रात जाग कर बनाया था। पर विपिन को काम पर जाने की इतनी हड़बड़ी थी कि जल्दी-जल्दी में प्रोजेक्ट पर लगा गीला रंग उसकी शर्ट पर लग गया। मुस्कान तो तभी स्कूल के लिए निकल गयी थी, पर शर्ट से दाग़ छुड़ाने की कोशिशों और फिर दूसरी शर्ट बदलने में विपिन का बहुत वक़्त बर्बाद हो गया था। जल्दी में चिड़चिड़ा कर बिना नाश्ता किये बिना विपिन इस उम्मीद में घर से निकला था कि अब तो वो 11 बजे से पहले ऑफिस पहुंच कर ही रहेगा, लेकिन इतने लम्बे जाम ने उसकी ये उम्मीद भी तोड़ दी। इसलिए जब कुछ न सुझा तो गाड़ी में बैठे-बैठे ही अपनी पत्नी और बेटी को कोसने लगा। 

जब इंतज़ार हद से ज़्यादा हो गया और गाड़ी ने एक इंच भी आगे बढ़ने का नाम नहीं लिया, तब विपिन ने अपनी गाड़ी से नीचे उतर कर जाम कि वजह जानने की कोशिश की। 

10/12 गाड़ियों के अगल-बगल से रास्ता बनाते हुए जब विपिन आगे पंहुचा तो ये देख कर बहुत हैरान हुआ की सड़क पर एक बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ था। चारों तरफ पुलिस और खून से सनी रोड देख कर विपिन को एक अजीब सी घबराहट हुई। लोगों ने बताया कि एक बाइक सवार बाप बेटी को एक कार ने टक्कर मारी थी। बेचारी बच्ची की वहीं मौत हो गयी। बेचारा घायल पिता, सड़क पर बहुत बिलख-बिलख कर रो रहा था। पुलिस उसे संभालने की लगातार कोशिश कर रही थी पर वो अभागा बाप, अपनी बेटी के गम में अपने सारे ज़ख्म भूल बैठा था।

उस अनजान आदमी को अपनी बेटी के लिए यूं रोते देख विपिन की आंखें भर आईं। 

थोड़ी देर पहले विपिन जिन्हें कोस रहा था, उसे अचानक उन्हीं की याद आने लगी। उसका मन किया की वो भाग कर अपनी बेटी और पत्नी से जाकर लिपट जाये। विपिन ने अपने कदमों को पीछे मोड़ लिया और वापस अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया। 

उसने जैसे ही अपनी पत्नी मालिनी को फोन मिलाने के लिए फोन हाथ में लिया, तभी मालिनी का मैसेज फोन पर पॉप-अप हुआ। 

मैसेज में ‘मेरा परिवार’ प्रोजेक्ट के साथ मुस्कान की फोटो थी। जिसे स्कूल में फर्स्ट प्राइज मिला था। विपिन एक नज़र उस पॉप-अप की ओर देख रहा था और दूसरी तरफ अपनी बेटी के लिए बिलखते उस बाप की ओर।

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