जब मैं छोटी थी तब मैं अपनी गांव रहा करती थी। आज के समय में मुझे उस वक्त की यादें किसी सपने सी लगती थी। मुझे बचपन में कभी उठने के लिए अलार्म लगाना ही नहीं पड़ा। मेरा घर जंगल के करीब था। मेरी सुबह चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर होती थी। घंटों मैं घर के बाहर टहलती थी, सुबह की धूप, ठंडी और साफ हवा, मुंडेर पर बैठी चिड़िया कितनी प्यारी लगती थी, बता पाना मेरे लिए मुश्किल है।
कुछ सालों बाद पढ़ाई के लिए मैंने शहर का रुख किया और सब कुछ पीछे छूट गया। गांव अभी भी है, मगर जंगल काटकर वहां घर और पेट्रोल पंप बन गए हैं। मुझे पता है आप सबने भी बचपन से लेकर आज तक कई पेड़ों को कटते, इमारतें बनते, नदियों को सूखते और वन्यजीव को बेघर होते हुए देखा होगा। मगर इन सब के लिए हम कुछ खास कर नहीं पाते। आज भी गांव लौटती हूं तो मुझे लगता है वो जंगल, वो चिड़िया और वो हवा मुझे आवाज़ दे रही है, मगर असल में दिखता कुछ भी नहीं।
हमारे पर्यावरण का निर्माण छोटे-बड़े सभी जीवों से मिलकर हुआ है। एक सूक्ष्म जीव से लेकर विशाल हाथी या कोई मामूली सी दिखने वाली घास भी पर्यावरण में अपना विशेष महत्व रखती है। यह सभी वन्य जीव मिलकर हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने का काम करते हैं। मगर, आज के दौर में बढ़ती आबादी और इसके कारण हो रहे प्रदूषण के चलते वन्यजीवों की संख्या घटती जा रही है, जिसका सीधा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ता है। इसलिए हम सबका ये फर्ज़ बनता है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए वन्यजीवों की रक्षा करें।
वन्यजीव और वनस्पति के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक खास दिन मनाया जाता है जिसका नाम है विश्व वन्यजीव दिवस। आइए इस दिन के बारे में और इससे जुड़े पहलुओं के बारे में जानते हैं।
वन्यजीव के लिए बनाया गया कानून (Vanyajeev ke liye banaya gaya kanoon)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A (G) में कहा गया है कि वनों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य होगा। हम जैसे आम नागरिकों को वन्यजीवों और वनस्पतियों के महत्व और सुरक्षा का एहसास कराने के लिए ही विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। चलिए सोलवेदा के साथ जानते हैं विश्व वन्यजीव दिवस का महत्व और हम कैसे अपने वन्यजीवों और वनस्पतियों की रक्षा कर सकते हैं।
वन्यजीव संरक्षण कैसे किया जा सकता है? (Vanyajeev sanrakshan kaise kiya ja sakta hai?)
जंतुओं और वनस्पतियों की वैसी असंवर्धित प्रजातियां (non-cultivated species) जो अपने प्राकृतिक वास स्थानों में पाई जाती हैं, वन्य जीव कहलाती हैं। वन्य जीवों की सामान्य और संकटग्रस्त प्रजातियों को उनके प्राकृतिक वातावरण में सुरक्षित रखना और उन्हें लुप्त होने से बचाना ही ‘वन्य जीव संरक्षण’ कहलाता है।
सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने और अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया था। कुल मिलाकर, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act 1972 in Hindi) में 66 धाराएं हैं और 6 अनुसूचियां हैं, जो कई प्रजातियों के लिए विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान करती हैं।
जनवरी 2003 में अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिससे सज़ा और अधिनियम के तहत ऐसे अपराधों के लिए जुर्माना और भी ज़्यादा कठोर बना दिया है। विश्व वन्यजीव दिवस भी वन्यजीवों की रक्षा के लिए उठाया गया एक सकारात्मक कदम है, ताकि वन्यजीव और वनस्पतियों का संरक्षण हो सके।
वनस्पतियों का संरक्षण कैसे किया जा सकता है? (Vanapatiyon ka sanrakshan kaise kiya ja sakta hai?)
अपने फायदे के लिए आज से नहीं बल्कि आदि काल से ही मानव जीव-जंतुओं को अपना शिकार बनाता रहा है। ज़रूरत पड़ने पर बिना झिझके पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई करवा कर उस भूमि को अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करता रहा है। बढ़ती जनसंख्या के खाने के लिए जब कृषि भूमि कम पड़ जाती है, तब भी लोग जंगलों को काट के, वहां की भूमि को अपने कृषि कामों में ले लेते हैं। ऐसे तो जो प्राकृतिक वन और उनकी वनस्पतियां है, वो नष्ट होती रहेंगी।
हालांकि ये बात हम अच्छे से जानते हैं कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में हर जीव-जंतु और वनस्पति बराबर की हिस्सेदार हैं, तो जब वही नष्ट हो जाएंगी तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने से कौन बचाएगा? इसलिए हमें वन्यजीव और वनस्पतियों की रक्षा करनी होगी। जन सामान्य को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में जागरूक करना होगा कि हमें खुद की रक्षा करने के लिए वन्य जीवन और प्रकृति की सुरक्षा करनी चाहिए।
कब है वन्यजीव दिवस? (Kab hai Vanyajeev Divas?)
विश्व वन्यजीव दिवस हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन पर कई तरह के कार्यक्रम और आयोजन किए जाते हैं।
विश्व वन्यजीव दिवस क्यों मनाया जाता है? (Vishv Vanyajeev Divas kyun manaya jata hai?)
विश्व वन्य जीव दिवस दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है ताकि लोग विश्व वन्यजीव दिवस के जरिए वन्य जीवन और वनस्पतियों की ज़रूरत को समझ सकें।
हमारे ग्रह पर जीवन कब से है, इससे सोच पाना भी बहुत मुश्किल है। लेकिन, तब से लेकर अब तक पृथ्वी ग्रह प्रदूषण काफी बढ़ा है और वन्यजीव और वनस्पतियां काफी कम हुईं हैं। यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अगर इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो एक दिन इंसान की प्रजाति भी विलुप्त हो जाएगी। हम इंसानों ने मिलकर कई वन्यजीव और वनस्पतियों की प्रजाति को विलुप्त कर दिया है और कुछ विलुप्त होने के खतरे से जूझ रहें हैं। इस कुकर्म के खिलाफ आवाज़ उठाने और इसे रोकने और इसके लिए जागरूकता फैलाने के लिए भी विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।
विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास (Vishv Vanyajeev Divas ka itihas)
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को, अपने 68वें अधिवेशन में वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं वनस्पति के लुप्तप्राय प्रजाति के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 3 मार्च को हर साल विश्व वन्यजीव दिवस मनाने की घोषणा की थी। वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सबसे पहले साल 1872 में वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट पारित हुआ था।
आपको ये आर्टिकल पढ़कर कैसा लगा हमें कमेंट करके बताना न भूलें। ऐसे ही और जानकारी से भरे आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पर बने रहें।
वनस्पतियों का संरक्षण कैसे किया जा सकता है? (Vanapatiyon ka sanrakshan kaise kiya ja sakta hai?)
अपने फायदे के लिए आज से नहीं बल्कि आदि काल से ही मानव जीव-जंतुओं को अपना शिकार बनाता रहा है। ज़रूरत पड़ने पर बिना झिझके पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई करवा कर उस भूमि को अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करता रहा है। बढ़ती जनसंख्या के खाने के लिए जब कृषि भूमि कम पड़ जाती है, तब भी लोग जंगलों को काट के, वहां की भूमि को अपने कृषि कामों में ले लेते हैं। ऐसे तो जो प्राकृतिक वन और उनकी वनस्पतियां है, वो नष्ट होती रहेंगी।
हालांकि ये बात हम अच्छे से जानते हैं कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में हर जीव-जंतु और वनस्पति बराबर की हिस्सेदार हैं, तो जब वही नष्ट हो जाएंगी तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने से कौन बचाएगा? इसलिए हमें वन्यजीव और वनस्पतियों की रक्षा करनी होगी। जन सामान्य को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में जागरूक करना होगा कि हमें खुद की रक्षा करने के लिए वन्य जीवन और प्रकृति की सुरक्षा करनी चाहिए।
कब है वन्यजीव दिवस? (Kab hai Vanyajeev Divas?)
विश्व वन्यजीव दिवस हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन पर कई तरह के कार्यक्रम और आयोजन किए जाते हैं।
विश्व वन्यजीव दिवस क्यों मनाया जाता है? (Vishv Vanyajeev Divas kyun manaya jata hai?)
विश्व वन्य जीव दिवस दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है ताकि लोग विश्व वन्यजीव दिवस के जरिए वन्य जीवन और वनस्पतियों की ज़रूरत को समझ सकें।
हमारे ग्रह पर जीवन कब से है, इससे सोच पाना भी बहुत मुश्किल है। लेकिन, तब से लेकर अब तक पृथ्वी ग्रह प्रदूषण काफी बढ़ा है और वन्यजीव और वनस्पतियां काफी कम हुईं हैं। यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अगर इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो एक दिन इंसान की प्रजाति भी विलुप्त हो जाएगी। हम इंसानों ने मिलकर कई वन्यजीव और वनस्पतियों की प्रजाति को विलुप्त कर दिया है और कुछ विलुप्त होने के खतरे से जूझ रहें हैं। इस कुकर्म के खिलाफ आवाज़ उठाने और इसे रोकने और इसके लिए जागरूकता फैलाने के लिए भी विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।
विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास (Vishv Vanyajeev Divas ka itihas)
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को, अपने 68वें अधिवेशन में वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं वनस्पति के लुप्तप्राय प्रजाति के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 3 मार्च को हर साल विश्व वन्यजीव दिवस मनाने की घोषणा की थी। वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सबसे पहले साल 1872 में वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट पारित हुआ था।
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