विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस: अधिकारों से कितना दूर है उपभोक्ता?

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस: अधिकारों से कितना दूर है उपभोक्ता?

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस को मनाए जाने का मुख्य मकसद है खरीदारी करने बाज़ार पहुंचे किसी भी व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी को रोकना। इसके साथ ही कंज्यूमर को अपने अधिकार के प्रति जागरूक करना।

मैं और आप इस मॉर्डन युग में हर एक चीज़ के लिए बाज़ार पर निर्भर हैं, चाहे वो कोई सामान हो या फिर कोई भी सेवा। ऐसी स्थिति में जब भी हम बाज़ार में पैसे देकर किसी भी सामान की खरीदारी करते हैं या फिर कोई सेवा लेते हैं, तो उपभोक्ता कहलाते हैं। भारत में उपभोक्ताओं को कुछ अधिकार दिए गए हैं। लेकिन ज़्यादातर लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं। इन्हीं बातों को देखते हुए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस को मनाए जाने का मुख्य मकसद है, खरीदारी करने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ होने वाली धोखाधड़ी को रोकना। इसके साथ ही कंज्यूमर को अपने अधिकार के प्रति जागरूक करना।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी आपको इस विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर बता रहा है कि उपभोक्ता होने के नाते आपके अधिकार क्या-क्या हैं और हम अपने अधिकार के बारे में कितना जानते हैं। इसके अलावा हम यह भी जानेंगे कि इन अधिकारों का उपयोग हम कैसे कर सकते हैं।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है? (Vishv Upbhokta Adhikar Divas kab manaya jaata hai?)

हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार मनाया जाता है। यह दिन पूरे विश्व के उपभोक्ताओं को जागरूक करता है, अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने के लिए।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की कब हुई शुरुआत? (Vishv Upbhokta Adhikar Divas manane ki kab hui shuruaat?)

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का आइडिया सबसे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को आया था। 15 मार्च 1962 को उन्होंने सबसे पहले यह प्रस्ताव अमेरिकी कांग्रेस के सामने रखा था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने 9 अप्रैल 1985 के दिन उपभोक्ता संरक्षण के लिए कुछ गाइडलाइन जारी किए। हालांकि, इससे पहले 15 मार्च 1983 को पहली बाद विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया गया था।

क्यों मनाया जाता है विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस? (Kyun manaya jata hai Vishv Upbhokta Adhikar Divas?)

पूरे विश्व में इस दिवस मनाने का मुख्य मकसद है, ग्राहकों को जागरूक करना। इसके ज़रिए खरीदारी करने वाले लोगों को अपने अधिकारों के बारे में बताया जाता है। लोगों को जमाखोरी, कालाबाज़ारी, मिलावटी चीज़ों और तय दाम से ज़्यादा वसूली को लेकर जागरूक किया जाता है।

क्या-क्या अधिकार मिलते हैं उपभोक्ताओं को? (Kya kya adhikar milte hain upbhoktaon ko?)

भारत में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपभोक्ताओं को कई तरह के अधिकार दिए गए हैं। ग्राहक या फिर खरीदार अपनी शिकायत कहीं भी दर्ज करवा सकते हैं। अगर कस्टमर चाहे तो वे ‘उपभोक्ता फोरम’ (Forum) पर भी अपनी बात रख सकते हैं।

सुरक्षा का अधिकार

भारत में सभी उपभोक्ता को सामान और सेवा को लेकर सुरक्षा का अधिकार दिया गया है। इसके तहत किसी भी उपभोक्ता को अगर स्वास्थ्य पर खराब असर वाला सामान बेचा जाता है, तो उपभोक्ता इसकी शिकायत कर सकता है। सुनवाई में अगर गलती साबित हो जाती है, तो सामान बेचने और सेवा देने वाले के खिलाफ फाइन लगाया जा सकता है और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

सामान या सेवा चुनने का अधिकार

आज के खुले बाज़ार में एक ही सामान कई लोग बेचते हैं या फिर सेवा प्रदान करते हैं। ऐसे में उपभोक्ता को पूरा अधिकार है कि वो अपनी पसंद से कोई भी सामान खरीद सकता है या फिर सेवा ले सकता है। इसको लेकर किसी कंपनी या संस्था की ओर से जबरदस्ती करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

मुआवज़ा का अधिकार

अगर उपभोक्ता कोई भी सामान खरीदता है और वो मानक को पूरा नहीं कर रहा है, तो उपभोक्ता को अधिकार है कि वो शिकायत कर सकता है। इसके लिए खरीदार मुआवज़े की भी मांग कर सकता है।

अपने अधिकारों से कैसे दूर हैं उपभोक्ता? (Apne adhikaron se kaise door hain upbhokta?)

भारत में शिक्षा का दर कम है। यहां विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस तो मनाया जाता है, लेकिन इसके बारे में ज़्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। अपने अधिकारों के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण कई बार उपभोक्ता धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। कई बार कंज्यूमर को सही सेवा उपलब्ध नहीं कराई जाती है, लेकिन उनसे फीस के रूप में पैसे ले लिए जाते हैं।

भारत के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने अधिकारों के बारे में उतनी जानकारी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। इसके कारण उपभोक्ताओं से तय कीमत से ज़्यादा की वसूली हो जाती है। वहीं, उन्हें गलत प्रोडक्ट भी दे दिया जाता है। सरकार की ओर से इसको लेकर पहल की जा रही है और अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक पर इसे लेकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इससे उपभोक्ता धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं।

उपभोक्ता अपने अधिकारों को जानकर बचत भी कर सकते हैं, क्योंकि आप जितनी ज़्यादा बचत करेंगे, उतनी ही आपकी ज़िंदगी खुशहाल तरीके से बीतेगी। इसके अलावा किसी भी कस्टमर को अगर उनके अधिकार मालूम हैं वो अपने आस-पास के लोगों को भी शिक्षित कर सकते हैं।

सोलवेदा हिंदी ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर आपको इससे जुड़ी जानकारी दी। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा, तो इसे शेयर करें और कमेंट करके हमें फीडबैक ज़रुर बताएं। इसी तरह की और भी जानकारी के लिए जुड़े रहें सोलवेदा हिंदी से।

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