जब आपका मन काफी उदास, हताश और निराशा होता है और आपका मन किसी काम में नहीं लगता है, तब आपका आत्मविश्वास ही आपको इस स्थिति से बाहर निकालने में मदद करता है। भले ही ऐसी स्थिति आपके निजी संबंधों या कामकाज के मामले में क्यों न हो, जब आप अंदर से मजबूत और आपका आत्मविश्वास अडिग रहता है, तो आपकी सोच और भावनाओं को कोई भी बिगाड़ नहीं सकता। उस दौरान अगर आपका आत्मविश्वास ही कमजोर पड़ जाएगा, तो यकीन मानिए आपको कायर और अशंकित बनने से कोई नहीं रोक सकता है। आत्मविश्वास की कमी आपको अनिर्णायक यानि हमेशा दुविधा में पड़े रहने वाला इंसान बना सकती है। ऐसी स्थिति में आपके भीतर खुद को एक कंफर्ट जोन से बाहर निकालने और ज़िंदगी में किसी तरह का जोखिम उठाने की क्षमता नहीं रह पाती है। कोई भी इंसान अपने जन्म के साथ ही आत्मविश्वास लेकर पैदा नहीं होता है। कुछ लोग अपनी उम्र के साथ जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उसी तरह उनके भीतर आत्मविश्वास भी बढ़ता रहता है। हालांकि, कुछ लोगों को अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करने के लिए जीवन भर काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
हालांकि, शुक्र मनाइए कि आप अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करने के लिए कुछ ज़रूरी उपाय कर सकते हैं और खुद की तरक्की और कामयाबी के लिए इसकी शक्तियों का बखूबी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे पहले कि आप आत्मविश्वास को बढ़ाने वाले उपायों की तलाश करें, आइए जानें कि सही मायने में आत्मविश्वास का आखिर क्या अर्थ है। स्टेटन द्वीप के कॉलेज में दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष मार्क डी व्हाइट के मुताबिक,”यह एक तरह से इस बात की चेतना है कि वास्तव में आप कौन हैं, यह विचार किए बिना कि आप दूसरों किस तरह देखते हैं और उनके बारे में क्या ख्याल रखते हैं। आपका यह व्यवहार लोगों को बताता है कि आप अपने आप में काफी सहज महसूस करते हैं। यह गुण आपको कुछ हद तक एक आत्मविश्वासी, सौम्य और मुखर बनाता है।
संक्षेप में कहें, तो आत्मविश्वास वो आइना है, जो यह बताता है कि आप अपने भीतर किस तरह की अनुभूति करते हैं और आप बाहरी दुनिया के सामने खुद को किस तरह प्रस्तुत करते हैं। यही वजह है कि जीवन में आत्मविश्वास को एक अथाह संपत्ति के रूप में देखा जाता है। अगर आप भी अपना आत्मविश्वास बढ़ाना चाहते हैं और भीड़ में अलग दिखना चाहते हैं, तो इन उपायों को आजमा सकते हैं।
अपनी शक्तिरूपी प्रतिज्ञाओं को बार-बार दोहराएं (Apni shaktirupi pratigyaon ko bar-bar dohrayen)
अगर आपके भीतर का आत्मविश्वास कमजोर या शिथिल पड़ गया है, तो ऐसी स्थिति में आपके द्वारा ली गई प्रतिज्ञाएं इस मामले में काफी काम कर सकती हैं। जब भी लगे कि आपका हौसला टूटकर बिखर रहा है, तो इन शक्तिशाली प्रतिज्ञाओं को बार-बार दोहराएं। इसके बाद आप देखेंगे कि विपरीत हालातों से निपटने के लिए आपके भीतर एक गजब का उत्साह पैदा हो रहा है। मिसाल के तौर पर प्रतिज्ञाएं जैसे कि एक शूरवीर हूं, मैं हार नहीं सकता। इतना करने के बाद लगने लगेगा कि अपने लक्ष्य पर फोकस करने और एक सकारात्मक माहौल बनाने की दिशा में आपको असीम शक्ति मिल रही है।
भले ही ये वाक्य छोटे हैं, लेकिन हर शब्द में गजब की प्रेरणा है। प्रेरणा से भरपूर ये छोटे-छोटे वाक्य आपको किसी भी तरह की विपरीत परिस्थिति से बाहर निकालने में आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। संकल्प यानि प्रतिज्ञाओं की शक्तियों को विज्ञान का भी समर्थन प्राप्त है। विज्ञान के अनुसार, प्रतिज्ञाएं आत्म-जागरूकता से जुड़े ब्रेन सिस्टम को एक्टिव करती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, “प्रतिज्ञाएं हमारे तनाव के स्तर को कम करने में मदद करती हैं और हमारी सेहत को दुरुस्त रखती हैं। इससे शैक्षणिक प्रदर्शन भी काफी बेहतर हो सकता है। प्रतिज्ञाएं लोगों को खुले विचार वाला बनाने में भी मदद करती हैं, जिससे वे अपने व्यवहार में बदलाव लाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।” अब आपको जब भी महसूस हो कि आपका आत्मविश्वास डगमगा रहा है, तो अपने भीतर उत्साह पैदा करने के लिए अपनी प्रतिज्ञाओं को ज़रूर याद करें। इसे अपनी आदतों में भी शामिल करें और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाएं।
आंतरिक आलोचक की पड़ताल करें (Antrik alochak ki padtaal karen)
विपरीत परिस्थिति में आत्मविश्वास आपके भीतर ऊर्जा का संचार करते हैं और आपको प्रोत्साहित करते हैं, वहीं आपके आंतरिक आलोचक आपके सबसे बड़े शत्रु हैं, जो आपकी तरक्की की राह में अवरोध का काम करते हैं। आपके आंतरिक आलोचक आपको भीतर से अपाहिज बना देते हैं और आपको अपने सपनों को साकार करने से रोकते हैं। आंतरिक आलोचक आपको इस बात का अहसास कराते हैं कि आप काबिल नहीं हैं। आप उतने लायक नहीं है और आप दूसरों से काफी कमजोर हैं। आपके आंतरिक आलोचक कुछ नहीं, बस आपका डर है जो हमेशा आपसे बात करता रहता है। अपने भीतर के आलोचक पर तुरंत विराम लगाएं और इन्हें दूर करने की कोशिश करें। आप खुद को शर्मिंदगी का अहसास न कराएं। वो भी उन विचारों के कारण जो आपके भीतर एक नकारात्मकता पैदा करते हैं और कोई भी काम करने से रोकते हैं। आपकी तरक्की की राह में एक रोड़ा का काम करते हैं।
सवाल उठता है कि आप अपने आंतरिक आलोचकों पर विराम लगाने के लिए क्या करते हैं? अगर आप अपने आंतरिक आलोचकों से निजात पाना चाहते हैं, तो आप मेडिटेशन और योग जैसे मानसिक क्रियाओं की मदद ले सकते हैं। मेडिटेशन और योग आपके मन को शांत करने में मदद कर सकते हैं। आपको अपने वर्तमान पर फोकस करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। एक दूसरा सबसे बेहतर तरीका यह है कि कभी भी दूसरों से अपनी तुलना न करें। याद रखें हर इंसान के भीतर कुछ-न-कुछ खूबियां हैं, जो उन्हें सबसे अलग करती हैं। तुलना आपके आंतरिक आलोचकों के लिए एक तरह से खाद-पानी का काम करता है। आप जितनी आलोचना करेंगे, उतनी ही आपके आंतरिक आलोचक मजबूत होंगे। अपने भीतर आत्म-करुणा का भाव पैदा करें। यह आपको न सिर्फ दूसरों से तुलना करने से रोकने में सहायता करेगा, बल्कि आपके आंतरिक आलोचकों पर अंकुश लगाने में भी मदद करेगा।
अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों को याद करें (Apni choti-choti uplabdhiyon ko yaad karen)
जिस तरह एक खराब मैच से यह पता नहीं चल पाता है कि बतौर एक खिलाड़ी आपकी क्या भूमिका रही। जीवन के मामले भी यही बात लागू होती है। जीवन में आए एक बुरे दिन या एक बुरा महीना भर से जाहिर नहीं हो सकता है कि आप एक असफल इंसान हैं। अगर आपके जीवन में जब भी कोई बुरा दौर आए, तो आप अपना आत्मविश्वास न खोएं। बस आप अपनी उन छोटी-छोटी उपलब्धियों को ज़रूर याद रखें, जो आपने अपनी ज़िंदगी में हासिल की है। आपकी ये छोटी जीत ही आपकी काबिलियत और सफलता पाने की दृढ़ इच्छाशक्ति का पुख्ता प्रमाण है। जब भी आप उदास और निराश हों, तो आप अपने उन सुनहरे पलों को याद कर सकते हैं। इससे आप विपरीत हालातों का सामना करने के लिए आप अपने भीतर आत्मविश्वास को फिर से जगा सकते हैं।
अगर युद्ध के मैदान में आपके ऊपर प्रहार हो रहा हो, तो हार मानने की बजाय आप दोबारा खड़े हों और फिर से लड़ें। चाहे लाख विपरीत परिस्थिति आए, लेकिन कभी हार नहीं मानना चाहिए। महान मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली का कथन है, “हार आपके भीतर की एक स्थिति भर है। जब तक हार को वास्तविक तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता, तब तक कोई भी हार नहीं होती है। जीवन में जब भी आपको लगे कि आप लड़खड़ा रहे हैं, तो यह न समझें कि अब तो हम बर्बाद हो गए। सिर्फ आप अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों को याद करें। आप देखेंगे कि आपके भीतर उत्साह पैदा होने लगा है और फिर से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तैयार हैं।
जीवन में रोल मॉडल बनाएं और उनसे सीखें (Jivan mein role model banayen aur unse sikhen)
कोई भी इंसान अगर आसमान की उड़ान भरना चाहता है और चाहता है कि वह बड़े मुकाम हासिल करे, तो जीवन में एक रोल मॉडल होना बहुत ज़रूरी है। रोल मॉडल वे लोग होते हैं, जो कभी उस रास्ते पर चलकर कामयाबी की बुलंदी पर होते हैं, जिस पर आप भी चल रहे हैं। ऐसे लोगों को उन सभी गड्ढों यानि कमजोरियों की बखूबी जानकारी होती है, जिनमें आप फंस सकते हैं या अपने राह से भटक सकते हैं। वे जीवन की राह में आने वाली तमाम चुनौतियों से भी अच्छी तरह अवगत रहते हैं। ऐसे लोग आपको सही राह दिखाने वाले सच्चे मार्गदर्शक बन सकते हैं। आपके जीवन में संभव हो कि एक ऐसा दौर आए जब लग रहा हो कि मेरे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है और आप पराजित और निराश महसूस कर रहे हों, तो उस स्थिति में आपके रोल मॉडल एक उम्मीद की किरण बन सकते हैं। वे आपके अंदर व्याप्त निराशा भाव को दूर कर नई ऊर्जा की संचार पैदा कर सकते हैं। आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने वाले सभी महान नेता, खिलाड़ी, हॉल ऑफ फेम महान लोगों के जीवन में कोई न कोई रोल मॉडल ज़रूर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें बार-बार अपनी काबिलियित पर भरोसा जताने के लिए प्रेरित किया है।
विपरीत हालातों में भी अपना धैर्य न खोएं (Viprit halato mein bhi apna dhairya na khoyen)
जीवन में लाख विपरीत परिस्थिति आए, लेकिन कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए। जिनेवा के दार्शनिक, लेखक और संगीतकार, जीन-जैक्स रूसो कहते हैं, “धैर्य कड़वा होता है, मगर इसका फल मीठा होता है।” एक तरफ धैर्य आपको जीवन में आने वाली चुनौतियों और विपरीत हालात से लड़ने में सहायता करता है, तो वहीं दूसरी तरफ अधीरता आपकी जीती हुई बाजी को भी पलट सकती है। जब कोई इंसान अपना धैर्य खो देता है, तो उसका उत्साह कमजोर पड़ जाता है और आत्मविश्वास हिचकोले खाने लगता है। वह अपनी क्षमताओं पर ही संदेह जताने लगता है, क्या उसके पास वह है जो इसके लिए ज़रूरी है। एक चूक के कारण जीवन की तमाम उपलब्धियां ताश के पत्तों की तरह बिखर जाती हैं। ऐसी स्थिति में आप खुद से सवाल करें कि ऐसा कोई इंसान है, जिसे रातों-रात कामयाबी मिल गई हो। सफलता एक दिन में नहीं मिलती है। सफलता को आप तक पहुंचने में महीनों और यहां तक कई सालों लग जाते हैं। इसलिए जब तक सफलता हाथ न लगे, तब तक अपना हौसला बरकार रखें। सफलता की राह पर चलने के दौरान अपना आत्मविश्वास न खोएं। आपका आत्मविश्वास ही डिग गया, तो आप लंबे रेस का घोड़ा नहीं बन सकते, फिनिशिंग लाइन की तो बात ही छोड़ दें।
आत्मविश्वास को प्रभावित करने वाले कारकों की पड़ताल करें (Atmavishwas ko prabhavit karne wale karkon ki padtaal karen)
जाने-अनजाने में ऐसी तमाम चीजें हो सकती हैं, जो आपके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती हैं। उनमें एक अवधारणा यह है कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोच सकते हैं। वे आपके माता-पिता, यार-दोस्त, करीबी या सोशल मीडिया पर आपके फॉलोअर्स हो सकते हैं। इस तरह की आपकी नकारात्मक सोच आपके आत्मसम्मान को क्षीण कर सकता है और आपको कायर और शंकालु स्वभाव का बना सकता है। इसलिए आप अपने मन से ये ख्याल निकाल दें कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे। आप सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें। ऐसे लोगों दूर रहें जो आपको नीचा दिखाने का कोई बहाना नहीं छोड़ना चाहते हैं। अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करें। आप ऐसे लोगों की शोहबत में रहें जो आपके विचारों से इतेफाक रखते हैं और आपका आत्मविश्वास कम होने पर आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि दिखावा न करें। आप जो हैं, वहीं रहें। अगर आप दूसरों को दिखाने के लिए ऐसा करेंगे, तो आपकी यह सोच आपको कभी भी आगे बढ़ने नहीं देगी। बेहतर होगा कि आप अपनी कमियों को पहचानें और उसे ईमानदारी पूर्वक स्वीकार करें। उन कमियों को दूर करने का प्रयास करें। अगर आप ऐसा करना शुरू कर देंगे, तो जीवन में कभी भी आपका आत्मविश्वास नहीं लड़खड़ाएगा।
अपनी विफलताओं को स्वीकार करें (Apni vifaltaon ko swikar karen)
विफलता सांप का वो विष है, जो आपके आत्मविश्वास को तत्काल मौत के घाट उतार सकता है। कई मामले में तो यह किसी इंसान को इस कदर हतोत्साहित कर देता है कि वह हार मान लेता और संघर्ष करने की बजाय परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देता है। यह बात हमेशा याद रखें कि आप अपने भीतर को डर पर जीत हासिल करके ही कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकते हैं। जैसा कि अमेरिकी लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर, जैक कैनफील्ड ने कहा है। एक अन्य कहावत भी है, “डर के आगे जीत है।” जैक कैनफील्ड के मुताबिक, डर का अर्थ है- विफल होने का भय और जीत के लिए फिर कोशिश नहीं करने का डर। मन में ऐसे ख्याल तब आते हैं, जब आपके भीतर का आत्मविश्वास टूट जाता है। मगर, आप अपने भीतर के डर को नियंत्रित करने की हिम्मत जुटा लेते हैं, तो आप अपने आत्मविश्वास को पुन: हासिल कर सकते हैं। फिर आप नए सिरे से अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ सकते हैं और उन सपनों को साकार कर सकते हैं, जिसे आपने देखा है। आपके ये इरादे कामयाबी और विफलता के बीच अंतर को पाट सकते हैं। जीवन में तमाम विफलताओं के बावजूद ये स्वीकार करें कि असफलता भी ठीक है और एक बार फिर प्रयास करें।