आज के आधुनिक दौर में हर कुछ बदल सा गया है। पहले जहां हम संयुक्त रविवार में रहते थे, वहीं आज अलग-अलग कारणों से परिवार छोटा होते जा रहा है। इसका असर सामाजिक ताने-बाने पर तो पड़ ही रहा है, लेकिन सबसे ज़्यादा असर बच्चों के पालन-पोषण पर हो रहा है। जहां संयुक्त परिवार में बच्चों की देखभाल करने के लिए दादा-दादी से लेकर बुआ और चाचा तक होते थे, वहीं आज ऐसा नहीं है।
परिवार के सदस्यों के पास इतना समय नहीं है कि वो बच्चों को समय दे सकें। इसका असर बच्चों की परवरिश पर दिख भी रहा है। बच्चों को जिस तरह की पेरेंटिंग की ज़रूरत है, वो नहीं मिल पा रही है। उसमें भी सबसे ज़्यादा असर वैसे बच्चों पर हो रहा है, जो सिंगल चाइल्ड हैं। ऐसे बच्चों को भाई-बहन का प्यार और दुलार भी नहीं मिल रहा है। इसलिए इकलौती संतान के लिए भाई-बहनों की कमी को पूरा करने की भी ज़िम्मेदारी माता-पिता पर ही आ जा रही है।
तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सिंगल चाइल्ड के जीवन में भाई-बहनों की कमी को हम कैसे पूरा कर सकते हैं। साथ ही इकलौती संतान के लिए माता-पिता की ज़िम्मेदारी कैसे बढ़ जाती है और वो उसे कैसे पूरा कर सकते हैं।
सिंगल चाइल्ड ज़्यादतर अपने पेरेंट्स पर ही होते हैं निर्भर (Single child zyadatar apne parents par hi hote hain nirbhar)
माना जाता है कि जब भी बच्चा अकेला रहता है, तो वह ज़िद्दी और चिड़चिड़ा हो जाता है। उसे किसी से भी अपना कुछ भी शेयर करना पसंद नहीं आता है। उसे दूसरे बच्चों के साथ खेलना तक पसंद तक नहीं आता है। सिंगल चाइल्ड अपने पेरेंट्स पर ज़्यादा निर्भर होते हैं, वो उनके बिना नहीं रह पाते हैं। ऐसे में ज़रूरी हो जाती है बच्चों की पेरेंटिंग। पेरेटिंग पर निर्भर करता है कि मां-बाप का रिश्ता बच्चों से कितना गहरा होगा। अगर माता-पिता बच्चे की सही ढंग से पेरेंटिंग करेंगे, तो एकल बच्चे भी पॉजिटिव माइंडसेट के साथ आगे बढ़ेंगे और दूसरे बच्चों के साथ सही से रह पाएंगे।
इकलौती संतान को दोस्त बनाने में मदद करें (Eklauti santan ko dost banana mein madad karein)
अगर आप सिंगल चाइल्ड के पेरेंट्स हैं, तो आप बच्चे को भले ही अपना सारा प्यार और केयर देते हैं, लेकिन फिर भी वो अकेलापन महसूस करते हैं। ऐसा देखा गया है कि कम उम्र के बच्चे अपने हम उम्र बच्चों का साथ चाहते हैं, वो उनके साथ खेलना पसंद करते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि बच्चों में सोशल स्किल्स डेवलप करने के लिए और उनका अकेलापन दूर करने के लिए उन्हें दोस्त बनाने में आप मदद करें। साथ ही यह भी कोशिश करें कि आपका बच्चा सोशल गैदरिंग का हिस्सा बने। आप उसे घूमने ले जाएं, हॉबी क्लास में एडमिशन दिलवाएं या फिर समर कैंप में भेजें। हो सके तो रिश्तेदारों के यहां भी ले जाएं, जहां वो अपने उम्र के बच्चों से मिल सके और सामाजिकता को समझ सके।
बच्चे को सिखाएं शेयर और केयर करना (Bacche ko sikhayen share aur care karna)
कुछ बातें बच्चों को सिखानी बहुत ज़रूरी होती हैं। इन्हीं में से दो ज़रूरी बातें हैं शेयर और केयर करना। जब घर में दो या उससे ज़्यादा बच्चे होते हैं, तो बच्चे खुद ही चीज़ों को एक-दूसरे से शेयर करना सीख जाते हैं, लेकिन एकल बच्चे शायद ही इन चीज़ों को सीख पाते हैं। वहीं, अकेले रहने वाले बच्चे केयर का मतलब भी नहीं समझ पाते हैं, लेकिन जब वो दो-चार बच्चों के साथ रहते हैं, तो उनमें इन आदतों का विकास होता है और वो अच्छी तरह समझते हैं शेयरिंग और केयरिंग का मतलब।
ऐसे में ज़रूरी हो जाता है एकल बच्चे के साथ उनके मां-बाप उनके दोस्त बनकर रहें और उसे हर वो चीज़ बताएं, जो वो जानना चाहते हैं। सिंगल चाइल्ड को सीखने की ज़रूरत होती है कि टीम भावना क्या होती है। बच्चे को अपना पसंदीदा सामान अपने चचेरे भाईयों और बहनों से शेयर करने के लिए कहें। जब कोई मुसीबत में हो तो उन्हें दूसरों की केयर करना सिखाएं।
अगर स्थिति ऐसी हो कि कोई दूसरा बच्चा आस-पास ना हो तो खुद बच्चे के साथ शेयरिंग और केयरिंग की प्रैक्टिस करें।
सिंगल चाइल्ड के जीवन में भाई-बहनों की कमी को करें पूरा (Single child ke jeevan mein bhai bahan ki kami ko karein poora)
अगर आप इकलौती संतान के पेरेंटस हैं, तो सबसे ज़्यादा ज़रूरी होता है कि आप उनके दोस्त बनकर रहें, उनकी बातों को सुनें। बच्चा जो भी सवाल पूछे, उसका जवाब दें। उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा समय दें। उनसे उनकी पसंदीदा चीज़ों के बारे में पूछें। बच्चे से उनकी रूटीन के बारे में पूछें, उन्हें क्या खेलना पसंद है, क्या नहीं पसंद। बच्चों के मन में उत्सुकता रहती है ये जानने की कि उनके माता-पिता का बचपन कैसा बीता है, तो उन्हें अपने बचपन के बारे में बताएं। इससे बच्चा आपको दोस्त समझने लगेगा और भाई-बहन की तरह आपसे अपनी बातें शेयर करेगा।
अगर माता-पिता दोनों नौकरी करते हैं, तो कोशिश करें कि कोई एक जल्दी घर आ जाए और बच्चे को सरप्राइज दें। कभी-कभी उन्हें घूमाने के लिए लेकर जाएं। कभी-कभी छोटी-मोटी पार्टी करें, जिसमें आस पास के परिवारों और बच्चों को भी बुलाएं। इससे बच्चे को लोगों से मिलने का मौका मिलेगा और उनका सामाजिक दायरा बढ़ेगा। इससे बच्चे में खुलापन आएगा और वो लोगों के साथ जीना और रहना सीखेंगे।
इस आर्टिकल में हमने सिंगल चाइल्ड के बारे में बताया कि उन्हें क्या परेशानी होती है। साथ ही हमने ये भी बताया कि पेरेंट्स इकलौती संतान को कैसे भाई-बहनों का प्यार दे सकते हैं। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।