रिश्तों में जलन की भावना से खुद को कैसे बचाकर रखें?

ईर्ष्या तब होती है जब हम दूसरों की सफलता या खुशी देखकर अपने आप को कम समझने लगते हैं। हम अपनी तुलना दूसरों से करने लगते हैं और सोचते हैं कि उनके पास ज़्यादा है।

दुनिया में मौजूद हर चीज़ और जीव भगवान के बनाएं हुए हैं। उन्होंने हर जीव-जन्तु को दूसरे से अलग बनाया है, और इस भिन्नता के साथ सबको अपनी-अपनी खूबियां भी दी हैं। एक दूसरे से अलग होने की वजह से हम इंसान अक्सर एक दूसरे को देख कर ईर्ष्या रखने लगते हैं। दूसरों से जलन की भावना रखने के बहुत से कारण हो सकते हैं। दूसरों की तरक्की या उनके पास कोई ऐसी चीज़ जो हमारे पास नहीं हैं, तो उससे भी हमारे मन जलन की भावना पैदा हो सकती है। हालांकि, हमें ये समझना चाहिए की जलन की भावना कोई एक नकारात्मक भावना है जिससे बचना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए लिए बहुत ज़रूरी है। 

लेकिन ईर्ष्या क्यों होती है और ईर्ष्या को कैसे दूर करें चलिए जानते हैं इस आर्टिकल में।  

हमें दूसरों से ईर्ष्या क्यों होती है? (Humein dusron se irshya kyun hoti hai?)

ईर्ष्या तब होती है जब हम दूसरों की सफलता या खुशी देखकर अपने आप को कम समझने लगते हैं। हम अपनी तुलना दूसरों से करने लगते हैं और सोचते हैं कि उनके पास ज़्यादा है। जब आत्मविश्वास कम होता है या अपनी खूबियों का एहसास नहीं होता, तो जलन होती है। कभी-कभी हमें लगता है कि हमने मेहनत की, फिर भी वो हासिल नहीं हुआ जो किसी और को मिला। प्रतिस्पर्धा की दुनिया में यह भावना और बढ़ती है। हालांकि, हमें समझना होगा कि ईर्ष्या एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन इसे संभालना ज़रूरी है। अगर हम अपनी खूबियों को पहचानें और दूसरों की सफलता को प्रेरणा मानें, तो इससे बचा जा सकता है, और मानसिक स्वास्थ्य (Wellbeing) का ध्यान रखा जा सकता है।

रिश्तों में ईर्ष्या को कैसे दूर करें? (Rishton mein irshya ko kaise door karein?)

आज के समय में जीतने से ज़्यादा दूसरे को हारा हुआ देखने की इच्छा लोगों में अधिक प्रबल हो रही है, वहीं रिश्तों में भी एक दूसरे से कॉम्पीटिशन रखना आम हो गया। हालांकि, ऐसी भावना रखना ठीक नहीं है। इसलिए चलिए जानें, रिश्तों में ईर्ष्या को कैसे दूर करें?

आत्मविश्वास को बढ़ाएं 

जब हम खुद पर भरोसा नहीं करते, तो दूसरों की जीत हमें कम महसूस कराती है, यह जलन की वजह है। आत्मविश्वास बढ़ाकर अपनी खूबियों को पहचानें और उन्हें निखारें। अगर कोई कमी महसूस हो, तो उसे सीखें। खुद से कहें, “मैं भी अपनी तरह से खास हूं,” और सोचें, “उसने मेहनत की है, मैं भी कर सकता/सकती हूं।”

सकारात्मक सोच रखें 

नकारात्मक सोच जलन को बढ़ाती है। जब आप दूसरों की सफलता को अपने लिए खतरा मानते हैं, तो आप खुद को दुखी करते हैं। इसलिए सकारात्मक सोचें क्योंकि सकारात्मक सोच रिश्तों को मजबूत बनाती है और जलन को कम करती है। दूसरों की उपलब्धियों से सीख लें। अपनी सोच को बदलें और खुद से कहें, “यह मेरी प्रेरणा है, मुझे भी ऐसा करना है।” अगर आपका साथी या दोस्त किसी बात में सफल है, तो उसकी तारीफ करें और उससे सीखने की कोशिश करें। अपने प्रयासों पर ध्यान दें, न कि दूसरों पर।

खुद को व्यस्त रखें

खाली समय में दिमाग नकारात्मकता की ओर जाता है, जिससे जलन जैसी भावनाएं बढ़ती हैं। खुद को रचनात्मक कामों में व्यस्त रखें, जैसे संगीत, पेंटिंग, या नई स्किल्स सीखना। एक रूटीन बनाकर समय का सही इस्तेमाल करें। अगर किसी की तरक्की से जलन हो, तो सोचें, “मैं भी नई स्किल सीखकर अपनी तरक्की की शुरुआत करूंगा/करूंगी।”

तुलना न करें 

दूसरों से तुलना आपकी खुशियां छीन लेती हैं। आप अपनी ज़िंदगी को उनके हिसाब से आंकने लगते हैं। तुलना की बजाय विभिन्नताओं को समझें। इससे आप अपनी जिंदगी पर फोकस कर पाएंगे और अपनी खास पहचान को महसूस कर पाएंगे। अपनी खूबियों को पहचानें और उन्हें बेहतर बनाएं। दूसरों की ज़िंदगी को उनके नज़रिये से देखें और अपनी सीमाओं को समझें। अगर किसी दोस्त की नौकरी या लाइफस्टाइल आपसे बेहतर लगे, तो सोचें, “मेरे पास भी बहुत कुछ है, जो मुझे खुश रख सकता है।”

सही लोगों के साथ रहें

सकारात्मक सोच वाले लोगों से दोस्ती करें, क्योंकि नकारात्मक लोग हमारी भावनाओं को कमजोर कर सकते हैं। मोटिवेटेड लोगों के साथ रहने से हमारी सोच और व्यवहार पर अच्छा असर पड़ता है। ऐसे दोस्तों का साथ चुनें जो हमें प्रेरित करें। अगर किसी दोस्त के साथ समय बिताने के बाद तनाव महसूस हो, तो उससे दूरी बनाएं और खुशमिज़ाज लोगों के साथ जुड़ें।

खुलकर बात करें

जब आप जलन को दबाते हैं, तो यह बढ़ती है और रिश्तों में दूरी बनाती है। खुलकर बात करने से गलतफहमियां दूर होती हैं और मन हल्का होता है। अगर जलन हो, तो इसे शांति से अपने साथी या दोस्त को बताएं, लेकिन सकारात्मक तरीके से। अगर लगता है कि साथी किसी और को ज़्यादा समय दे रहा है, तो सीधे पूछें, “क्या हम ज़्यादा समय साथ बिता सकते हैं?” इससे रिश्ते में खुलापन और ईमानदारी बढ़ेगी।

योग और ध्यान करें 

ज़िंदगी की परेशानियों का इलाज योग और ध्यान में है। मन अशांत होने पर नकारात्मक विचार आते हैं, लेकिन योग और ध्यान से मानसिक शांति मिलती है। रोज 10-15 मिनट ध्यान करें और गहरी सांस लें। योग से शरीर और मन मजबूत होते हैं, और ध्यान जलन जैसी भावनाओं को काबू करने में मदद करता है।

रिश्तों में विश्वास रखें 

जलन तब होती है जब रिश्तों में भरोसा कम हो जाता है। विश्वास और पारदर्शिता इसे कम करते हैं, इसलिए रिश्तों में खुलापन और समय दें। अपने करीबियों को समझाएं कि आप उनकी परवाह करते हैं। अगर साथी या दोस्त किसी और को ज़्यादा महत्व दे रहा है, तो अपनी भावनाएं उनके सामने रखें। 

जलन को समझकर, सकारात्मक सोच अपनाकर और रिश्तों में विश्वास बनाए रखने से इसे खत्म किया जा सकता है।

इस तरीके से आप बेहतर इंसान बनेंगे और रिश्ते मजबूत होंगे। ऐसे आर्टिकल सोलवेदा हिंदी पर पढ़ते रहें।