राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस: दुर्घटनाओं से नागरिकों को बचाने की एक मुहिम

हर साल चार मार्च को देश में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मकसद है दुर्घटनाओं को रोकना। अब राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस एक सप्ताह तक 4 मार्च से 10 मार्च तक मनाया जाता है।

मेरा घर हाइवे के सामने है। हर दो महीने पर मुझे किसी न किसी दुर्घटना की खबर मिल जाती है। कब रोड एक्सीडेंट तो कभी कुछ और। एक दुखद खबर जब मेरे मन में इतने दिनों तक घर कर सकती है तो सोचकर देखिए जिसके साथ बीतती होगी, उसे कैसा लगता होगा। कहते हैं होनी को कोई नहीं टाल सकता, मगर हम ऐहतियात तो बरत सकते हैं।

मुझे लगता है दुर्घटना रोकी जा सकती है अगर इसके लिए नियम सही बनें हों और लोग उसका सही तरह पालन करें। सड़क पर ही अगर सब अच्छी तरह गाड़ी चलाने लगे तो दुर्घटना नाम मात्र की रह जाएगी। सोचने वाली बात है क्या अपने आप कहीं आग लग जाती है, एक्सीडेंट हो जाता है, कोई घर की छत से गिर जाता है, मजदूर काम करते वक्त घायल हो जाते हैं या फिर धुएं में किसी का दम घुट जाता है। नहीं, इस सबके पीछे एक लापरवाही ज़ोरों से हंस रही होती है। एक लापरवाही या नज़रअंदाज़गी जो कई लोगों की ज़िंदगी उजाड़ देती है।

इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए हमें जागरूक करता है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety Day)। आइए इसके बारे में और जानें।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस कब मनाया जाता है? (Rashtriya Suraksha Divas kab manaya jata hai?)

भारत में हर साल दुर्घटना में हज़ारों लोगों की जान चली जाती है। कई परिवार अपनों को खो देते हैं। इन दुर्घटनाओं में लोगों की जान बचाने और जागरूक करने के लिए सरकार की ओर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। साथ ही कई संस्थाओं की ओर से भी लोगों को जागरूक किया जाता है।

हर साल 4 मार्च को देश में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मकसद है दुर्घटनाओं को रोकना। अब राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस एक सप्ताह तक 4 मार्च से 10 मार्च तक मनाया जाता है। हर बार की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस 2024 भी बिल्कुल इसी तारीख को और एक सप्ताह के लिए भी मनाया जाएगा।

तो चलिए इस राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के अवसर पर सोलवेदा हिंदी के साथ जानते हैं कि कैसे राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, दुर्घटनाओं से नागरिकों को बचाने की एक मुहिम है। साथ ही हम इस दिवस के महत्व के बारे में भी बताएंगे और इससे जुड़े इतिहास के बारे में भी जानकारी देंगे।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का इतिहास (Rashtriya Suraksha Divas ka itihas)

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस को मनाने की शुरुआत 4 मार्च 1972 को हुई थी। इसी दिन भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने 1966 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद यानी नेशनल सेफ्टी काउंसिल (National Safety Council) की स्थापना की थी।
इसी संस्था ने आगे चलकर 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का फैसला किया। इसके बाद से हर साल यह दिवस मनाया जाता है। नेशनल सेफ्टी काउंसिल भारत के लोगों की सुरक्षा के लिए काम करता है। इस संस्था की पहल से भारत में दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है। यह संस्था दुर्घटनाओं से बचने के लिए अलग-अलग सुरक्षा उपाय करने के लिए लोगों को प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का महत्व (Rashtriya Suraksha Divas ka mahtv)

भारत में कई ऐसी जगहों हैं, जहां काम के दौरान दुर्घटनाएं होती हैं। इसके कारण आम लोगों और कर्मचारियों की जान खतरे में पड़ जाती है या फिर उनकी मौत हो जाती है। इसी को देखते हुए और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं। इन्हीं को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस जैसे दिनों का महत्व बढ़ जाता है, क्योंकि इस दौरान अभियान चलाकर और लोगों को जागरूक करके दुर्घटनाओं को कम करने के उपाय पर काम किए जाते हैं।

कैसे है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस जान बचाने की एक मुहिम? (Kaise hai Rashtriya Suraksha Divas jaan bachane ki ek muhim?)

एक समय था, जब फैक्ट्रियों या इसी तरह के अन्य जगहों पर लोगों की जान जाना आम बात थी। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से इसे कम करने का प्रयास लगातार जारी है। इस तरह के आयोजनों से कर्मचारियों के सुरक्षा को सही किया जा रहा है।

फैक्ट्री सलाह सेवा और श्रम संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 से लेकर 2020 के बीच देश में रजिस्टर्ड फैक्ट्रियों में दुर्घटना में हर दिन तीन लोगों की मौत हुई। वहीं, हर दिन 11 लोग घायल हुए। इस रिपोर्ट में बताया गया कि ज़्यादातर दुर्घटनाएं जागरूकता की कमी की वजह से हुईं। ऐसे में इसको कम करने के लिए भी पहल की जा रही है।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के तहत कंपनी के कर्मचारी से लेकर मालिकों को सुरक्षा क्यों ज़रूरी है, इसके बारे में बताया जाता है। साथ ही इसके द्वारा दुर्घटना से बचाव के बारे में भी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा सुरक्षा के बारीकियों के बारे में भी जागरूकता फैलाई जाती है। इस दिन कर्मचारियों को बीमारियों से सुरक्षा और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों को भी बढ़ावा दिया जाता है। जब से नेशनल सेफ्टी काउंसिल की स्थापना हुई, तब से दुर्घटनाओं की दरों में कमी आई है।

उम्मीद है कि वक्त के साथ दुर्घटनाओं से देश के नागरिकों को पूरी तरह से आज़ादी मिलेगी। तब तक लिए अगर व्यक्ति अपने स्तर पर कोशिश करें और सचेत रहे तो कई दुर्घटनाओं को होने से पहले ही रोका जा सकता है।

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