राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस

राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस: पालतू जानवर हमारे बच्चे जैसे

सच में पालतू जानवर हमारे परिवार का हिस्सा होते हैं, या यूं कहें तो वो घर के सबसे छोटे और प्यारे बच्चे होते हैं। उन्हें बोलना भले ही न आता हो पर भावनाओं को समझने में एकदम आगे रहते हैं। उन्हें प्यार, नफरत और हमारा दर्द सब समझ आता है।

मैं बचपन से पेट लवर (पशु प्रेमी) नहीं थी, पर ज़िंदगी में एक प्यारे और नन्हें दोस्त के आने से जैसे मेरी पूरी दुनिया ही बदल गई। वो दोस्त मुझे किसी पेट शौप पर नहीं बल्कि एक पार्क की सूखी नाली में घायल और ठंड में ठिठुरता हुआ मिला।

वो छोटा और मासूम पिल्ला शायद गलती से उस नाली में जा गिरा था और गिरने से ही उसे वो चोट लगी थी। वो दर्द से कराह रहा था और पार्क में मौजूद सभी लोगों की नज़रों से दूर था, इसलिए शायद मुझसे पहले किसी ने उसकी मदद नहीं की। उस असहाय की दर्द से भरी आंखें देखकर जाने क्या हुआ कि मेरा दिल पसीज गया और मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया।

वो मेरी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखने लगा, मैंने भी उसकी उम्मीद बरकरार रखी और उसे उठा कर डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर ने मुझे बताया कि उसे ये चोट पिछली रात लगी है और बेचारा पूरी रात मदद के इंतजार में तड़पता रहा है। मुझे ये सुनकर बहुत दुख हुआ। उसको डॉक्टर को दिखाने के बाद में उसे अपने साथ अपने घर ले गई। घर पहुंचकर मैंने उसे अपनी एक पुरानी शौल में लपेट दिया और पीने के लिए दूध दिया। इस तरह उसकी और मेरी दोस्ती की शुरुआत हुई। दो दिन मेरे घर रहने के बाद वो बिल्कुल ठीक हो गया।‌ घरवालों ने कहा कि अब मुझे उसे वहां छोड़ आना चाहिए, जहां से मैं उसे लेकर आयी थी यानी वो पार्क जहां वो रहता था, जहां उसका परिवार था। मगर, मेरा मन तो कुछ और ही चाहता था। मुझे उस नन्हें बेजुवान की दोस्ती अच्छी लगने लगी थी। वो ठीक होने के बाद मेरे साथ खेलता था। घर में जहां मैं जाती वहां मेरे पीछे-पीछे आता। जब मैं उसके लिए खाना लाती तो भाऊ-भाऊ करके मुझसे बात करता और खुशी से अपनी पूंछ हिलाता।

एक दिन फिर मैंने सोचा कि मुझे उसे वहां छोड़ देना चाहिए, जहां उसे रहने की आदत है। अपने दिल पर पत्थर रख कर, उसी शाम मैंने उसे पार्क में ले जाकर छोड़ दिया। मगर, जब मैं घर लौटी तो मैंने देखा कि वो मेरे पीछे-पीछे घर तक आ चुका था और मुझे ये समझ आ गया कि वो भी मेरे साथ ही रहना चाहता है। फिर क्या था वो मेरे साथ फिर से रहने और खेलने लगा। वो मेरे परिवार का एक ज़रूरी हिस्सा बन गया। घर में हर कोई उसके खाने का ख्याल रखता और उसे एक बच्चे की तरह प्यार करता।

सच में पालतू जानवर हमारे परिवार का हिस्सा होते हैं, या यूं कहें तो वो घर के सबसे छोटे और प्यारे बच्चे होते हैं। उन्हें बोलना भले ही न आता हो पर भावनाओं को समझने में एकदम आगे रहते हैं। उन्हें प्यार, नफरत और हमारा दर्द सब समझ आता है। जानवर कभी किसी का दिल नहीं तोड़ते, वो तो बस प्यार देना जानते हैं और बदले में हमसे थोड़ा-सा अपनापन और प्यार की उम्मीद रखते हैं। तो चलिए हम और आप जानते हैं राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस के मायने और ज़रूरत के बारे में।

पालतू जानवर हमारी भाषा समझते हैं (Paltu janwar humari bhasha samajhte hain)

पशुओं को पालने का रिवाज, आज से नहीं बल्कि आदिकाल से चला आ रहा है। जब दुनिया की शुरुआत हुई तब भी लोग अपनी रक्षा और ज़रूरत के लिए पशुओं को पालते थे। गाय, भैंस, बगरी, बैल, ऊंट और कुत्ते-बिल्लियों को हम हमेशा से अपने फायदे के लिए पालते रहे हैं। हम उन्हें अपने घर में जगह देते हैं, क्योंकि बदले में वो हमारे काम आते हैं। पर ये तो ग़लत है न। अपने फायदे के लिए हम भूल जाते हैं कि उन बेजुबानों की सिर्फ जुबान नहीं है, पर इमोशन्स तो हम सब जैसे ही हैं। उन्हें भी दर्द होता है। उन्हें भी कैद पसंद नहीं होती।

क्या हम पूरे दिन किसी एक बंद कमरे में रह सकते हैं? नहीं। तो फिर उनको कैद करने से पहले हम क्यों नहीं सोचते? हम उन्हें दूध देने के लिए मजबूर करते हैं और उनकी खरीदी-बेची करके पैसे कमाते हैं। भला जानवरों पर भी किसी का अधिकार हो सकता है? वो तो हमारी ही तरह आज़ाद पैदा हुए हैं फिर लोग उन्हें किसी सामान की तरह क्यों खरीद और बेच देते हैं। हमें सही और गलत के इस फर्क को समझना होगा।

जानवर हम पर खाने और रहने के लिए भले ही निर्भर रहते हो, पर उसके बदले क्या वो लोग भी हमारे साथ हिंसा और बुरा बर्ताव करते हैं? नहीं न! फिर हमें भी ऐसा नहीं करना चाहिए। हम जानवरों को पाल सकते हैं पर उन्हें तकलीफ देने के लिए नहीं बल्कि उन्हें अपना बनाने के लिए हमें ऐसा करना चाहिए।

आप जानते हैं, वो लोग हमारे दिए हुए एक टुकड़े के बदले हमारी रक्षा करने के लिए खड़े हो जाते हैं। सच में वो बिना बोले हमारी भाषा समझते हैं। हमें उन्हें प्यार और आज़ादी देने की ज़रूरत है। पशु और इंसान के अधिकार एक बराबर ही हैं। इस बात का एहसास कराने के लिए एक दिन मनाया जाता है जिसे, राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस कहा जाता है। राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस हमें इस बात को समझाने के लिए ही मनाया जाता है कि हमारे और जानवरों के बीच का ये अनोखा और प्यार से भरा रिश्ता हमेशा कायम रहे।

राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस (Rashtriya Paltu Premi Divas)

20 फरवरी को, हम राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस मनाते हैं। राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस इंसानियत के एक खास गुण को अपनाने का दिन है, जो हमें इंसान बनाता है। पालतू जानवरों के लिए हमारा प्यार एक ऐसा गुण है जो इंसानों को बाकी पशु साम्राज्य से अलग करता है। लेकिन, हम जो एक बहुत बड़ी ग़लती करते हैं वो है, जानवरों को पालतू जानवर के रूप में बहुत लंबे समय तक रखने की। जैसा कि मैंने ऊपर कहा कि हमें अपने पालतू जानवरों को कैद में नहीं बल्कि अपने साथ खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए। वो हमारे साथ हमारे जीवन का हिस्सा बनने के लिए हैं, न कि हमारा उनके जीवन पर अधिकार है। राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस लोगों को यही बात समझाने के लिए मनाया जाता है।

लव योर पेट डे के मायने (Love Your Pet Day ke mayane)

पालतू जानवर चाहे कोई भी हो पर सबको प्यार की ज़रूरत होती है। पालतू हमसे कोई पैसा या मंहगी चीज़ नहीं मांगते। वो तो हमसे बस प्यार, अपनापन और थोड़ा सा वक्त मांगते हैं। लव योर पेट डे या राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस हमें हमारे पालतू जानवर की अहमियत और प्यार के मायने समझाने के लिए मनाया जाता है।

क्या आप जानते हैं, किसी जानवर के साथ थोड़ा वक्त बिताने से हमारे दिमाग में ऑक्सीटॉसिन रिलीज होता है। ऑक्सीटॉसिन एक रसायन है, जो हमारे दिमाग में खुशी और शांति का स्तर बढ़ाता है। देखा जानवर हमारे लिए कितने फायदेमंद होते हैं। जानवर और इंसान का रिश्ता सालों पुराना है। वो सिर्फ हमारी रक्षा या ज़रूरतें पूरी करने के लिए नहीं होते, उनके साथ वक्त बिताना हमारे शरीर और मन को भी दुरुस्त रखता है। तो चलिए लव योर पेट डे या राष्ट्रीय पालतू प्रेमी दिवस पर हम और आप मिलकर अपने पालतू जानवरों को थैंक्यू कहें।

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