हम एक ऐसे समय में जी रहें हैं, जहां पैसों से खरीदे जाने वाले ऐशो-आराम लगभग हर इंसान के लिए आदर्श बन गए हैं। खुशी और सफलता का पैमाना अब ये है कि आपके पास घर, गाड़ी, एसी, टीवी आदि है या नहीं। समाज में माना जाने लगा है कि जितनी सुविधाएं आपके पास रहेंगी, आप उतने ही खुश रहेंगे।
लेकिन, दूसरी तरफ इसका एक और पहलू है, जहां लोग कम उपभोग या सोच-समझकर किए जाने वाले उपभोग पर ध्यान दे रहें हैं, ताकि इससे उन्हें सच्ची खुशी मिले। जीवन में सादगी को अपनाना कोई नई बात नहीं है, मगर अब ये ज़रूरत से ज्यादा उपभोग के खिलाफ एक नई मुहिम के रूप में सामने आ रही है। इसके अलावा, एक शोध में यह भी देखा गया है कि जो लोग सामान और सुविधाओं के पीछे अधिक रहते हैं, वे अपने जीवन में कम संतुष्ट होते हैं।
आज के समय में ज़्यादातर लोग सच्ची खुशी के लिए सादगी भरा जीवन जीना चाहते हैं। हालांकि, सादगी भरा जीवन जीने का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी सारी चीजें दान कर दें और एक संन्यासी की तरह अपनी ज़िंदगी गुजारने लगें। इसका मतलब यह है कि हम एक ऐसी लाइफस्टाइल को अपनाएं जहां हम उन चीजों पर ध्यान दें जो असल में मायने रखती हैं। जो चीजें हमारे मन की शांति को भंग करती है या हमारा ध्यान भटकाती हैं, हमें सिर्फ उन चीजों को अपनी ज़िंदगी से बाहर करना है।
सबसे पहले अपने घर के सामान पर ध्यान दें (Sabse pahle apne ghar ke saman par dhyan den)
सादगी भरा जीवन जीने के लिए सबसे पहले आपको अपने घर में रखे सामान या संपत्ति की ओर ध्यान देना होगा। अपने घर को अच्छी तरह देखें और सोचें कि मौजूदा सामान में से हर दिन आपको कितने सामान की ज़रूरत पड़ती है। ध्यान से देखें कि जो सामान आपके घर में है, क्या वो आपके काम आ रहा है या फिर घर के अलग-अलग हिस्सों में जगह लेकर सिर्फ धूल से ढंका पड़ा है। काम में न आने वाले घर के सामान, सिर्फ घर की खाली जगह को भरते हैं, जो आपके लिए एक नेगेटिव एनर्जी की तरह काम करने लगता है। बिखरे हुए सामान से खचाखच भरा हुआ घर देखने में ही अच्छा नहीं लगता है, तो फिर वहां रहने वाले लोगों पर इसका बुरा ही प्रभाव पड़ेगा। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो सबसे पहले एक लिस्ट तैयार करें कि आपको घर में किन सामान की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है। इस लिस्ट में वो सब कुछ लिखें जो आप न के बराबर इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि कपड़े, फर्नीचर, जूते आदि। इसके बाद इन चीजों को उन लोगों को दान करें, जिन्हें इनकी आपसे ज्यादा ज़रूरत है। ऐसा करने से भी आपको सच्ची खुशी का एहसास होगा।
आभार व्यक्त करना सीखें (Aabhar vyakt karna sikhen)
हम नई चीजों को पाने की जल्दी में अक्सर एक पल के लिए रुककर उन चीजों के लिए खुश होना और आभार व्यक्त करना भूल जाते हैं, जो हमारी ज़िंदगी में पहले से मौजूद हैं। इनमें से कई चीजें ऐसी होंगी जिनके लिए भी आपने किसी दिन सपना देखा होगा। मगर, आज जब वो सालों से आपके पास है, तो उसकी अहमियत उन चीजों से कहीं कम लगने लगती हैं, जो आपके पास आज नहीं है या जिसे पाने के सपने आप आज देख रहे हैं।
कब आखिरी बार आपने खुद से ये सवाल किया था कि ‘क्या मेरे पास जो भी है, वो मेरे लिए काफी है?’ ‘क्या मैंने कभी अपने परिवार और दोस्तों को उनकी मदद के लिए शुक्रिया कहा है?’
सुख-सुविधाओं से भरी जीवनशैली के पीछे भागते-भागते, हम अपनी ज़िंदगी में मौजूद खुशियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। सपनों के पीछे भागना बिल्कुल सही है, मगर जीवन में आने वाली छोटी-छोटी खुशियों को भी हमें नहीं भूलना चाहिए। आप एक डायरी में हर उस चीज को लिख सकते हैं, जिसके लिए आप भगवान के, परिवार के, दोस्तों के या फिर खुद के आभारी हैं। जो भी लोग आपकी ज़िंदगी को खूबसूरत बना रहे हैं, उन्हें हर बार शुक्रिया कहें। अपनी खुशियों को दूसरों के साथ बांटना भी सीखें।
सोशल मीडिया से दें खुद को छुट्टी (Social Media se den khud ko chutti)
सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा बन चुका है, जिसे चाहकर भी हम अलग नहीं कर सकते। सोशल मीडिया ऐप्स का अधिक इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, “जो लोग सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गंभीर आदत लग सकती है, भले ही वे इसका इस्तेमाल करते वक्त तनाव महसूस करते हों।”
अगर, आप जीवन में सादगी अपनाना चाहते हैं, तो अपने तनाव से लड़ने का तरीका ढूंढें। हर दिन सोशल मीडिया पर कम से कम समय बिताएं। सोशल मीडिया ऐप्स पर चैट या ब्राउज़ करते समय ध्यान दें कि आप इनपर कितना समय बिता रहें हैं। इस पर नज़र रखने के लिए ऐप्स पर रिमाइंडर सेट करें या अपने स्मार्टफोन पर अलार्म लगाएं। सबसे ज़रूरी बात यह है कि सोने से पहले सोशल मीडिया पर ज्यादा समय न बिताएं, क्योंकि यह आपकी नींद खराब कर सकता है।
स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, “सोने से पहले सोशल मीडिया चेक करना, ईमेल भेजना या न्यूज देखना आपकी नींद को उड़ा सकता है, क्योंकि रात के समय इलेक्ट्रॉनिक्स की डिजिटल स्क्रीन से आने वाली लाइट, नींद को बिगाड़ सकती है।” एक बार जब आप अपने सोशल मीडिया के इस्तेमाल को कंट्रोल कर लेते हैं, तो आपको नींद भी अच्छी आने लगेगी और आप तनाव भी कम महसूस करेंगे, जिससे आपको एक सादगी भरा जीवन जीने में मदद मिलेगी।
ध्यान लगाने की कोशिश करें (Dhyan lagane ki koshish karen)
मेडिटेशन यानि ध्यान लगाना सबके लिए फायदेमंद है, यह सिर्फ साधु-संन्यासियों के लिए ही नहीं है। आपको भी मेडिटेशन करने से काफी फायदा मिल सकता है। हाल में, मेडिटेशन ने दुनिया-भर में लोक्रियता हासिल की है, क्योंकि इसे कोई भी कर सकता है। एकाग्र मन से ध्यान लगाने पर आप उन चीजों पर फोकस कर सकते हैं, जो वर्तमान में हो रही हैं। आज तेजी से बदलते दौर में लोग वर्तमान के बारे में कम और आने वाले समय के बारे में ज्यादा सोचते हैं या फिर बीते हुए समय को सोचकर उदास होते रहते हैं। आज के समय में आपका ध्यान भटकाने के लिए हजार चीजें मौजूद हैं। एक बार अगर आप मेडिटेशन से आंतरिक खुशी पाने लगते हैं, तो आप महसूस करेंगे कि बाहर की चीजें आसानी से, आपका ध्यान नहीं भटका पा रही हैं। यह आदत आपको एक सादा लेकिन समृद्ध जीवन जीने में मदद करेगी।