जब ज़िंदगी एक ढांचे में फंस गई हो, तो खुद को ऐसे करें प्रेरित

जब आपके भीतर कुछ कर गुजरने का जज्बा कमजोर पड़ने लगे, तो इस स्थिति को आप एक सबक के रूप में लें और मान लें कि यह खुद के अंदर बदलाव लाने का एक इशारा भी है।

जब आपकी ज़िंदगी किसी खास ढांचे में ढल जाती है, तो स्वाभाविक रूप से किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता है। काफी उदासीन महसूस होने लगता है। भले ही वह काम आपके लिए खास क्यों न हो। वह भी उस वक्त जब आपके सामने काम की लंबी फेहरिस्त हो और डेडलाइन गले पर तलवार की तरह लटकी हो। इसके बाद जीवन नीरस लगने लगता है। ऐसी स्थिति में आप प्रेरणा ढूंढते हैं। सुबह के वक्त बेड से उठना भी आपको किसी पहाड़ जैसा काम लगने लगता है। काम में ज़रा भी मन नहीं लगता है और प्रत्येक दिन एक सामान्य और साधारण जैसे प्रतीत होता है। साधारण शब्दों में कहें, तो जीवन में किसी प्रकार का उत्साह नज़र नहीं आता है।

जब ज़िंदगी खास दायर में गोल-गोल रेंगती रहती है, तब आपके भीतर भी मोटिवेशन (Motivation) की कमी आने लगती है। जब आप नीचे गहराई में देखेंगे, तो जीवन बिल्कुल खोखला नज़र आएगा। लेकिन, जब आप सतह की तरफ देखेंगे, तो ज़िंदगी बेहतर लगने लगेगी। आप भी अपनी ज़िंदगी इस तरीके से जिएंगे तो आपको दोष नहीं नज़र आएगा। लेकिन, हकीकत यह है कि जब आप इस तरीके से सोचने लगते हैं, तो उस गड्ढे में गिरने लगते हैं, जहां से आसानी से बच पाना मुश्किल है। जब तक कि आप उस परिस्थिति को अपने ढंग से निकलना नहीं सीख लेते हैं। तब तक आप किसी न किसी तरह की प्रेरणा ढूंढते हैं।

जब आपके भीतर कुछ कर गुजरने का ज़ज्बा कमजोर पड़ने लगे, तो आप प्रेरणा ढूंढते हैं। इस स्थिति को आप एक सबक के रूप में लें और मान लें कि यह खुद के अंदर बदलाव लाने का एक इशारा भी है। आपको अपनी ज़िंदगी को एक नए रास्ते की तरफ रूख करने की ज़रुरत है। एक बार जब नए रास्ते की ओर अपनी पहिया रूपी ज़िंदगी को घुमा देते हैं, तब आपको नए तरीके से जीवन जीने और मुकाम हासिल करने के लिए जुनून व जोश की ज़रुरत पड़ती और आप प्रेरणा ढूंढते हैं। इस लेख में कुछ ऐसे टिप्स दिए गए हैं, जिसके माध्यम से आपको प्रेरणा मिल सकती है।

अपना स्पष्ट लक्ष्य बनाएं (Apna spasht lakshya banaye) 

शुरुआत से ही आपके लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए। इसके बाद अपने लक्ष्यों के समूह की सूची तैयार कर उस पर चिंतन-मंथन करने की ज़रुरत है, ताकि भविष्य में आसानी से उन्हें प्राप्त किया जा सके। जब आपके लक्ष्य तय हो जाते हैं, तो आपकी सोच को हकीकत में बदलने में काफी सहूलियत होती है। ज़िंदगी में आपके जोश और जुनून बरकार रहे, इस पर फोकस बनाए रखने में लक्ष्य एक खास मार्गदर्शक का काम करता है और आपकी प्रेरणा ढूंढने का काम भी पूरा हो जाता है। अपने लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें और एक-एक कर उन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयास करें। इस दौरान आप अपने अंदर हो रहे बदलाव पर भी नज़र रखें कि किस स्तर पर पहुंच चुके हैं। जब भी आप अपने लक्ष्य को तय करते हैं, तो खुद की भी हौसला अफजाई करें।

हालात से बखूबी वाकिफ रहें (Halat se bakhubi wakif rahen)

अक्सर आपको ज़िंदगी के किसी मोड़ पर बंधा-बंधा हुआ लगता होगा। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आपको अपने वर्तमान परिस्थिति को मानने से डर लगता है और आप प्रेरणा ढूंढते हैं। आपके भीतर का डर आपको ज़िंदगी में रिस्क लेने और लक्ष्य को पाने में बाधा बन सकता है। अगर आप इस अज्ञात भय का मजबूती से मुकाबला नहीं करेंगे, तो आप अपनी तरक्की को बिगाड़ सकते हैं। इस स्थिति से निकलने के लिए आप अपने वर्तमान हालात से बखूबी वाकिफ रहें। ज़िंदगी में व्याप्त असंतोष के कारकों के प्रति सजग रहें। खुद के अंदर उत्साह पैदा करने के लिए अपनी सजगता का इस्तेमाल करें, ताकि आप अपने मुकाम हासिल कर सकें, जो आप चाहते हैं। हताशा या विफलता की क्षमता आपकी तरक्की के रास्ते में अवरोधक नहीं बननी चाहिए और आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा को ढूंढें।

खुद को कम्फर्ट जोन के दायरे से बाहर निकालें (Khud ko Comfort Zone ke dayre se bahar nikale)

आमतौर हर इंसान अपने चयन पर सवाल खड़े करने की बजाय तत्कालीन परिस्थितियों के बीच ही रहना चाहता है, क्योंकि वह उसे सुविधाजनक लगता है। ऐसे में आप आराम फरमाने के आदी हो जाते हैं और अपने पुराने हैबिट्स और तौर-तरीकों में फेरबदल लाने में आपको दिक्कत होने लगती है। लक्ष्य का निहितार्थ वर्तमान स्थिति को चुनौती देने और उसमें बदलाव से जुड़ा हुआ। यह कम्फर्ट जोन के दायरे से बाहर निकलने पर ही संभव है। अपनी सोच के अनुरूप एक बार जब अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं, तो आपके भीतर बैठा असंशय का भाव पूरी तरह खत्म हो जाता है। आपको एक नया स्किल मिल जाता है, जिससे आप अपने दूसरे लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने अंदर नया जोश और जुनून पैदा करते हैं। साथ ही किसी तरह की प्रेरणा ढूंढते हैं।

अपना उत्साह हमेशा बुलंद रखें (Apna utsah hamesha buland rakhen)

हम लोगों में से अधिकतर लोग भली-भांति वाकिफ हैं कि हमारे मन:स्थिति को कौन-सी चीज़ बुलंदी पर ले जाती है। इसके लिए चाहे तो आप पसंदीदा म्यूजिक सुन सकते हैं या अपने फ्रेंड्स के साथ बातचीत कर सकते हैं। अपने डेली लाइफ में इस तरह की एक्टिविटी को बढ़ावा देकर और हर छोटी-छोटी सफलता पर खुशी जाहिर कर आप अपने भीतर नए जोश और जुनून का संचार कर सकते हैं। आप ऐसे लोगों की संगत में रहें, जिनकी सोच सकारात्मक और गुणी हों। अपने लक्ष्यों और इच्छाओं को अपने घरवालों और अजीज साथियों के साथ भी शेयर करें। आपका जोश और जुनून बरकार रहे और प्रेरणा को ढूंढने का काम भी पूरा हो जाए। इसके लिए अपने दोस्तों को भी सहायता करने के लिए प्रेरित करें। इस तरह जब आप पॉजिटिव माहौल बनाने की तरफ अपना ध्यान लगाते हैं, तब मजबूरन आप खुद को लेकर अच्छा करने के लिए विवश हो जाते हैं।

कुछ प्रेरणा देने वाली किताबें पढ़ें या फिल्म देखें (Kuch prerna dene wali kitaben padhe ya film dikhayen)

जीवन में खुद के भीतर प्रेरणा का भाव पैदा करने के लिए अच्छी किताबें पढ़ना और अच्छी फिल्में देखना भी बहुत ज़रूरी है। अच्छी किताबें और फिल्म वास्तव में आपको मोटिवेट करने में काफी मददगार साबित हो सकती हैं। जब आप किसी शोषित समाज के युवक की कामयाबी को देखते हैं, तो आपके भीतर भी कुछ कर गुजरने की लालसा पैदा होती और आप भी उसे हासिल करने में जी-जान से जुट जाते हैं। बहुत सारी ऐसी किताबें और फिल्म हैं, जो सच में आपके फैसले पर असर डालने और आपको मोटिवेट करने की हैसियत रखती हैं। ये आपके भीतर दुनियों को देखने के एक नए नज़रिया को जन्म देता है और ज़िंदगी में कभी हार नहीं मानने का सबक दे सकती है।

काम के दौरान ब्रेक भी ज़रूरी (Kaam ke dauran break bhi jaruri)

अपने दिलो-दिमाग को कभी-कभार तरोताज़ा महसूस कराने और अपने लक्ष्यों के प्रति चिंतन-मनन करने के लिए ज़िंदगी में ब्रेक लेने की भी ज़रुरत होती है। जब आप ब्रेक के लिए खुद को तैयार नहीं करते हैं, तो अंदर से आप हतोत्साहित महसूस कर सकते हैं। इसके बाद अपने फैसले से पीछे हट जाते हैं। ऐसे में खुद को इस दायरे से बाहर निकालने की कोशिश करें और वो काम करें, जिससे आपको खुशी महसूस हो। यह तभी संभव हो सकता है, जब आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भाग-दौड़ से कुछ समय के लिए ब्रेक या छुट्टी लेते हैं। ब्रेक लेने के बाद आप खुद के भीतर एक नई ताज़गी और एनर्जी का अहसास कर सकते हैं। दिमाग रोजाना मिलने वाली विभिन्न सूचनाओं के बोझ से खाली रहता है, तो आपके भीतर भी नए उत्साह के साथ आगे बढ़ने के लिए जज्बा और जुनून पैदा होता है और आप अपने लक्ष्य पर अच्छी तरह फोकस कर पाते हैं।

दिनचर्या में एक्सरसाइज को शामिल करें (Dincharya main exercise ko shamil karen)

जब कभी आपका जीवन काफी नीरस और निरुत्साहित लगने लगता है, तो आपके दिमाग में सबसे अंत में एक्सरसाइज शुरू करने की बात आती है। वास्तव में इस प्रकार की एक्टिविटी प्रेरणा को ढूंढने में एक प्रेरक का काम करती है। इसलिए जब भी आपके मन में नीरसता के भाव आए तो थोड़ी देर के लिए बाहर टहलने निकल जाएं। साथ ही अपनी क्षमता के अनुसार हल्के व्यायाम कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो स्विमिंग पूल में तैर सकते हैं। अगर आप बाहर नहीं जा सकते हैं, तो घर के आसपास ही कुछ फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं। एक्सरसाइज आपके मन:स्थिति को दुरुस्त करने में मदद कर सकता है, ताकि आप बेहतर ढंग से सोचने-विचारने के लायक हो जाएं। जब लंबे समय तक कोई एक्सरसाइज करते हैं, तो आपके भीतर के डिप्रेशन और कम हो रहे आत्म-सम्मान के प्रति आपको संजीदा बनाने में काफी मदद करते हैं। ये कारक ही आपके भीतर कम हो रहे जज्बे के लिए बाधक होते हैं।

रूटीन में बदलाव लाएं (Routine me badlav laye)

हम लोगों में से अधिकतर लोग अपने रोजमर्रा के कामों को निपटाने के लिए एक खास रूटीन ही फॉलो करते हैं। लेकिन, जब आपके डेली रूटीन में कोई फेरबदल हो जाता है, तब उस दौरान काम पर फोकस करने में दिमाग को ज्यादा जोर लगाने की ज़रुरत पड़ती है, जो कुछ भी आप अलग कर रहे होते हैं। साधारण शब्दों में कहें तो नया इनपुट दिमाग को कुछ रचनात्मक ढंग से सोचने के लिए विवश करता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि समय-समय पर आप अपने काम करने के तौर-तरीकों और खास ढर्रे में थोड़ा बदलाव भी लाएं। अपनी दिनचर्या में कुछ आसान एक्टिविटी कर सकते हैं। जैसे आचानक किसी साथी से मिलने की प्लानिंग बनाने, लंच के लिए किसी नई जगह जाने, कुछ नया सीखने के लिए क्लासेस ज्वाइन करने और किसी एडवेंचर्स जगह पर घूमने की योजना बना सकते हैं। इस तरह आप अपने डेली रूटीन में बदलाव कर ज़िंदगी को नए और रोमांचक ढंग से जीने का अवसर प्रदान करते हैं। इससे आपके भीतर भी उत्साह का भाव पैदा होता है।