बेज़ुबान जानवरों को जीने के लिए सहारे और रहने के लिए छत की ज़रूरत होती है। हमारे घर के दरवाज़े पर अक्सर बैठी रहने वाली उन दो मासूम आंखों को हमसे सिर्फ एक रोटी की उम्मीद होती है। उस रोटी के लिए ही कुत्ते दिन रात हमारे दरवाज़े की ऐसे हिफाज़त करने लग जाते हैं, जैसे कि वो हमारे पालतू हों।
आज दुनिया भर में लोग कई तरह के जानवरों को पालते हैं, जिसमें कुत्ते उनकी पहली पसंद हैं। कुत्ते पालने के अपने इस शौक को पूरा करने के लिए अक्सर हम किसी महंगी सी पेट शॉप पर जाकर सबसे बढ़िया ब्रीड वाला कुत्ता खरीद लाते हैं, जबकि हमारे आस-पास की गली में या घर के बाहर रहने वाले उन मासूमों कुत्तों को हम अक्सर दुत्कार देते हैं।
खुद से पूछिए, क्या आप सच में पालतू प्रेमी हैं? या फिर महंगी ब्रीड वाला कुत्ता सिर्फ आपके बड़े से घर की शोभा बढ़ाने के लिए है? क्योंकि अगर आप सच में एक पालतू प्रेमी हैं तो गली के बाहर रहने वाले कुत्ते को अपने घर में पनाह देने में कोई बुराई नहीं है। गलियों और सड़कों से उठाकर जिन लाखों प्यारे और स्वस्थ मिश्रित नस्ल के कुत्तों को शेल्टर्स में जगह मिल गई है, वे भी नए घर की चाहत में किसी के आने और उन्हें गोद लेने का इंतज़ार कर रहे हैं।
हम जानते हैं, कुत्ते जिस परिवार में आ जाते हैं, उस परिवार के सबसे ज़रूरी सदस्य बन जाते हैं। राष्ट्रीय मट दिवस सभी पालतू प्रेमियों के लिए सही डॉग को खोजने का एक शानदार अवसर है। इससे एक अनाथ को घर मिलता है और हमें एक भरोसेमंद साथी। तो चलिए फिर सोलवेदा के साथ जानते हैं कि राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस (National Mutt Day in hindi) कब है और समाज में यह दिन कैसे बदलाव ला सकता है।
राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस की ज़रूरत (Rashtriya Mishrit Nasl Kutta Divas ki zaroorat)
यूं तो लावारिस कुत्तों को बहुत से नामों से जाना जाता है, जैसे- मिश्रित नस्ल, क्रॉसब्रीड, हाइब्रिड, हेंज 57, मोंगरेल, हाफ-ब्रीड आदि। लेकिन, मिश्रित प्रजाति के ये प्यारे कुत्ते अक्सर परिवार में सबसे खास सदस्य बन जाते हैं। इनमें शुद्ध नस्ल वाले कुत्तों के बहुत से गुण आपको देखने के लिए मिल जाएंगे, जैसे- प्यारी लैब आंखें, चंचल पूडल कर्ल, मजबूत शेफर्ड चाल। मट कुत्तों में भी ब्रीड वाले कुत्तों के कई मिश्रित गुण मौजूद होते हैं। इन्हीं सब से मिलकर, मिश्रित नस्लों का अपना एक अनोखा रूप और व्यक्तित्व बन जाता है। इतना अनोखा और खास होने के बावजूद भी यह नस्ल अपने अस्तित्व को तलाशने के लिए हर रोज़ जूझ रही है।
इन बेज़ुबानों को घर और परिवार मिल सके और हम एक सच्चे पालतू प्रेमी बन सके, इसलिए हमें राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस की ज़रूरत है। यह दिन सड़क या शेल्टर्स में पड़े कुत्तों के महत्व और ज़रूरतों पर ध्यान देने का दिन है।
कब है नेशनल मट डे? (Kab hai National Mutt Day?)
राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस या नेशनल मट डे साल में दो बार मनाया जाता है। इसे 31 जुलाई और 2 दिसंबर दोनों दिन मनाया जाता है।
नेशनल मट डे को मनाने के पीछे की कहानी (National Mutt Day ko manane ki peeche ki kahani)
राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस के इतिहास की बात करें तो, नेशनल मट डे (National Mutt Day) जिसे नेशनल मिक्स्ड ब्रीड डॉग डे के नाम से भी जाना जाता है, को सबसे पहले 2005 में सेलिब्रिटी पेट, फैमिली लाइफस्टाइल एक्सपर्ट और एनिमल वेलफेयर एडवोकेट, ‘कोलीन पैगे’ ने मनाया था। राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस का मकसद मिश्रित नस्ल के कुत्तों को गले लगाना, उन्हें बचाना, उनकी ज़िंदगी में खुशियां लाना और उनका जश्न मनाना है।
बेज़ुबानों को खरीदें नहीं, गोद लें (Bezubano ko khareedein nahi, god lein)
गलियों और सड़कों पर घूमते बहुत से कुत्तों में से हर साल लगभग 3.3 मिलियन कुत्ते आश्रय गृहों में भेज दिये जाते हैं। उनमें से बहुत से कुत्ते मानव दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। उनमें से कोई सड़क दुघर्टना से घायल होता है, तो कोई किसी व्यक्ति की मार या पत्थर से ज़ख्मी होता है। ऐसे कुत्तों को शेल्टर्स या आश्रय गृह में देखभाल और चिकित्सा तो मिल जाती है, पर उनकी वो मासूम आंखें हमेशा ही किसी परिवार के इंतज़ार में रहती हैं। दूसरी ओर, अगर शुद्ध नस्ल वाले कुत्तों की बात करें, तो उनकी खरीदी और बिक्री इतनी ज़्यादा है कि उनको नई नस्लें पैदा करने के लिए बार-बार मजबूर किया जाता है।
देखा जाए तो दोनों ही तरफ के कुत्ते मानव अत्याचार से जूझ रहे हैं। अगर हम उन बेज़ुबानों की मदद करना चाहते हैं, और खुद को सच्चा पालतू प्रेमी मानते हैं, तो कुत्तों को खरीदने की जगह आश्रित गृहों से गोद लेना अच्छा रहेगा।
यह तो हम सब ही जानते हैं कि कुत्ते को एक वफादार जानवर माना जाता है। तो इस वफादार जानवर की तरफ हमारी भी तो कुछ ज़िम्मेदारियां बनती हैं? इस राष्ट्रीय मिश्रित नस्ल कुत्ता दिवस पर आप एक कुत्ता गोद लीजिए और उसकी तस्वीरों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कीजिए। इससे दूसरे लोगों को भी मासूम डॉग्स को गोद लेने की प्रेरणा मिलेगी और लोग कुत्तों को अपने बच्चे जैसा समझेंगे।
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