दुनिया के हर मां-बाप के लिए अपने बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं होता। अपनी संतान चाहे बेटी हो या बेटा इससे मां-बाप को कोई फर्क नहीं पड़ता। बस सबको यही लगता है कि हमारा बच्चा खुश रहे और कोई भी दुख या परेशानी उसका बाल भी बांका न कर पाए। वैसे तो हर बच्चे के लिए भी मां-बाप से बढ़कर कुछ नहीं होता, पर फिर भी हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे उसके पास रहें और अपना हर सुख-दुख उन्हें बताएं। पर बच्चों की बढ़ती उम्र न जाने कब बच्चों और उनके मां-बाप के बीच धीरे-धीरे एक अनजानी सी दूरी बना देती है। जिससे बच्चे मां-बाप से अपना दुख-सुख बांटने में झिझकते हैं, और अपनी ज़िंदगी के राज़ उनसे कहने से बचते हैं।
बच्चे का ऐसा व्यवहार हर माता-पिता के लिए दुखी होने की वजह बनता है, क्योंकि मां-बाप अपने बच्चों की ज़िंदगी में खास और भरोसेमंद बने रहना चाहते हैं। आप भी अगर बच्चों के माता या पिता हैं, तो आप भी अपने बड़े होते बच्चे के साथ गहरा रिश्ता बनाना चाहते होंगे। आप चाहते होंगे कि आपका बेटा और बेटी आपको अपनी ज़िंदगी की सारी बातें बताएं, आप लोग साथ में हंसे और रोएं, और आपके बच्चे आप पर एक दोस्त की तरह भरोसा करें। हैं न? पर क्या आप जानते हैं आप बेटा दिवस और बेटी दिवस के ज़रिए अपने बच्चों के करीब आ सकते हैं? अगर नहीं, तो चलिए सोलवेदा पर मैं आपको बताती हूं कि कैसे आप बेटी दिवस और बेटा दिवस या नेशनल सन एंड डॉटर डे के ज़रिए अपने बच्चों के करीब आ सकते हैं।
बेटा-बेटी दिवस की खासियत (Beta Beti Divas ki khasiyat)
बेटा दिवस, बेटी दिवस या नेशनल सन एंड डॉटर डे अपने बच्चों को समर्पित एक दिन है। हम जानते हैं हमारे लिए हमारी बेटी और बेटा कितने खास हैं। हम हमारी आंखों के तारों को हमेशा खुश देखना चाहते हैं और उन्हें हमेशा अपने प्यार और भरोसे की छाया में महफूज रखना चाहते हैं। बेटा दिवस और बेटी दिवस या नेशनल सन एंड डॉटर डे, अपने बेटे और बेटियों को अपने असीमित प्यार और लाड़ को दिखाने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्रीय बेटा दिवस और बेटी दिवस इसलिए भी मनाया जाता है, ताकि आप अपने बच्चों को बता सकें कि वे कितने खास हैं। हालांकि, इस दिन को मनाने की शुरुआत के बारे में इतिहास कोई सटीक जानकारी नहीं है, पर कोलम्बिया के एक अखबार में इस बात का ज़िक्र मिलता है कि राष्ट्रीय बेटी दिवस और बेटा दिवस को सबसे पहले 1988 में मनाया गया था।
लेकिन, इसके अलावा भी आपको बेटी दिवस और बेटा दिवस के इतिहास की अलग-अलग कहानियां सुनने को मिल जाएंगी, जो इस बात का दावा करती हैं कि सबसे पहले किस दिन राष्ट्रीय बेटा दिवस और बेटी दिवस मनाया गया था।
कब है बेटा दिवस और बेटी दिवस? (Kab hai National Son’s and Daughter’s Day?)
राष्ट्रीय बेटा और बेटी दिवस या नेशनल सन एंड डॉटर डे हर साल 11 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बेटे और बेटियों को उनके खास होने का एहसास कराना है।
बेटे-बेटियों से रिश्ता गहरा कैसे करें? (Bete-betiyon se rishta gehra kaise karein?)
अपने लाड़ले बेटे और बिटिया रानी की खुशियां तो हम सब ही चाहते हैं। पर हममें से बहुत से मां-बाप ऐसे भी हैं जो अपने बेटे-बेटियों से गहरा रिश्ता कायम करने की उम्मीद रखते हैं, ताकि बच्चे दोस्त की तरह मां-बाप पर भरोसा करें और सारी बातें बताएं, लेकिन अक्सर ऐसा हो नहीं पाता है। तो चलिए मैं आपको बताती हूं कि कैसे हम अपने बच्चों से रिश्ता गहरा कर सकते हैं।
वक्त देने से मजबूत होगी रिश्ते की डोर
आपको पता है आपके बच्चे के लिए सबसे अनमोल तोहफ़ा आपका वक्त है? मैं जानती हूं कि आज कल जहां मां और पिता दोनों ही वर्किंग हैं, वहां बच्चों को पूरा वक्त दे पाना मुश्किल होता है, पर अगर आप अपने बच्चों के साथ एक गहरा संबंध बनाना चाहते हैं तो आपको उन्हें वक्त देना ही पड़ेगा।
अपनी बिजी ज़िंदगी से थोड़ा सा वक्त निकालें और अपने बच्चों से बात करें। बहुत छोटी उम्र से ही, जैसे- जब बच्चा स्कूल जाना शुरू करे, तभी से उससे उनकी दिनचर्या पूछें, उनकी पसंद-नापसंद जानने की कोशिश करें और अपनी दिनचर्या भी उनके साथ साझा करें। जब बच्चों को शुरू से ही आपसे सब कुछ बताने की आदत लगेगी तो आपके बेटे और बेटियां आपके करीब रहेंगे।
थोड़ी मनमानी से बच्चों में बढ़ेगा विश्वास
बढ़ती उम्र में हर बच्चा अपनी शर्तों पर जीना पसंद करता है, उन्हें किसी की रोक-टोक पसंद नहीं आती। जब मम्मी या पापा उन्हें रोके-टोके, तो बेटे और बेटियां उनसे बुरी तरह नाराज़ हो जाते हैं। बच्चों को लगता है कि माता-पिता उनकी खुशियों के खिलाफ हैं और ये गलतफहमी रिश्तों में दूरियां पैदा कर देती हैं। मैं आपसे बच्चों को पूरी तरह छूट देने की नहीं कह रही, पर कभी-कभी उन्हें उनके मन का करने दें, उनकी पसंद को महत्व दें, उन्हें उनके छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें, और यहां उनकी ज़िद पूरी करने लायक न लगे, वहां उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें। पर ध्यान रखें अपनी बात मनमाने के लिए दबाव बिल्कुल न डालें। उन्हें खुद संभलने का मौका दें और उन्हें अपने इनकार के पीछे की वजह को बताएं। याद रखिए, भले ही आज आपका बच्चा आपकी बात नहीं मान रहा पर, पेरेंट्स की कही बातें बड़े होने पर समझ आ ही जाती हैं।
हंसी-मजाक भी है ज़रूरी
यह वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित है कि जिनके साथ हम ज़्यादा हंसते हैं, वो लोग हमारे दिल के करीब होते हैं, तो अगर आप भी अपने बच्चों से अपने रिश्ते गहरे करना चाहते हैं तो उनके साथ दिल खोलकर हंसें (Happiness), थोड़ी मस्ती-मज़ाक करें। उन्हें उन्हें दोस्तों की तरह छेड़े और अपने पुराने किस्से उनको बताएं। जब आप उनकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे और अपनी दोस्ती निभाएंगे तो वो भी कभी पीछे नहीं हटेंगे।
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