खुशी को लेकर हमारे दिमाग में बहुत सारी ग़लतफहमियां बसी हुई हैं। कभी समाज ने हमें सिखाया, कभी फिल्मों ने, तो कभी हमने खुद ही मान लिया कि अगर कुछ हासिलहुआ, तभी खुशी मिलेगी। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। साइंस, रिसर्च और असल जिंदगी के अनुभवों को देखें, तो खुशी के ये फॉर्मूले अक्सर फेल हो जाते हैं। खुशी पैसे से मिलती तो हर करोड़पति सबसे ज़्यादा खुश होता। शादी से मिलती तो तलाक कभी होते ही नहीं। हमेशा पॉजिटिव रहने से आती, तो इंसान की बाकी भावनाओं का कोई मतलब ही न होता। सच ये है कि खुशी कोई मंज़िल नहीं, बल्कि सफर है, जो छोटे-छोटे पलों, सही नज़रिए और अंदरूनी संतुलन से मिलती है।
तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Happiness Day) के अवसर पर हम आपको बताएंगे कि खुशी से जुड़े मिथ क्या हैं और क्या है उनकी असल सच्चाई। साथ ही खुश कैसे रहें,हमइसके बारे में भी जानेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? (Antarrashtriya Prasannata Divas kab aur kyu manaya jata hai?)
खुशी, एक छोटा सा शब्द, लेकिन इसकी तलाश में इंसान पूरी ज़िंदगी बिता देता है। कोई इसे दौलत में ढूंढता है, कोई शोहरत में, तो कोई रिश्तों में। लेकिन क्या असली खुशी इन्हीं चीज़ों में छुपी है? शायद नहीं। इसी सोच को गहराई से समझने के लिए हर साल 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस (International Day of Happiness) मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में इस दिन की शुरुआत की। एक खुशहाल समाज सिर्फ पैसे और तरक्की से नहीं बल्कि मानसिक शांति, बेहतर रिश्ते और सकारात्मक सोच से जुड़ा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हमें यही सिखाता है कि खुशी बाहरी चीज़ों से नहीं, बल्कि हमारी सोच और जीवन जीने के तरीके से आती है। तो क्यों न आज इस मौके पर अपनी ज़िंदगी को नए नज़रिए से देखें? छोटी-छोटी खुशियों को जिएं, रिश्तों को संवारें और इस दौड़ती-भागती दुनिया में अपने लिए कुछ सुकून भरे पल चुरा लें। इन तरीकों से बनेगा खुशियों का इंद्रधनुष।
खुश कैसे रहें? (Khush kaise rahein?)
आज में जिएं
ज़्यादातर परेशानियां या तो बीते कल के बारे में सोचकर आती हैं या फिर आने वाले कल को लेकर डरने से। खुश रहना है, तो बस आज पर ध्यान दीजिए। वहीं, खुशी सिर्फ बड़ी उपलब्धियों में नहीं होती। सुबह की चाय, कोई पुरानी फोटो, किसी का प्यार भरा मैसेज, ये सब भी खुशी के छोटे-छोटे मौके हैं।
तुलना मत कीजिए
दूसरों की ज़िंदगी बाहर से जितनी चमकदार दिखती है, अंदर से वैसी नहीं होती। अपनी जर्नी पर फोकस करें और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करें। साथ ही परिवार और दोस्तों से बातें करने से दिल हल्का होता है। जब भी मन भारी लगे, किसी अपने से बात कर लें।
स्वस्थ शरीर, खुश दिमाग
थोड़ी कसरतकरें।नींद को नज़रअंदाज़ न करें। और सही खान-पान रखें, येआपके मूड को बेहतर बना सकते हैं।
आभार जताएं
जो कुछ भी आपके पास है, उसके लिए शुक्रगुज़ार रहना सीखें। यह आपको अंदर से संतोष और शांति देगा। साथ ही मुस्कुराते रहें, क्योंकि आपका दिमाग आपके चेहरे के भावों को पढ़ता है। जब आप मुस्कुराते हैं, तो दिमाग भी मान लेता है कि आप खुश हैं।
खुशी के 5 बड़े मिथ और उनकी असली सच्चाई (Khushi ke 5 bade myth aur unki asali sachai)
पैसा ही असली खुशी देता है
पैसे की ज़रूरत तो होती है, लेकिन यह खुशी की गारंटी नहीं देता। हां, अगर आपकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हो रहीं, तो पैसा बहुत ज़रूरी है। लेकिन एक बार जब आपकी ज़रूरतें पूरी हो जाती हैं, तो करोड़ों कमाने से खुशी में ज़्यादा इजाफा नहीं होता। असल खुशी रिश्तों, सेहत और जीवन के अनुभवों से आती है।
अगर मेरी ज़िंदगी में कोई परेशानी नहीं होगी, तो मैं खुश रहूंगा
कोई भी इंसान मुश्किलों से नहीं बच सकता। परेशानियां आना तय हैं, लेकिन असली खुशी का मतलब यह नहीं कि आपकी ज़िंदगी में कोई दिक्कत न हो। बल्कि, खुशी का मतलब यह है कि आप इन परेशानियों से कैसे निपटते हैं। खुश लोग हर परेशानी को एक सीखने का मौका समझते हैं।
मैं खुश रहूंगा जब, मुझे प्रमोशन मिलेगा, शादी होगी, घर खरीदूंगा
यह सबसे बड़ा धोखा है, जो हम खुद को देते हैं। हम सोचते हैं कि कोई बाहरी चीज़ हमें खुश कर देगी, लेकिन जब वह चीज़ मिल जाती है, तो थोड़े समय बाद हम उसी पुराने हाल में लौट आते हैं। खुशी कोई मंजिल नहीं, बल्कि एक सफर है। हमें हर पल में खुश रहने की आदत डालनी होगी, नकि किसी एक चीज़ के पूरे होने का इंतज़ार करना चाहिए।
खुश रहने के लिए हमेशा पॉजिटिव सोचना ज़रूरी है
पॉजिटिविटी अच्छी चीज़ है, लेकिन हर वक्त ज़बरदस्ती खुश रहने की कोशिश करना नुकसानदेह हो सकता है। यह ज़रूरी है कि आप अपने असली भावनाओं को समझें और स्वीकार करें। अगर कभी बुरा महसूस हो रहा है, तो उसे झुठलाने की बजाय उसे समझें और उसका हल निकालें।
दूसरों को खुश रखने से मैं खुद खुश रहूंगा
दूसरों की खुशी का ध्यान रखना अच्छी बात है, लेकिन अगर आप हमेशा दूसरों की ज़रूरतों को खुद से ऊपर रखेंगे, तो आपकी खुशी कम होती जाएगी। अपनी खुशी के लिए खुद की ज़रूरतों को भी अहमियत देना ज़रूरी है। पहले खुद खुश रहेंगे, तभी दूसरों को भी खुश रख पाएंगे।
इस आर्टिकल में हमने आपको अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के बारे में बताया। आर्टिकल आपको कैसा लगा, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की और भी ज्ञानवर्द्धक जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।