खुली आंखों से देखे जाने वाले सपने सच होते हैं

आखिर सपने हैं क्या? अगर इस सवाल पर गौर करें तो हम जानेंगे कि सपने दो तरह के होते हैं। एक वो जिन्हें हम गहरी नींद में देखते हैं और दूसरे जिन्हें हम खुली आंखों से देखते हैं।

नींद में देखें हुए सपनों से तो हम सब ही वाकिफ हैं। इस दुनिया में लगभग हर शख्स सोते हुए सपने देखता ही है। सपने हमें बहुत हद तक वास्तविक से लगते हैं, क्योंकि जब हम उन्हें देख रहे होते हैं तो उस वक्त सपने में मौजूद दर्द और खुशी हम महसूस कर रहें होते हैं। लेकिन, आंख खुलते ही सपना टूट जाता है तो हम जान जाते हैं कि नहीं वो सच नहीं था। सच तो ये है जो हमारी खुली आंखों के सामने है।

आखिर सपने हैं क्या? अगर इस सवाल पर गौर करें तो हम जानेंगे कि सपने दो तरह के होते हैं। एक वो जिन्हें हम गहरी नींद में देखते हैं और दूसरे जिन्हें हम जागती आंखों से देखते हैं। नींद में देखे गए सपने मनोवैज्ञानिक वजहों से आते हैं पर उनका असल दुनिया से कोई वास्ता नहीं होता। लेकिन, खुली आंखों के सपनों पर हमारी पूरी ज़िंदगी टिकी होती है। जो सपने हम खुली आंखों से देखते हैं, उनके साथ उन्हें पूरा करने का सपना भी देखते हैं। खुली आंखों के सपने वास्तविक होते हैं, उन्हें हम अपनी मेहनत और कोशिश के दम पर हकीकत में बदल सकते हैं। इसलिए सपनों पर यकीन ज़रूर करें मगर जो नींद में देखे जाते है उनपर नहीं बल्कि उनपर जो खुली आंखों से पूरे होशो-हवास और सूझबूझ के साथ देखें जाते हैं। हम अक्सर सोचते हैं कि कौन-से सपने सच होते हैं। इसका सही जवाब है खुली आंखों से देखे गए सपने सच होते हैं, बस ज़रूरत है तो अपनी प्रतिभा और योग्यता का सही इस्तेमाल करके अपने लिए बेहतर चुनाव करने की।

आपने सपनों को लेकर वो कहावत तो ज़रूर सुनी होगी, ‘सपने ऐसे देखो, जो रातों की नींद उड़ा दें, जो तुम्हें सोने न दे”। तो बस शुरू हो जाइए, अपने बेहतर कल के लिए सपने देखिए और उन्हें पूरा करिए।

सपने सच होते हैं मेहनत करने से (Sapne sach hote hain mehnat karne se)

सपनों की दुनिया बेहद खूबसूरत होती है, क्योंकि सपनों में हम पल भर में बहुत सारी खूबसूरत चीज़ों की कल्पना कर लेते हैं। वो कल्पना बहुत सुखद लगती है, क्योंकि हम हमेशा उन्हीं सपनों की कल्पना करते हैं जो हमारे फायदे के लिए होते हैं। सपने देखना गलत नहीं है मगर वास्तविकता को स्वीकारना भी जरूरी है। सिर्फ सपने देखने से काम नहीं चलता, हमें उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कुछ प्रयास करने पड़ते हैं। जैसे- किसी पेपर में पास होने के लिए सिर्फ पास होने का सपना देखकर, खुश होने से काम नहीं चलता। हमें पास होने के सपने को सच करने के लिए पढ़ना पड़ता है, पेपर देने जाना पड़ता है, और तब हम पास होने के सपने को सच कर पाते हैं।

ठीक वैसे ही हमें हर ख्वाब या सपने देखने के बाद उस सपने को सच्चाई में बदलने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। अगर हम अपने इरादों को मजबूत बना लें, और ठान लें कि हमें अपने सपनों को सच करना ही है, तो फिर इन जागती आंखों के सपनों को हकीकत होने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिए आप ही अपने हौसलों को मजबूत बना लीजिए, और आज से ही अपने सपनों को सच करने में लग जाइए।

खुली आंखों के ख्वाब हैं सफलता के रास्ते (Khuli ankhon ke khwaab hain safalta ke rashte)

खुली आंखों से देखे हुए सपने हमें हमारी सफलता की तरफ ले जा सकते हैं, पर उसके लिए ज़रूरी है कि हम जो भी सपने देखें, उन्हें पूरा करने का जुनून ज़रूर रखें। कई बार हम इस परेशानी का सामना करते हैं कि हम खुली आंखों से बहुत से ख्वाब या सपने बुन तो लेते हैं लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं करते।

ज़िंदगी में सफल होने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने ख्वाबों को पूरा करें। उन्हें पूरा करने का रास्ता तो हम ऊपर पढ़ ही चुके हैं, कि मेहनत, लगन और जुनून में हर सपना पूरा करने की ताकत होती है। हम में से बहुत लोग ऐसे हैं जो शुरुआत करने से घबराते हैं या आनाकानी करते हैं, लेकिन एक बार शुरुआत कर दी तो फिर रुकते नहीं। हमें भी इसी हौसले की ज़रूरत है। चलिए एक सफल शुरुआत करके देखते हैं। ये ज़रूरी नहीं कि ये शुरुआत बड़े स्तर पर ही हो लेकिन कहीं से तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी। अगर हम आलसी बने रहेंगे और कुछ करेंगे नहीं तो काम कैसे चलेगा? चीज़ों को आगे के लिए या कल के लिए टाल देना किसी समस्या का समाधान नहीं होता। अगर हम अपने सपने सच होते हुए देखना चाहते हैं और जल्द ही सक्सेस  की सीढ़ियां चढ़ना चाहते हैं तो आज से ही अपने आलस को त्याग देते हैं, और डर को हटा कर सपनों को साकार करने की तरफ चल पड़ते हैं।

हम उम्मीद करते आप जल्द ही अपने सपने सच होते हुए देखेंगे। ऐसे ही और भी हेल्पफुल आर्टिकल सोलवेदा हिंदी पर पढ़ सकते हैं।