जीवन में काम ज़रूरी है, लेकिन काम को जीवन बनाने से कैसे बचें?

घंटों बिना किसी ब्रेक के कामों में लगे रहने से न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है बल्कि हम शारीरिक रूप से भी बीमार हो जाते हैं, और रिश्तों को समय न दे पाने की वजह से, रिश्ते भी खराब हो जाते हैं।

बढ़ते कॉम्पिटिशन और करियर की ऊंचाई पर पहुंचने की इच्छा के चलते, हम में से बहुत से लोग काम में इतने बिजी रहते हैं कि अपनों से बात करना या मिलना तो दूर, खुद के खाने पीने तक का ख्याल नहीं रहता।

घंटों बिना किसी ब्रेक के काम में लगे रहने से न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है बल्कि हम शारीरिक रूप से भी बीमार हो जाते हैं, और रिश्तों को समय न दे पाने की वजह से, रिश्ते भी खराब हो जाते हैं।

इसलिए निजी और व्यावसायिक ज़िंदगी में बैलेंस या कार्य जीवन संतुलन होना बहुत ज़रूरी है। ज़िंदगी में जितना ज़रूरी काम और करियर है, उतनी ही ज़रूरी पर्सनल ज़िंदगी भी है। हम सबको इन दोनों के बीच बैलेंस रखना आना चाहिए।

लेकिन अक्सर लोग समझ नहीं पाते हैं कि व्यस्त होते हुए वर्क लाइफ बैलेंस कैसे सही रखा जाए। तो चलिए सोलवेदा पर मैं आपको बताती हूं कि कैसे हम अपने काम को अपनी ज़िंदगी बनाने से बच सकते हैं।

क्या आप भी काम में खुद को भूल जाते हैं? (Kya aap bhi kaam mein khud ko bhool jate hain?)

क्या आप भी अपने काम में इतना खो जाते हैं कि खुद के लिए वक्त ही नहीं निकाल पाते? अगर हां, तो यकीन मानिए, आप अकेले नहीं हैं। आज के समय में, जहां हर कोई सफलता की दौड़ में भाग रहा है, वहां वर्क-लाइफ बैलेंस (कार्य जीवन संतुलन) बनाए रखना एक चुनौती बन गया है, लेकिन ये असंभव भी नहीं है।

वर्क-लाइफ बैलेंस का मतलब है कि आप अपने काम और निजी जीवन दोनों को बराबर का महत्व दें, ताकि आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ (Wellbeing) रहें। आइए जानते हैं कि कैसे छोटे-छोटे कदम उठाकर आप कार्य और जीवन का सही संतुलन बना सकते हैं।

कैसे हम वर्क लाइफ बैलेंस से अपने लिए वक्त निकाल सकते हैं? (Kaise hum work life balance se apne liye waqt nikal sakte hain?)

जीवन में काम को महत्त्व देना ज़रूरी है, पर काम को ही जीवन बना लेना गलत है। आइये जानें कैसे आप कार्य जीवन संतुलन कर सकते हैं:

समय प्रबंधन

कार्य जीवन संतुलन या वर्क लाइफ बैलेंस के लिए समय का प्रबंधन बहुत ज़रूरी है। अपने दिन की शुरुआत में यह तय करें कि आपको कौन-कौन से काम करने हैं। इसके लिए आप एक लिस्ट बना सकते हैं। ऑफिस के काम के लिए कुछ घंटे तय रखें और बाकी समय अपने लिए बचाएं। इससे आपका दिन बेहतर तरीके से मैनेज होगा।

सीमाएं तय करें

जब काम का समय खत्म हो जाए, तो ऑफिस के ईमेल्स या कॉल्स से दूरी बना लें। घर पर परिवार के साथ समय बिताएं। ऐसा करने से आप ऑफिस और पर्सनल लाइफ के बीच संतुलन बनाए रख पाएंगे।

पसंदीदा कामों को करें

आपके शौक या रुचियां जैसे किताब पढ़ना, गाना गाना, बागवानी या दोस्तों के साथ समय बिताना, आपके मन को सुकून देंगे। इन चीज़ों को अपने डेली रूटीन में शामिल करें, और इनके लिए वक्त निकालें ताकि आप अपना कार्य जीवन संतुलन बरकरार रख सकें।

ब्रेक लेना न भूलें

अगर आप लगातार काम करते रहेंगे तो जल्दी थक जाएंगे और प्रोडक्टिविटी कम हो जाएगी। हर घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। इस दौरान थोड़ा टहल लें, चाय पी लें या रिलैक्स करें।

ना कहना सीखें

कार्य जीवन संतुलन के लिए ना कहना सीखना बहुत ज़रूरी है। हर काम को ‘हां’ कहने की ज़रूरत नहीं है। अगर कोई काम आपके बस के बाहर है तो उसे मना करना सीखें। इससे आपका तनाव कम होगा और आप अपने ज़रूरी काम पर फोकस कर पाएंगे।

स्वास्थ्य का ध्यान रखें

रोज़ाना थोड़ी एक्सरसाइज करें, हेल्दी खाना खाएं और 7-8 घंटे की नींद लें। स्वस्थ शरीर और मन से ही आप अपने काम और निजी जीवन को बेहतर तरीके से संभाल पाएंगे और कार्य जीवन संतुलन कर पाएंगे।

वर्क-लाइफ बैलेंस या कार्य जीवन संतुलन का मतलब है कि आप काम और अपनी पर्सनल लाइफ दोनों को बराबर का महत्व दें। ये केवल आपकी खुशी ही नहीं बढ़ाता बल्कि आपको तनावमुक्त भी रखता है।

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