सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है।
पटना के अजीमाबाद के मशहूर शायर बिस्मिल अजीमाबादी द्वारा लिखी गयी ये पंक्तियां आज भी जब कानों में पड़ती हैं, तो रोगंटे खड़े हो जाते हैं। ये वहीं दो लाइनें हैं, जिन्हें काकोरी कांड में शामिल होने के आरोप में फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) ने पढ़ा था।
हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) मनाते हैं। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए हम इस साल 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। साल 1947 में इसी दिन इंडिया को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिली थी। यह दिन पूरे देश के लोगों के लिए गर्व का दिन है, जिसे हम काफी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन लाल किले, विधानसभा से लेकर देश के सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ घरों और मोहल्ले में तिरंगा फहराया जाता है। आज़ादी पाने के लिए कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के हाथों अपनी जान गंवाई। वहीं, महात्मा गांधी (Mahtma Gandhi) से लेकर जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), मौलाना आजाद (Maulana Azad), सरदार पटेल (Sardar Vallabhai Patel), सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose), भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) सहित कई सेनानियों ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया, इस दिन को पाने में और आखिकरकार 15 अगस्त 1947 को इंडिया आज़ाद हुआ। इस आज़ादी का जश्न मानते हुए हमें 76 साल हो चुके हैं। हम लगातार तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। आज देश के नाम कई सारी उपलब्धियां हैं। हम गुलामी की जंजीर को हटा कर आज़ादी के रंग में रंग चुके हैं।
वर्ष 2023 में स्वतंत्रता दिवस की थीम आज़ादी के अमृत महोत्सव के साथ ‘नेशन फर्स्ट, ऑल्वेज फर्स्ट’ है। इसके अलावा इस साल ‘मेरी माटी, मेरा देश’ जैसे अभियान भी चलाये जा रहे हैं। हम इस आर्टिकल में आज़ादी के इतिहास के साथ-साथ आज़ादी के महत्व की भी बात करेंगे।
15 अगस्त को ही क्यों चुना गया आज़ादी का दिन? (15 august ko hi kyon chuna gya aazadi ka din?
फरवरी 1947 में लॉर्ड मांडटबेटन (Lord Mountbatten) को इंडिया का आखिरी वायसराय बनाया गया। इन पर भारत को स्वतंत्रता दिलाने की ज़िम्मेदारी थी। शुरुआती योजना के अनुसार भारत को जून 1948 में आज़ादी मिलने के बातें हो रही थीं और वायसराय बनने के तुरंत बाद लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) की इंडिया के नेताओं से बातचीत भी शुरू हो गयी। लेकिन ये जितना आसान दिख रहा था, उतना था नहीं, क्योंकि जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को लेकर पहले ही बहस छिड़ चुकी थी। जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग रख दी, इसके कारण भारत के कई इलाकों में दंगे भड़क गये। ऐसी स्थिति की माउंटबेटन ने कल्पना भी नहीं की थी। इससे पहले की हालात और बिगड़ते 1948 की जगह 1947 में ही आज़ादी देने की बात तय हो गयी। माउंटबेटन ही वे इंसान थे, जिन्होंने इंडिया की आज़ादी के लिए 15 अगस्त के दिन को चुना।
15 अगस्त है हमारे लिए प्रसन्नता और गौरव का दिन (15 august hai hmare liye prasnnata aur gaurav ka din)
15 अगस्त इंडिया के लोगों के लिए प्रसन्नता और गौरव का दिन है। इसलिए इस दिन को हमें लोकतंत्र की उपलब्धियों के उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। स्वतंत्रता का मतलब हर इंसान के लिए अलग-अलग होता है। कोई स्वतंत्रता को अपने लिए खुली छूट मानता है, जिसमें वह अपने अनुसार कुछ भी कर सकता है। लेकिन स्वतंत्रता सिर्फ अच्छी चीज़ों के लिए होती है। इसलिए स्वतंत्रता तभी सही है जब आपमें मर्यादा, चरित्र और समर्पण का भाव हो।
इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि अब अपने भविष्य का बागडोर अपने हाथों में लेंगे। साथ ही देश और समाज की भलाई के लिए काम करेंगे। इसी के साथ आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन। इस तरह के और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें सोलवेदा हिंदी से।