संकट दूर करने के उपाय

बार-बार परेशानी में पड़ने के असल कारण और बदलाव के उपाय

हमारी एक परेशानी जैसे तैसे हल हो भी जाए, पर उसके बाद हमारे सामने कोई नई परेशानी आकर खड़ी हो जाती है। इस परेशानी को दूर करने के लिए कभी हम अपने दोस्तों की सलाह लेते हैं, तो कभी किसी अपने से अपनी परेशानी शेयर करके, हल खोजने की कोशिश करते हैं।

इस दुनिया में चारों ओर नज़र घुमाकर देखें, तो हम पाएंगे कि हर व्यक्ति अपनी किसी न किसी परेशानी से परेशान है, और परेशानी से निकलने के उपाय खोज रहा है। 

चलिए हमारी एक परेशानी जैसे तैसे हल हो भी जाए, पर उसके बाद हमारे सामने कोई नई परेशानियां आकर खड़ी हो जाती हैं। इन परेशानियों को दूर करने के लिए कभी हम अपने दोस्तों की सलाह लेते हैं, तो कभी किसी अपने से अपनी परेशानी शेयर करके, हल खोजने की कोशिश करते हैं। वहीं जब परेशानी बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है, तब तो हम किसी अंजान से भी अपना दुख बांट लेने में नहीं झिझकते। हमें बस अपनी समस्या से छुटकारा चाहिए होता है।

पर क्या आप जानते हैं, ज़िंदगी में परेशानी आना कोई बड़ी बात नहीं है, ज़िंदगी है तो चैलेंजेज़ तो आएंगे ही। पर सोचने वाली बात ये है कि ‌बार-बार एक ही तरह की परेशानी में पड़ने की आखिर असली वजह क्या है और इससे बाहर कैसे निकला जाए। 

तो चलिए सोलवेदा के इस दिलचस्प आर्टिकल में मैं आपको बताती हूं, बार-बार परेशानियों में पड़ने की असली वजह और संकट दूर करने के उपाय।

परेशानियां हमें क्यों घेर लेती हैं बार-बार? (Pareshaniyan humein kyun gher leti hain baar-baar?) 

दुनिया में हर इंसान अपनी कोई न कोई परेशानी दूर करने के उपाय खोजता घूम रहा है। हम सब लगभग एक ही तरह से परेशानियों से मुक्ति पाने के बारे में सोचते हैं और एक ही तरह से परेशानी को देखकर व्यवहार करते हैं। कोई भी समस्या होने पर हम बहुत जल्दी घबरा जाते हैं और घबराहट के चलते, उस परेशानी को और भी बड़ा होने देते हैं। मैंने कहीं पढ़ा था कि “हमारे दुख/परेशानियां असल में इतनी बड़ी नहीं होती, जितना हम उनके बारे में सोच-सोच कर खुद को घायल कर लेते हैं!” 

अब आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि अगर कोई भी संकट या परेशानी है तो उसके बारे में सोचना तो पड़ेगा न? तो इसका जवाब है, जी हां! बिल्कुल सोचना पड़ेगा, लेकिन सोचने के भी दो तरीके होते हैं। पहला जो हम सब अपनाते हैं, परेशानी के बारे में सोच-सोच कर खुद को परेशान कर लेना। दूसरा, परेशानी के बारे में सोचने की बजाय परेशानी आखिर आई कैसे, ये सोचना और वजह पता लगने पर अगली बार, फिर से वही गलती या आदत न दोहराने के लिए खुद को सतर्क रखना।

इसलिए किसी भी परेशानी से बचने के लिए हमें अपने उन पुराने व्यवहारों को दोहराने से बचना चाहिए, जिसके कारण समस्या आई। ऐसा करना ज़रूरी है ताकि हम अपना हर संकट दूर करने के उपाय ढूंढ पाएं और परेशानी से मुक्त खुशहाल या खुशियों भरा (Happiness) जीवन जी पाएं।

कैसे निकलेगा परेशानी का हल? (Kaise niklega pareshani ka hal?)

परेशानी का हल क्या होगा, यह बहुत हद तक परेशानी किस तरह की है, इसपर निर्भर करता है। मगर, अक्सर एक तरह की परेशानी ज़िंदगी में बार-बार आ जाएं तो उसके पीछे हमारी ही गलती हो सकती है। ऐसे में हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।

जहां समस्या है, वहां उस समस्या का हल भी है। जैसे किसी सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही हर समस्या के दूसरे हिस्से पर हल होता है। हमें तो बस उस सिक्के को पलट कर, उसके दूसरे सकारात्मक हिस्से की तरफ ध्यान देना होता है। 

कई बार कोई संकट या परेशानी इतनी बड़ी होती है, जिसका दूसरा हिस्सा देखना, चाहकर भी हमारे बस में नहीं होता। इसमें समस्याओं को देखने का नज़रिया भी बहुत मायने रखता है। अगर हम ज़्यादा संवेदनशील है तो हमें ज़रा सी भी बात बहुत बड़ी परेशानी लगेगी। वहीं भावनात्मक तौर पर मजबूत इंसान को वहीं परेशानी बहुत मामूली सी महसूस होगी। 

हर संकट से निकलने के उपाय हमें खुद ही खोजने पड़ते हैं, फिर वो‌ संकट या परेशानी हमारे लिए आम हो या बहुत बड़ी। कभी-कभी बहुत सी बातें और चीज़ें अनदेखी करके, और दूसरों को माफ करके भी हम अपनी परेशानी को हल कर सकते हैं। तो चलिए आगे विस्तार से पढ़ते हैं, संकट से निकलने के उपाय या परेशानियां दूर करने के उपाय।

परेशानियां दूर करने के उपाय (Pareshaniyan door karne ke upay)

समझे समस्या को सबसे पहले

किसी भी समस्या, परेशानी या संकट से निकलने के उपायों में सबसे पहले आता है, समस्या को समझना। हमारी समस्या या परेशानी कुछ भी हो सकती है, जैसे- करियर से संबंधित कोई परेशानी, ऑफिस में बॉस से तालमेल बेहतर न हो पाना या कोई रिलेशनशिप प्रॉब्लेम। हर परेशानी से निकलने के लिए सबसे पहले हमारा सकारात्मक होना और समस्या की जड़ को समझना ज़रूरी है। चलिए जानते हैं खुद को सकारात्मक रखते हुए परेशानी के हल कैसे ढूंढें।

परेशानी को जांचें और फिर हल ढूंढें

हमें परेशानी महसूस होते ही उस परेशानी को समझना होता है कि यह समस्या हमारी खुद की है या दूसरों के कारण है।‌ यह जानने के बाद बारी आती है परेशानी की असल वजह जानने की कि आखिर यह परेशानी आई कहां से? जब हम यह भी जान लेते हैं कि परेशानी क्या है, इस परेशानी का क्या कारण है, तब हमें इस बात पर ध्यान देना होता है कि यह समस्या या परेशानी हमारे किसी व्यवहार से जन्मी है या हमारी कोई पुरानी आदत इसके लिए ज़िम्मेदार है? और जब आप जान जाएं कि इस वजह से आप इस परेशानी में फंसे हैं, तो फिर अब बारी आती है, उस वजह को हल करने की। अगर परेशानी हमारे किसी गलत व्यवहार के कारण पैदा हुई है तो उस व्यवहार को बदलने की कोशिश करें, ताकि दोबारा आप फिर उसी समस्या का शिकार न हो। 

अपनी आदतों पर दें ध्यान

अगर किसी आदत के चलते बार-बार परेशानी खड़ी हो जाती है तो उस आदत को बदलने की कोशिश करें। मैं समझती हूं कि किसी भी आदत को बदलना आसान नहीं होता, लेकिन कोशिश करने वालों की भी तो हार नहीं होती। तो कोशिश करें और जो चीज़ आपको परेशानी के हत्थे चढ़ा रही है, उसे छोड़ दें। 

मेडिटेशन भी कर सकता है मदद

क्या आपको पता है, परेशानियों का हल खोजने में हमारे लिए मेडिटेशन पेन किलर का काम करता है। हम अगर संकट के समय मेडिटेशन या योग करें तो हम बहुत सी परेशानियों को खुद हल कर सकते हैं। शांत मन में समस्याओं के समाधान कई बार खुद चले आते हैं।

मदद लेना भी कर सकता है मदद

बहुत बार ऐसा भी होता है कि हम अपने व्यवहारों और आदतों को बदल कर भी उस परेशानी से बाहर नहीं आ पाते, क्योंकि उस समस्या की वजह हम नहीं बल्कि कोई दूसरा ही व्यक्ति होता है। ऐसे में हम चाहे जो कर लें, जब तक दूसरा व्यक्ति जब तक अपनी आदतें नहीं बदलेगा, तब तक हम संकट दूर करने के उपाय नहीं ढूंढ पाएंगे। ऐसे में हम किसी मेंटर की मदद ले सकते हैं। मेंटर कोई मनोचिकित्सक हो सकता है, या कोई बढ़िया सलाहकार, जो हमें हमारी ऐसी परेशानियों से छुटकारा पाने में मदद करेगा, जिन्हें हम अकेले खत्म नहीं कर सकते हैं। इस तरह हम न केवल संकट दूर करने के उपाय पा लेंगे बल्कि बार-बार परेशानियों में पड़ने से भी बच जाएंगे।

सोच समझ कर करें यकीन

अक्सर हम इतने मासूम बन जाते हैं कि किसी भी बातों में आसानी से आ जाते हैं। अब सीधी बात है जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे किसी पर भरोसा कर लेगा, उसे धोखे मिलने के आसार उतने ही बढ़ जाएंगे। ऐसे धोखे हमारी परेशानी को बढ़ाने के लिए काफी है। इसके लिए हमें थोड़ी समझदारी से काम लेते हुए, लोगों पर यकीन करना चाहिए और अपनी आंखों के साथ-साथ अपने दिमाग को भी खुला रखकर फैसले लेने चाहिए।

आर्टिकल पर फीडबैक कमेंट में ज़रूर दें। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।

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