75वें गणतंत्र दिवस पर समझें देश के संविधान का महत्व

हमें आज़ादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई, लेकिन, 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना। इसी दिन हमें संविधान के रूप में एक ऐसा ग्रंथ मिला, जिसमें हमें भारत के नागरिक होने के नाते सारे अधिकार मिले।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश को अंग्रेजों से आज़ादी मिले 75 वर्ष से ज़्यादा हो गए हैं। आज अपना देश विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और उम्मीद जतायी जा रही है कि आने वाले 10 साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी। अंग्रेजों से आज़ादी के बाद ये सब अगर संभव हो सका, तो वो बस हमारे संविधान की वजह से। इसलिए हमारे लिए संविधान का महत्व काफी बढ़ जाता है।

हमें आज़ादी तो 15 अगस्त 1947 को मिल गई, लेकिन 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना। इसीलिए देश में गणतंत्र दिवस का महत्व बहुत बड़ा है। इसी दिन हमें संविधान के रूप में एक ऐसा ग्रंथ मिला, जिसमें हमें भारत के नागरिक होने के नाते सारे अधिकार मिले। इसी संविधान में हमें अपनी सरकार चुनने से लेकर सारे वो अधिकार दिए गए, जो किसी भी नागरिक को एक स्वतंत्र राज्य में चाहिए होता है। संविधान में दिए गए अधिकार के तहत ही आज हम आज़ाद नागरिक की तरह पूरे देश में कहीं भी घूम-फिर सकते हैं और जीवन जी सकते हैं।

गणतंत्र का अर्थ होता है शासन करने वाली एक ऐसी प्रणाली, जिसका चयन गण यानी लोगों/जनता के द्वारा किया गया हो। यह दो शब्दों से बना है गण और तंत्र। गण यानी जनता और यहां तंत्र का मतलब है शासन। पूरा अर्थ देखे तो जनता का शासन। हमारे देश में जनता के वोट के अनुसार ही सरकार का चुनाव किया जाता है।

तो चलिए गणतंत्र दिवस (Republic Day) के अवसर पर सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको संविधान के महत्व के बारे में बताते हैं। साथ ही संविधान में हमारे लिए क्या है ये भी बताएंगे।

भारत का संविधान है अनोखा (Bharat ka samvidhan hai anokha)

भारत के संविधान (Indian Constitution) को 60 देशों के संविधान का अध्ययन करने और रिसर्च करने के लिखा गया था। इन देशों के संविधान में जो भी अच्छी बातें थीं उसे अपनाया गया था। भारत के संविधान को मूलरूप में लाने में करीब दो साल लग गए थे। गणतंत्र दिवस के दिन ही संविधान चलन में आया था। कई देशों के संविधान के अध्ययन के बाद भारत का संविधान अनोखा है और इसमें कई ऐसी खासियत हैं, जो कहीं और के संविधान में नहीं है।

संविधान में देश के नागरिकों को दिया गया है सबसे ऊंचा स्थान (Samvidhan mein desh ke nagrikon ko diya gaya hai sabase uncha sthan)

भारत संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक लोकतंत्र है। यह देश संविधान के अनुसार चलता है। यहां हर चीज़ संविधान में निहित नियम और कानून के अनुसार ही होता है। संविधान की शुरुआत ही ‘हम भारत के लोग’ से होता है। इससे पता चलता है कि हमारे संविधान में यहां के नागरिकों को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। भारत के संविधान में अगर किसी चीज़ को सबसे ज़्यादा महत्व दिया गया है, तो वो है यहां के नागरिक, जो इस देश में बसते हैं। संविधान में किसी से भी कोई अंतर नहीं किया गया है। सबको समानता का अधिकार दिया गया है। भारत का एक आम नागरिक भी सरकार के खिलाफ बोल सकता है और उसके खिलाफ आंदोलन कर सकता है। ये अधिकार हमें हमारे संविधान ने दिया है।

सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारत का (Sabase bada likhit samvidhan hai bharat ka)

गणतंत्र दिवस पर हमारा ये समझना जरूरी है कि भारत का संविधान विविधताओं और विशेषताओं से भरा हुआ है। इसमें 90 हज़ार से ज़्यादा शब्द हैं, जो किसी और देश के संविधान में नहीं हैं। वहीं, भारत के संविधान की एक और सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये न तो बहुत ही लचीला है और न ही बहुत सख्त है। इसके कारण यहां के लोग इसको बहुत ही आसानी से अपनाते हुए चले आ रहे हैं। हमारे संविधान की इसी खासियत के कारण, इसका आज तक कोई विरोध नहीं कर पाया है। साथ ही एक संविधान में, केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों के कार्य संचालन के लिए व्यवस्थाएं की गयी हैं।

हमारे संविधान में सिर्फ देश के आम नागरिकों को ही सर्वशक्तिशाली बनाया गया है। इसके अलावा सभी को सिर्फ इतना ही अधिकार दिया गया है, जिससे कभी कोई भी एकाधिकार करने की स्थिति में नहीं हो। चाहे वो चुनी हुई सरकार हो या फिर कोर्ट। सभी को एक-दूसरे को बैलेंस करने की क्षमता दी गयी है। हमारा संविधान अगर नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है, तो साथ ही साथ मौलिक कर्तव्यों को भी पूरा करने के लिए कहता है। देश का संविधान देशवासियों के बीच एकता की भावना बनाए रखने में भी मदद करता है।

हर समुदाय का रखा गया विशेष ध्यान (Har samudaye ka rakha gaya vishesh dhyan)

भारतीय संविधान (Indian Constitution) में सभी नागरिकों के साथ-साथ सभी समुदाय का खास ध्यान रखा गया है। भारत कई संस्कृतियों का देश है। भारत में कई समुदाय रहते हैं, इसलिए इनको इसमें स्पेशल जगह दी गई है। चाहे वो आदिवासी हों या फिर पिछड़े और अप्लसंख्यक हों। सभी को संविधान में बराबर का अधिकार देने के साथ ही सुरक्षा की पूरी गारंटी दी गई है। यहां 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों जाति, लिंग, वर्ग आदि का बिना भेदभाव करते हुए वोट देने का अधिकार दिया गया है। सभी को मतदान देने का अधिकार भारत में संविधान के लागू होने के साथ ही दे दिया गया, जो हमारे संविधान की खास विशेषता में से एक है।

सभी को दिया गया है मूल अधिकार (Sabhi ko diya gaya hai mool adhikar)

भारतीय लोकतंत्र में संविधान को सबसे ऊपर रखा गया है। संविधान के हिसाब से ये पूरा देश चलता है। संविधान में निर्वाचन का आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के कार्य करने के तरीके और उनके अधिकार के बारे में उल्लेख किया गया है। इसी में राष्ट्रपति के अधिकार और प्रधानमंत्री के अधिकार और उनके कार्यों के दायरा के बारे में लिखा गया है। ये सभी संविधान के मूल भावना का ख्याल रखते हुए कार्य करते हैं। संविधान के भाग तीन में अनुच्छेद 12 से लेकर 35 के बीच मौलिक अधिकारों के बारे में बताया गया है। ये वो अधिकार हैं, जो किसी भी नागरिक के विकास के लिए बहुत ही ज़रूरी हैं। संविधान में सभी नागरिकों को छह मौलिक अधिकार दिए गए हैं।

इस आर्टिकल में हमने आपको गणतंत्र दिवस और भारतीय संविधान के महत्व के बारे में बताया। साथ ही संविधान में हमें दिए गए मौलिक अधिकारों के बारे में भी बताया। सोलवेदा हिंदी की तरफ से भारत के सभी नागरिकों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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