पहले के ज़माने से अब का ज़माना बिल्कुल बदल चुका है। ऐसे में ज़माने के साथ-साथ समाज के नियमों का बदलना भी लाज़मी है। माता पिता आज से 50-100 साल पहले अपने बच्चों की परवरिश जिस तरह से करते थे, उस तरीके में भी अब काफी बदलाव आ चुका है। लेकिन, आज के ज़माने में बच्चों को वो कौन-सी 10 बातें सिखाई जानी बहुत ही ज़रूरी हैं, जो बच्चों की ज़िंदगी संवार सकती है, ये आज हम आपको इस आर्टिकल का ज़रिए बताएंगे।
इन 10 बातों में ऐसी कई अच्छी आदतें भी शामिल हैं, जो समय के साथ नहीं बदली हैं और ना ही आगे बदलेंगी। कुछ बातें, संस्कार और आदतें सदियों से चली आ रहीं हैं और आगे भी चलती रहनी चाहिए। तो चलिए बिना देर किए अब बढ़ते हैं उन 10 अच्छी आदतों(achi aadatein) की ओर, जो आज के समय में आपको भी अपने बच्चों को सिखानी चाहिए।
बच्चों में बोएं दया की भावना
आप बिल्कुल देख रहें होंगे कि दिन प्रतिदिन लोग कितने असंवेदनशील होते जा रहें हैं। लोगों को जहां अपना फायदा दिखता है वहां वो हमेशा नज़र आते हैं, मगर जब बात निस्वार्थ दया की होती है तो कुछ ही लोग किसी के लिए खड़े नज़र आते हैं। ये स्थिति तब ही बदलेगी जब हम अपने बच्चों में दया भाव का बीज बोएंगे।
दया सिर्फ इंसान के प्रति नहीं होती है बल्कि दया जानवर, पेड़-पौधे, पक्षी हर किसी के प्रति होती है। अगर हम बच्चों को सिखाए कि निर्बल और असहाय के प्रति दया की भावना रखनी चाहिए तो वो बड़े होकर अपने बच्चों को भी यही सिखाएंगे। ऐसे में समाज में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। दुनिया रहने के लिए एक बेहद सुरक्षित और सुंदर जगह बन जाएगी।
बच्चों को सिखाएं सही बर्ताव करना
अब चाहे वो स्क्रीन देखने की 24 घंटे की आज़ादी हो या कोई और कारण, पहले के मुकाबले बच्चे काफी चिड़चिड़े होते जा रहें हैं। स्क्रीन पर हम हर कुछ कंट्रोल नहीं कर सकते हैं, इससे छोटे बच्चों के मानसिक विकास पर काफी असर पड़ता है, इसलिए सबसे पहले तो आप बच्चों का स्क्रीन टाइम कंट्रोल करें। इसके बाद आप ध्यान दें कि बच्चों के गुस्से और बुरे बर्ताव का कारण क्या है, क्यों वे लोगों से ढंग से पेश नहीं आते हैं, क्यों किसी रिश्तेदार के सवाल पूछने पर वो बत्तमीज़ी करते हैं। ध्यान देने पर आपको कारण ज़रूर मालूम पड़ेगा। उस कारण पर काम करने की ज़रूरत है ताकि बच्चों के व्यवहार में बदलाव आए।
समझाएं मेहनत की कीमत
मेरे बचपन में मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी नहीं थी। हमारी स्टेशनरी की एक दुकान थी। मेरा जब मन होता था मैं अपनी मां से कभी पेंसिल, कभी कॉपी की फरमाइश कर देती थी। मगर मेरी मां ने कभी भी मुझे कुछ भी ऐसे ही नहीं दिया बल्कि वो मुझसे कहती थीं कि जितने रूपए का तुम सामान ले रही हो या तो उसके लिए तुम अपनी पॉकेट मनी सेव करो या फिर थोड़ी पढ़ाई एक्स्ट्रा करो। मैं पढ़ाई से बेहतर बचत करने में थी तो मैं पैसे जमा करने के बाद अपनी ही दुकान से अपना मनचाहा सामान खरीदती थी। बचपन में मुझे लगता था पता नहीं मां कंजूसी क्यों करती है मगर उनकी वो कंजूसी मुझसे बड़े होने पर समझ आती है। मां की उस छोटी सी बात ने मुझे पूरी ज़िंदगी मेहनत और बचत करने के लिए तैयार कर दिया था।
बच्चों को ये समझाना बहुत ज़रूरी है कि भले कि उनके माता-पिता के पास किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है, मगर उनको अपने सपने पूरे करने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी, जैसे उनके माता-पिता ने की है।
समझाएं मोल रिश्तों का
कई बार माता-पिता बच्चों को काम के कारण समय नहीं दे पाते। धीरे-धीरे बच्चों और उनमें दूरी आ जाती है। ऐसे में पेरेंट्स को हफ्ते में कम-से-कम एक दिन बच्चों के साथ बिताना चाहिए। उस दिन स्क्रीन और काम से खुद को दूर रखें। उनके साथ उनके फेवरेट गेम्स खेलें, उनकी बातें सुनें, उन्हें समझाएं कि आप उनके दोस्त भी हैं। मां-पापा से बच्चे सबसे पहले सीखते हैं तो अगर आप रिश्तों में मिठास रखना जानते हैं तो बच्चे अपने आप आपसे ये सीख जाएंगे। इन तरीकों से मां-पिता का बच्चों से रिश्ता गहरा हो सकता है।
समय का महत्व बताएं
बच्चों के पास आज के समय कई ऐसी चीज़ें उपलब्ध हैं जिनसे उनका ध्यान आसानी से भटक सकता है और वो कई दिनों का समय सिर्फ एक गेम खेलने या मोबाइल चलाने में बिता सकते हैं। उन्हें अलग-अलग तरीकों से समझाएं कि समय से कीमती कुछ नहीं है। अगर समय रहते कोई चीज़ ना की जाए तो शायद दोबारा उसे करने का हमें समय मिले ही नहीं।
जोड़ें उन्हें प्रकृति से
ग्लोबल वार्मिंग तेज़ी से बढ़ रही है। हमारे बच्चे ही आगे की पीढ़ी है। ऐसे में उन्हें प्रकृति, पेड़-पौधे हरियाली, पानी के बचाव का महत्व समझाना बहुत ज़रूरी है। अगर आज हम उन्हें पर्यायवरण से प्यार करना सिखाएंगे तो कल वे इस दुनिया को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।
सिखाएं भेद–भाव ना करना
यह अच्छी आदत बच्चों में होना बहुत ही ज़रूरी है। आज का समाज भेदभाव के तले दब रहा है। कभी रंग तो कभी गांव, कभी आर्थिक स्थिति तो कभी शिक्षा, किसी न किसी वजह से हम में से कई लोग भेदभाव का सामना करते हैं। लोग चिढ़ाते हैं दूसरे को क्योंकि उनका रंग अलग है, उनके कपड़े पहनने का ढंग अलग है, कभी उनकी भाषा अलग तो कभी उनकी चाल अलग है। हम एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं, कभी जानकर, कभी अनजान बनकर। ऐसे में बहुत ज़रूरी है हम बच्चों को सिखाएं सबको एक नज़र से देखना और इन सब के आधार पर किसी से नफरत या घृणा नहीं करना।
ईमानदारी है ज़रूरी
हम अखबारों में पढ़ते हैं पुल गिर जाने की खबरें, किसी को सालों तक इंसाफ न मिलने की खबरें तो कभी चोरी और लूट की खबरें। इन खबरों की जड़ क्या है, जड़ है बेईमानी। सभी कर्मचारी ईमानदार होते तो कोई पुल कभी नहीं गिरता, लोग ईमानदार होते तो कभी चोरी-लूट नहीं होती, सरकारी अफसर ईमानदार होते तो सबको इंसाफ मिलता औरकभी रिश्वत नहीं देनी पड़ती। ईमानदारी कितनी ज़रूरी और इससे हमारा समाज कैसे बेहतर बन सकता है, ये बच्चों को सिखाना बहुत ज़रूरी है। समाज में जितने ज़्यादा ईमानदार लोग होंगे, समाज उतना ही बेहतर बनेगा।
टीमवर्क की आदत
बच्चों को यह समझाना भी ज़रूरी है कि हर बार वो अकेले ही सारे काम नहीं कर सकते, ना ही हमेशा सारे फैसले खुद ले सकते हैं, उन्हें दूसरों की भी बात सुननी और रखनी पड़ेगी। यह शुरुआत आप उनके भाई-बहनों के साथ या खुद के साथ कर सकते हैं। कोई भी सामान खरीदने जाएं तो उनकी राय भी लें। उन्हें सिखाएं अपना पक्ष रखना और दूसरों की सुनना। यह आदत उन्हें आने वाली ज़िंदगी के लिए तैयार करेगी।
आभार व्यक्त करना और शुक्रगुज़ार रहना
बच्चों को ज़रूर सिखाएं कि जब कोई उनकी मदद करें तो वे उन्हें दिल से शुक्रिया कहें। वक्त आने पर वे भी दूसरों की मदद करें। इसके अलावा उन्हें शुक्रगुज़ार रहना सिखाएं। उन्हें बताएं दुनिया में बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जो खरीदी जा सकती हैं, लेकिन उनके पास जो है, वो भी किसी के लिए सपना है। तो जो है उसके लिए खुश और शुक्रगुज़ार रहें। यह अच्छी आदत बच्चों को भविष्य में बेकार की चीज़ों के पीछे भागने और उदास रहने से रोकेगी। बच्चे सीखेंगे कि उनके पास सब कुछ नहीं हो सकता, मगर जो है उसमें वो खुश रह सकते हैं।
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