आनंददायक हरी घास, शांत नारंगी सूरज, शोक हरने वाली भूरे रंग की मिट्टी, शांत नीला आसमान, पीली सूखी पत्तियां मानव शरीर में होने वाले बेशुमार प्रभावों को उजागर करते हैं। बेशक, रंग केवल राहत नहीं पहुंचाते, बल्कि काफी कुछ करते हैं।
प्राचीन यूनानी और मिस्त्र के लोग रंगों को पढ़ना या रंगों के विभिन्न उपचार संबंधी गुणों में विश्वास करते थे। आज, रंग चिकित्सा या रंगों को पढ़ना, जिसे क्रोमोथेरेपी भी कहा जाता है, एक वैकिल्पक उपचार पद्धति बन गई है। यह कहा जाता है कि 7 मूल रंगों का शरीर के 7 चक्रों के साथ प्रगाढ़ संबंध है, जो प्रत्येक मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यही बात रंग चिकित्सा या रंगों को पढ़ना जैसी कला के आधार को विकसित करती है।
‘सोलवेदा’ के साथ हुई एक खास बातचीत में रंग चिकित्सक एलिसन स्टैंडिश ने रंगों को पढ़ना जैसी एक अनूठी कला और रंगों के हम पर पड़ने वाले प्रभाव के विषय में चर्चा की।
साक्षात्कार के कुछ अंश :
हमारे स्वास्थ्य और खुशियों पर रंग क्या प्रभाव डालते हैं? (Hamare swasthya or khushiyon par rang kya prabhav dalte hain?)
ब्रिटेन जैसे देशों में जब सूरज सुनहरे और आसमान नीले रंग में चमकता है, तो लोग खुद को सामान्य रूप से ज्यादा बेहतर महसूस करते हैं। उनके आसपास एक सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।
मूल रूप से रंग विभिन्न आवृत्तियों में विभाजित प्रकाश है। जब इन्हें वस्तुओं से होकर गुज़ारा जाता है, तब हर रंग अपनी अनूठी आवृत्ति का स्पंदन करता है और इन आवृत्तियों को लेकर हमारी प्रतिक्रियाएं भी अलग-अलग होती हैं। स्पेक्ट्रम का गर्म हिस्सा लाल, नारंगी और पीला होता है, जो हमें खुशी, सृजनशीलता और ऊर्जा प्रदान करता है। लाल रंग हमें उत्तेजित करता है और रक्तचाप को बढ़ाता है, जबकि पीला रंग दिमाग को प्रभावित करता है और हमारा ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। हरा रंग प्रकृति का रंग है, यह हमारे फेफड़ों को सांस लेने और उनका विस्तार करने में मदद करता है। नीला रंग हमें शांत कर हमारे गुस्से को कम करने और रक्तचाप को घटाने का काम करता है। गहरा नीला और बैंगनी रंग हमें ध्यान लगाने व हमारी निंद्रा को बेहतर करने में मदद करता है।
सभी रंग मिलकर हमारे शरीर को संतुलित बनाए रखने में मदद करते हैं। इनके संतुलन से हमें खुशी मिलती है। हमें इन्हीं रंगों को पढ़ना है।
क्या आपका यह कहना है कि रंग चिकित्सा का आध्यात्मिक महत्व है? (Kya aapka yah kahna hai ki rang chikitsha ka adhyatmik mahtv hai?)
रंग चिकित्सा, शरीर तंत्र में स्थित चक्रों से मेल खाती है। चक्र, वे ऊर्जा बिंदु हैं, जो हमारे विद्युत चुंबकीय क्षेत्र के माध्यम से शरीर के अंदर और फिर बाहर सूचना को फिल्टर करने की अनुमति देते हैं। प्रत्येक रंग एक चक्र का प्रतिनिधित्व करता है और हमारी इंद्रियों, मस्तिष्क, शरीर और आत्मा को प्रभावित करता है, इसे जानने के लिए हमें रंगों को पढ़ना होता है।
यह जानने के लिए कि रंग हमारी आध्यात्मिकता को प्रभावित करते हैं, हमें विभिन्न संस्कृतियों की परंपराओं पर नज़र डालनी होगी और हमें इन सब रंगों को पढ़ना व अध्ययन करना होगा। हम सभी धर्मों में इसकी अलग-अलग मौजूदगी को देखते हैं। रक्षक रूपी विष्णु का रंग नीला है, यह इस बात को दर्शाता है कि स्वास्थ्य लाभ और सुरक्षा के लिए नीला रंग उत्तम है। ईसाई धर्म में बैंगनी और सोने का रंग पीला का एक खास महत्व है। यह हमारे मस्तिष्क को सभी स्त्रोतों से जोड़ता है। मेरा विश्वास है कि रंग एक माध्यम है, एक शुद्ध ऊर्जा है, जो हमें ईश्वर के करीब ले जाता है और रंगों को पढ़ना इसे संभव बनाता है।
आपकी वेबसाइट पर यह लिखा हुआ है कि रंग संबंधों को और मजबूत करते हैं। ऐसा कैसे होता है?
हम एक ऐसे उपकरण के साथ काम करते हैं, जो न्यूमरोलॉजी को रंग के साथ जोड़ता है। इसके सहयोग से यह पता चलता है कि आपकी जन्मतिथि के हिसाब से आप किस रंग को बिखेरेंगे। यहां रोचक बात यह है कि यह जानकारी काफी सटीक है। हमारे जन्म के दिन, महीने और वर्ष का हमारी जीवन यात्रा पर प्रभाव पड़ता है। हम इस जानकारी का उपयोग कर लोगों को यह समझाते हैं कि वे वास्तव में कौन हैं।
रंग की अपनी भाषा होती है, इसलिए हमें रंगों को पढ़ना है। यह आपके रिश्तों में सकारात्मकता ला सकती है। एक बार जब आप अपने रंगों का चुनाव कर लेते हैं तो उसके आश्चर्यजनक और रोचक परिणाम हमारे समक्ष आते हैं।
उपचार के लिए कौन-से उपकरण और तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है?
हम थियो गिंबेल और दिनेश स्पेक्ट्रो-क्रॉम जैसे चिकित्सकों की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा हम बायोप्ट्रॉन लैंप और जर्मनी के इनोवेटिव आईवियर का भी इस्तेमाल करते हैं।
खांसी और सर्दी जैसी मामूली बीमारियों के इलाज में रंग कैसे मदद कर सकते हैं?
मैं सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए नारंगी रंग का इस्तेमाल करती हूं। यह एक गर्म रंग है, लेकिन उतना गर्म नहीं जितना की लाल। यह बलगम और साइनस को ठीक करने में बेहद उपयोगी होता है। हम रंग से शरीर ढकने का भी सुझाव देते हैं- इसके तहत आप स्वयं को नारंगी रंग के कंबल में लपेटते हैं और एक नारंगी रंग के ग्लास में शहद तथा नींबू के साथ अधिक मात्रा में गुनगुना पानी पीते हैं।
क्या आप हमेशा से एक रंग चिकित्सक ही थीं? आपके पेशे में किस प्रकार के जोखिम हैं?
एकमात्र खतरा तो यही है कि लोग आपको गंभीरता से नहीं लेंगे। हालांकि, लोगों की प्रवृत्ति में अब परिवर्तन आ रहा है। मैं कॉरपोरेट दुनिया में काम करती थी। अब मैं इस तरह के शानदार उपकरणों के साथ व्यावसायिक दुनिया के साथ जुड़ी हुई हूं।
आपने रंग चिकित्सा की खोज कैसे और किस उम्र में की?
जब मैंने रंग चिकित्सा में कोर्स किया और रंगों को पढ़ना सीखा तब मैं 37 साल की थी। इससे पहले, मैं प्रिंट उद्योग से जुड़ी हुई थी। ब्रिटेन की कैनन कंपनी मेरी सबसे बड़ी ग्राहक थी। मैंने सेल्स टीम के साथ काम करते हुए उन्हें स्क्रीन की जानकारी को कागज़ पर उतारने की नई तकनीक के बारे में समझाया। उन्हें यह भी बताया कि रंग इसमें कैसे उनकी सहायता करेगा।
बस फिर तभी मैंने पूरक चिकित्सा जैसे रेकी और अन्य उपचारों के विषय में सीखने का निश्चय किया। इस तरह मैंने रंगों को पढ़ना सीखा।
इस खोज के बाद क्या आप खुशी महसूस करती हैं? आध्यात्मिक रूप से आप स्वयं को कहां पाती हैं?
मुझे रंगों, और उनके सभी अद्भुत गुणों से प्रेम है। ये मुक्त और सर्वत्र हैं। रंगों को पढ़ना अर्थात रंग चिकित्सा की बुनियादी समझ के बाद मेरी इच्छा इसे और विस्तार देने की है। मेरा विश्वास है कि दुनिया रंग के प्रति अपने प्यार को फिर से दर्शाने के लिए तैयार है।
इस पड़ाव पर पहुंचकर अब मैं अपना मार्ग नहीं बदलना चाहूंगी। मैं आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से आज़ाद हूं। इस माध्यम से मैंने रंगों को पढ़ना और बहुत कुछ सीखा है, जिसे दूसरों के साथ बांटने में मुझे खुशी होगी।