ह्यूमन माइंड विचारों, भावनाओं और यादों का एक अथाह सागर है। लेकिन हमने इस महासागर को कितना एक्सप्लोर किया है? इसे कितनी गहराई में जाकर खोजा है।
ह्यूमन माइंड में गोते लगाना अपने आप में एक एडवेंचर है, जो बहुत चुनौतीपूर्ण भी है। अगर आप अपने आपको व अपने सच्चे मन को समझना चाहते हैं, तो यह डाइव लगाना जरूरी हो जाता है। हम सभी अपने विचारों और भावनाओं के प्रति संवेदनशील नहीं होते। माइंड इतना डीप और डार्क होता है कि कभी-कभी तो हम अक्सर उस पर प्रकाश डालने के ख्याल तक से कांप उठते हैं। शायद, हमें इस बात का डर होता है कि न जाने हमें वहां क्या मिल जाए। हो सकता है कि हमारे अपने विचारों, भावनाओं और यादों की तीव्रता हमें डराती हो। लेकिन यह यादें हमारे कॉन्शियस माइंड (सचेतन मन) की मेमोरी (यादों) पर पर्दा डालती हैं। हमारे अनुभव की उन यादों में ही शायद हमारी समस्या का हल छुपा हो।
लेकिन अगर हम विश्वास के साथ अपने मन का पता लगाने के लिए उसमें गोता लगाएं, तो हम हमारे सामने बार-बार आने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढ़ सकते हैं। ठीक यही बात हुस्ना कौसर हमें करने के लिए प्रेरित करती हैं। पेशे से एक काउंसिलिंग सायकोलॉजिस्ट कौसर क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी (Clinical Hypnotherapy) का उपयोग कर लोगों की अपने भीतर और बाहर झांकने में मदद करती हैं।
वह एक इंटुईटीव्ह लाइफ कोच (सहज ज्ञान जीवन प्रशिक्षक) भी हैं, जो न केवल लाइफ और वेलबिइंग को लेकर होलिस्टिक अप्रोच अपनाने की सलाह देती हैं, बल्कि यह भी कहती हैं कि ट्रू सेल्फ (सच्चा खुद) को समझना क्यों जरूरी है।
‘सोलवेदा’ के साथ एक विशेष बातचीत में कौसर हमें बताती हैं कि कैसे क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी (सम्मोहन चिकित्सा) किसी के सबकॉन्शियस माइंड (अवचेतन मन) को समझने का प्रभावी उपकरण है। यह कैसे हमें वह बनाने में अहम भूमिका अदा करती है, जो भीतर से हम होते हैं।
आप एक इंटुईटीव्ह लाइफ कोच हैं। क्या आप हमें बता सकती हैं कि इसमें क्या होता है?
मैं अपने इंटुईटीव्ह सेंस का उपयोग लोगों को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन करने के लिए करती हूं। विशिष्ट जीवन प्रशिक्षण के विपरीत जो कि स्थितियों या जीवन के पहलुओं के लिए व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। मैं उनकी ऊर्जा को जानकर उस व्यक्ति विशेष के अनुरूप उसका स्तर तैयार कर उन्हें उनके जीवन पथ पर वापस लाने में उनकी मदद करती हूं।
लोगों को ठीक करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए आपने हिप्नोसिस (सम्मोहन) तकनीक को अपने तरीकों में शामिल करने की प्रेरणा कहां से हासिल की?
मैं जीवन में बहुत पहले ही समझ चुकी थी कि हमारा माइंड ही हमारे लाइफ की ‘की’ (चाबी) है। तभी मुझे यह भी एहसास हुआ कि मैं अपने आसपास के लोगों को सशक्त बनाकर और उन्हें ठीक करके बहुत अच्छा महसूस करती हूं। नतीजतन मैंने दोनों को आपस में जोड़ना शुरू किया और महसूस किया कि लोगों का मार्गदर्शन करने, उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें ठीक करने के लिए क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी सबसे अच्छा उपकरण है। क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी इस बात पर आधारित है कि हम अपने दैनिक जीवन (Dainik Jivan) में कैसे कार्य करते हैं। इसलिए, जब मैंने इसका उपयोग करना शुरू किया, तो तुरंत सकारात्मक परिणाम सामने आए।
क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी क्या है? किस प्रकार के मामलों में क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी का उपयोग किया जा सकता है?
क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी एक कॉम्पलीमेंटरी (पूरक) और अल्टरनेटिव (वैकल्पिक) चिकित्सा है, जो किसी व्यक्ति को उसकी बुरी आदतों, तनाव, भय, एलर्जी, आघात आदि विभिन्न समस्याओं से निजात दिलवाने में मदद कर सकती है। क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी वास्तव में एक व्यक्ति को अपने ‘सेल्फ’ (खुद) के बारे में इतना जागरूक बना देती है कि वे अपनी पिछली घटनाओं में जाकर देख सकते हैं। ऐसे उदाहरण ले सकते हैं, जो निश्चित रूप से उनके चेतन मन के साथ नहीं देख सकते होंगे। एक बार घटना की पहचान हो जाने के बाद व्यक्ति को सकारात्मक लहजे के साथ उस पल को फिर से जीने के लिए तैयार किया जाता है और इस तरह यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह बुरी यादों को वहीं छोड़ दे। अनिवार्य रूप से क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी रिवील-रिलीव-रिलीज़ अर्थात् यह उस पुरानी घटना को जानना, उसे फिर से जीना और अवांछित घटना को छोड़ना है!
क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी किसी व्यक्ति को अपने जीवन को बेहतर बनाने में कैसे मदद कर सकती है?
हम सभी के दिमाग में बुरे अनुभव और आघात अपनी छाप छोड़ते हैं। क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी न केवल इन अनचाहे अनुभवों को दूर कर सकती है, बल्कि उन्हें उस चीज से बदल सकती है, जो हम चाहते हैं- इसे हम, ‘री-इम्प्रिंटिंग द ब्रेन’ या मस्तिष्क को फिर से प्रभावित करना कहते हैं।
सम्मोहन के तहत व्यक्ति के साथ वास्तव में क्या होता है?
यह एक मिथक है कि सम्मोहन के प्रभाव में व्यक्ति अपने मन पर से नियंत्रण छोड़ देता है। होता इसके ठीक विपरीत है: व्यक्ति अपने ‘सेल्फ’ (खुद के बारे में इतना अधिक जागरूक हो जाता है कि वह जीवन में होने वाली घटनाओं को सटीकता के साथ चिह्नित कर सकता है। डॉक्टर सम्मोहन से उस व्यक्ति की समस्या से संबंधित एक प्रासंगिक घटना की पहचान करने में उसकी मदद करने के बाद, उन्हें उस पल को बहुत सकारात्मकता के साथ फिर से जीवंत करवाता है। साथ ही उनके मन पर हुए आघात और बुरे अनुभव से मुक्त करने के लिए उनके अतीत को फिर से प्रभावित करने की कोशिश करता है। फिर हम उसके भविष्य को ऐसी स्थितियों के लिए ‘प्री-इम्प्रिंट’ अर्थात पहले से ही प्रभावित कर देते हैं, जिससे व्यक्ति को अपने ‘सेल्फ’ को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
आप क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी का उपयोग व्यक्तियों को उनके ‘इनर सेल्फ’ (आंतरिक स्वयं) से मिलने के लिए परामर्श देने के लिए करती हैं। क्या आप कोई विशेष मामला साझा कर सकती हैं, जिसमें एक व्यक्ति अपने भीतर जाकर अपनी समस्या को ठीक करने में सफल हो गया हो?
मेरे पास एक मरीज था, जो पूरे विश्वास से यह मानता था कि उसके पिता, जो एक डॉक्टर हैं, ने उसके शरीर को नष्ट कर दिया था। उसने कहा कि उनके पिता ने उसे बचपन में बहुत सारी एलोपैथिक दवाइयां, यहां तक कि मामूली कारण होने पर भी दी थी। उसे लगता था कि इन दवाओं में शामिल केमिकल्स के बहुत ज्यादा सेवन के कारण उसका शरीर और दिमाग प्रभावित हो गया है और वह इस जीवनकाल में इससे उबर नहीं पाएगा।
मैंने उसे न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग-बेस्ड हिप्नोथेरेपी सेशन के लिए तैयार किया। जहां मैंने इस गहरी जड़ वाले विश्वास को बदलने पर ध्यान केंद्रित किया। आज वह आदमी पूरी तरह बदल चुका है। शादी के आठ साल बाद आखिरकार वह पिता बन गया है और अब वर्षों के संघर्ष के बाद वह अपने सपनों का करियर बना रहा है।
किसी व्यक्ति के लिए अपने इनर सेल्फ (आंतरिक स्वयं) को समझना कितना महत्वपूर्ण है? सेल्फ अवेयरनेस (आत्म–जागरूकता) क्यों महत्वपूर्ण है?
हमारे सभी दुखों की जड़ हमारा ‘सेल्फ’ (खुद) से दूर भागना है। बहुत से लोग अपनी भावनाओं और विचारों की तीव्रता से बचने की तब तक कोशिश करते हैं, जब तक कि ये सब समस्याएं बहुत बड़ी मात्र में इकठ्ठी न हो जाएं और फिर उनके पास लंबे समय तक चल रही मुसीबतों को सुलझाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता। मैं आपको एक बात बताना चाहुंगी, स्वयं को जानने के बाद ही कोई पूरी दुनिया की समस्याओं को सुलझा सकता है! यह सभी युगों की स्वयं को प्राप्त अनेक आत्माओं ने बताया है। हम दुनिया को उसी चश्मे से देखते हैं, जिस नजरिए से हम खुद को देखते हैं। इसलिए आत्म-जागरूकता हमारी अपने प्रति सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। क्लीनिकल हिप्नोथेरेपी इसमें हमारी मदद कर सकती है।