महिलाओं ने यूं तो काफी कुछ हासिल कर लिया है, लेकिन फिर भी उनकी प्रेरक कहानियों को हमेशा वह लोकप्रियता नहीं मिलती, जिसकी वे हकदार होती हैं। वे चाहे साधारण या असाधारण महिलाएं हों, उनका योगदान किसी भी समाज के लिए अहम होता है। लेकिन आज भी ऐसे संस्मरण या जीवनी उपलब्ध नहीं हैं, जो उनकी उपलब्ध्ता व योगदान का उत्सव मनाती दिखती हों। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुंबई निवासी लेखक जेरी पिंटो ने अपने अनुवाद से जुड़े कार्यों के माध्यम से महिलाओं की आवाज़ को सामने लाने की एक अहम कोशिश की है।
पिंटो द्वारा लिखित भारतीय फिल्म अभिनेत्री और नर्तक हेलेन रिचर्डसन खान की जीवनी, उनकी नॉवेल ‘एम’ और ‘द बिग हूम’ एक बायपोलर मां की कहानी को उसके टीनऐज बेटे की आंखों के माध्यम से बताती है। उनकी भारतीय अभिनेत्री लीला नायडू की सहलिखित जीवनी महिलाओं की आकर्षक जीवन के जुनून, उनके बाध्य करने वाले कार्य और श्रेष्ठ उपलब्धियों को बयां करती है।
‘सोलवेदा’ के साथ बातचीत में साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता ने महिलाओं की भक्ति कविताओं के किए गए अनुवादों के बारे में बात की। इन भक्ति कविताओं (Devotional poems) में अपने प्रियतम से मिलन की लालसा और डिवोशनल पोएट्री कविताओं के जेनडर्ड नेचर पर चर्चा की गई है।
आप एक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने समाज की खास महिलाओं की ज़िंदगी पर नॉन फिक्शन लेखन किया है। आपको इसकी प्रेरणा कहां से मिलती है?
मुझे नहीं लगता कि मेरे पास कोई और विकल्प है। मुझे लगता है कि कभी-कभी आप अपना काम नहीं चुनते, बल्कि काम आपको चुनता है। उदाहरण के लिए लीला नायडू ने मुझे चुना। मैंने उनके दोस्तों से उनके दिलचस्प जीवन के बारे में बहुत कुछ सुना था। अचानक एक दिन उन्होंने मुझे फोन किया व पूछा कि क्या मैं उनके मेमॉयर लिखने में उनकी मदद करना चाहूंगा। मैंने हमेशा महसूस किया है कि हमारे आसपास महिलाओं के बेहद कम संस्मरण उपलब्ध हैं। यदि आप किसी महिला को अपना मेमॉयर लिखने के लिए कहेंगे, तो आमतौर पर उनका जवाब होगा, ‘इसमें किसे दिलचस्पी होगी?’। यदि आप एक आदमी से कहते हैं कि उसे एक मेमॉयर लिखना चाहिए, तो वह झट से एक मैन्यूस्क्रि प्ट (पांडुलिपि) आपके सामने रख देता है।
आपके अनुसार भक्ति कविता व महिलाओं के बीच क्या कनेक्शन है?
भक्ति कविता और महिलाओं के बीच कनेक्शन(Bhakti kavita aur mahilaon ke bich connection) के बैरे में मैं केवल इतना कह सकता हूं कि कुछ सबसे सुंदर भक्ति कविताएं महिलाओं ने रचे हैं। जब पुरुष शास्त्रीय संगीतकार और कवि अपने संगीत से अपनी इच्छा या लालसा को प्रकट करना चाहते हैं, तो वे अक्सर स्त्रीलिंग में लिखते या गाते हैं, ताकि वे अपने प्रेमी से हुए विरह को प्रभावी तरीके से पेश कर सकें।
आपने हिंदुस्तानी संगीतकार नीला भागवत के साथ काम करते हुए अनेक वूमेन भक्ति पोएट्स की 50 से ज्यादा भक्ति कविता का अनुवाद किया है। इस पर साथ काम करने की बात कैसे बनी?
यह प्रोजेक्ट माहिम की उस जिम में शुरू हुआ जहां हम एक साथ जाते थे। उस दिन जिम का म्यूजिक सिस्टम फेल हो गया था और मैं व नीला भागवत दोनों ट्रेडमिल पर थे। तभी नीला ने मुक्ताबाई की रचना को गाना शुरू किया: मुंगी उडाली आकाशी, तीन गिलिले सूर्यांशी (एक चींटी आसमान में उड़कर सूरज को निगल गई)। मैंने नीला से कहा कि मैं इसे इसके अनुवाद रूप में पढ़ना चाहता हूं। तो उन्होंने मुझे बताया कि इसका कोई अनुवाद उपलब्ध नहीं था और अनेक मराठी महिला भक्ति कवियित्रियां हैं, जिनके भक्ति कविता का अनुवाद नहीं किया गया है। मैंने कहा, ‘आप इनमें से 50 या 60 भक्ति कविताओं को चुनो व हम उनका मिलकर अनुवाद करेंगे’। मुझे याद नहीं कि मैंने कितनी बार अलग-अलग लोगों को यह प्रस्ताव दिया और अधिकतर लोग उन प्रस्तावों के बाद वापस नहीं आए। लेकिन नीला भागवत उनसे अलग थीं। एक या दो सप्ताह बाद, वह अपनी पसंदीदा कविताओं के साथ मेरे दरवाज़े पर खड़ी थी।
ऐसी कविताओं का आज क्या महत्व है? मॉर्डन पाठक ने भक्ति काल का अनुभव नहीं किया या फिर वह कभी इसमें नहीं रहा है।
कोई भी कविता कभी भी अपने आप में प्रासंगिक या अप्रासंगिक नहीं होती। जब उसे पाठक मिलता है तब ही यह प्रासंगिक या अप्रासंगिक हो जाती है। आप एक किताब उठाकर पढ़ना शुरू करते हैं। कुछ देर बाद आप सोच सकते हैं, ‘नहीं, यह मेरे लिए नहीं बनी है’। आप इसे फिर वापस रख देते हैं। लेकिन कोई अन्य व्यक्ति उसी किताब को उठाकर पढ़ना शुरू करता है और उसे यह इतनी अच्छी लगती है कि वह इसे खत्म किए बगैर वापस नहीं रख पाता। यह वही किताब है लेकिन हर किसी के लिए उस किताब को देखने का नज़रिया अलग होता है।
21वीं सदी में इन महिलाओं की कविता को पुनर्जीवित करना आपके लिए चुनौतीपूर्ण रहा होगा। इस बारे में विस्तार से बताएं?
मैं यह कहने की हिम्मत नहीं कर सकता कि मैं इन महिलाओं के कार्यों को पुनर्जीवित कर रहा हूं। वे राष्ट्रीय चेतना का एक हिस्सा हैं। उनके अभंग आज भी सैकड़ों घरों में प्रतिदिन गाए जातें हैं। मैंने केवल कुछ का अनुवाद किया है, क्योंकि वे बेहद सुंदर हैं। क्योंकि मैं यह करना चाहता था। यह करना मेरी ज़रूरत थी।