हर किसी के साथ अपने सुख बांटें, दुख नहीं

समस्या की चर्चा बार-बार करने से समाधान नहीं होता। अगर आप बार-बार एक ही परेशानी की बात करते हैं, तो वह खत्म नहीं होती।

हमारी ज़िंदगी में भले ही सबकुछ अच्छा चल रहा हो, लेकिन अक्सर हम अपनी समस्याओं जैसेकि स्वास्थ्य, रिश्ते, पैसा या काम की परेशानियाँ आदि की बातें ज़्यादा करते हैं। ज़्यादातर लोग अपने दुख और चिंताओं को ही चर्चा का विषय बनाते हैं। समस्या पर सलाह लेने के लिए बात करना एक बात है, लेकिन हर किसी से बार-बार उसे शेयर करना, सहानुभूति पाने के लिए बताना, हमारी मानसिक और आत्मिक ऊर्जा को कम कर देता है, और हमें समाधान से दूर भी कर सकता है। आइए इससे जुड़ी बातों को जानें:

अपनी बातों को परखें। सोचिए, क्या आप अपनी बातचीत में ज़्यादातर अच्छी बातों का ज़िक्र करते हैं या परेशानियों का? क्या आप चाहते हैं कि लोग आपकी परेशानी सुनकर आपको दया की नज़र से देखें? क्या आपको लगता है कि बार-बार दूसरों से समस्या साझा करने से मन हल्का हो जाएगा?

समस्या की चर्चा बार-बार करने से समाधान नहीं होता। अगर आप बार-बार एक ही परेशानी की बात करते हैं, तो वह खत्म नहीं होती। भले ही लोग आपके लिए अच्छा सोचते हों, लेकिन उनकी चिंता, डर या तनाव की ऊर्जा आप तक पहुँचती है, जिससे आपकी अंदरूनी शक्ति कम हो जाती है। इससे समाधान की ओर जाने के बजाय, आप और उलझ सकते हैं।

अपनी खुशियों की चर्चा करें। आपकी ज़िंदगी में बहुत कुछ अच्छा भी है – उन्हीं बातों को लोगों से साझा करें। अगर कोई आपकी किसी नकारात्मक बात की चर्चा करता है, तो विषय बदल दें या उस पर सकारात्मक दृष्टिकोण से बात करें। खुद के बारे में अच्छा सोचें और विश्वास रखें कि आप समस्या का हल ढूंढ लेंगे।

ज़रूरत हो तो सिर्फ सही व्यक्ति से बात करें। अगर वाकई किसी परेशानी पर बात करनी हो, तो ऐसे व्यक्ति से बात करें जो समाधान में आपकी मदद कर सके। जब आप कृतज्ञता, अच्छाई और सकारात्मकता के भाव से बात करते हैं, तो आप खुद को और सामने वाले को ऊर्जा देते हैं – और इससे जीवन की सबसे बड़ी मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं।