दुआएं और आशीर्वाद

दुआओं का खजाना

दुनिया में सबसे ज्यादा रफ्तार दुआओं को है जो जबान तक पहुँचने से पहले ईश्वर तक पहुंच जाती हैं।

आज के भौतिकवादी समय में मनुष्य अपने बहुमूल्य समय, शक्ति एवं धन को दुनियावी सुख के साधनों की प्राप्ति में लगा रहा है। वह धन-दौलत और नाम-मान-शान कमाने की अंधी दौड़ में शामिल है। इस प्रक्रिया में वह अपने पास बहुत कुछ जमा कर भी लेता है किंतु फिर भी उसके पास हल्कापन, खुशी, आनंद, प्रेम, शान्ति आदि नहीं है। स्थूल वस्तुएँ होते हुए भी दुआओं के सूक्ष्म खजाने से झोली खाली ही रह जाती है जिसकी तरफ उसका ध्यान तक नहीं है।

दुआएँ मांगी नही जाती अर्जित की जाती हैं। दुआयें सूक्ष्म होती है जिनको माँगा नहीं जा सकता अर्थात् जो माँगने से नहीं मिलती बल्कि अपने श्रेष्ठ चलन और कर्मों के द्वारा अर्जित की जाती हैं। वरदान, आशीर्वाद और दुआओं का उद्गम स्थल दिल है अर्थात् दुआयें दिल से निकलती हैं, जो किसी भी व्यक्ति के लिए कारगर सिद्ध होती हैं। कहा जाता है, दुआयें मात्र दुआयें नहीं हैं, समय पड़ने पर ये दवा का भी काम करती हैं। यही कारण है कि जब कोई रोगी बहुत गम्भीर हो जाता है तो कभी-कभी डॉक्टर लोग भी कह देते हैं कि अब दवा असर नहीं कर रही, दुआओं का ही भरोसा है। ऐसे में व्यक्ति दुआओं की ओर ताकता है किंतु दुआएँ कोई भौतिक चीजें तो नहीं हैं जो किसी से खरीदी जा सकें। इन्हें तो जीवनभर के पुरुषार्थ से कमाना होता है। किसी व्यक्ति, वस्तु, साधन आदि को हम तक पहुँचने में देर हो सकती है लेकिन दुआयें अगर हमारे खाते में जमा हैं तो तुरंत उनका लाभ मिल जाता है। कई बार किसी दुर्घटना में कुछ लोग काफी हद तक बच जाते है, तब कहा जाता है, दुआयें काम कर गई, जादू हो गया, नहीं तो बच पाना असम्भव था। दुआओं का असर जीवन के मुश्किल पलों को आसान-सहज-सरल कर देता है।

दुआयें लेने और देने से जीवन में खुशी आती है, सन्तुष्टता बढ़ती है, भरपूरता का अनुभव होता है। जीवन रूपी यात्रा सहज लगने लगती है और मेहनत से मुक्ति हो जाती है। साधारणतया जब कोई वस्तु किसी को दी जाती है तो वह देने वाले से, लेने वाले के पास पहुँच जाती है परन्तु दुआ दोनों के पास बनी रहती है; दोनों के सुख, शान्ति, प्रेम, खुशी को बढ़ा देती है, दोनों को लाभान्वित करती है।

दुआओं के खाते को बढ़ाने की विधि है श्रेष्ठ कर्मों की पूँजी जमा करना, सर्व के प्रति शुभभावना एवं शुभकामना रखना, निःस्वार्थ भाव से कर्म करना तथा दिल में सच्चाई-सफाई रखना। दुआयें सबको दें, दिल से दें, बिल्कुल कंजूसी न करें। गरीब-अमीर, बच्चा-बूढ़ा, अपना-पराया, रोगी-निरोगी कोई भी हो, कैसी भी स्थिति में हो, मन की दुआयें निरंतर दी जा सकती है, जरूरत है बड़े दिल की।

इस अमूल्य जीवन का कुछ समय दुआओं का दिव्य खजाना जमा करने में लगायें और खुशियों से भरपूर बन जाएँ। दुनिया में सबसे ज्यादा रफ्तार दुआओं को है जो जबान तक पहुँचने से पहले ईश्वर तक पहुंच जाती हैं।

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