दवाई लेते समय सही सोच क्रिएट करें

हमारे मन के वाइब्रेशन शरीर और दवाई दोनों तक पहुंचते हैं। इसलिए दवाई लेने से पहले सकारात्मक विचारों से उसे चार्ज करें जैसे कि – मैं ठीक हो रहा हूं, मैं स्वस्थ हूं।

जब हम कोई दवाई लेते हैं, तब हमारे वायब्रेशन भी शरीर तक पहुंचते हैं। इसलिए हमें दवाई खाते समय चिड़चिड़ेपन या फिर चिंता के विचार नहीं बनाने चाहिए। तो चेक करें कि जब हम शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, तब दवाई किस सोच के साथ लेते हैं? क्या हम ऐसा करते समय चिंता, डर या दर्द भरी सोच क्रिएट करते हैं?

याद रखें कि, दवाई बीमारी या परेशानी को ठीक करने का कार्य करती है, लेकिन हमारे विचार भी शरीर को ठीक करने में सहायता करते हैं। हमारा हर विचार शरीर तक पहुंचता है। इसलिए हमेशा सही और सकारात्मक सोच बनाएं।

बीमारी या दवाई के बारे में बार-बार बात करने से बचें। जितनी आवश्यकता हो, उतनी ही बात करें और सही व्यक्ति से ही करें। अगर दवाई ले रहे हैं, तब भी दूसरों से यह ना कहें – मैं कब से यह दवाई ले रहा हूं, पता नहीं कब ठीक होऊंगा, दवाई बहुत कड़वी है, इसके बहुत साइड इफेक्ट्स हैं। यह सब नकारात्मक ऊर्जाएं है, जो हमारी हीलिंग को धीमा कर देती हैं और मानसिक बोझ भी बढ़ाती हैं।

इस बात का विश्वास रखें कि आपकी दवाई आपको सिर्फ और सिर्फ स्वस्थ करेगी। जब हमें दवाई के साइड इफेक्ट्स की जानकारी नहीं होती, तब उसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं। लेकिन जब हमें इसकी थोड़ी सी भी जानकारी होती है और हम बार-बार उसके बारे में सोचते हैं और बात करते हैं, तब उसके साइड इफेक्ट्स और ज़्यादा हो जाते हैं।

हमारे मन के वाइब्रेशन शरीर और दवाई दोनों तक पहुंचते हैं। इसलिए दवाई लेने से पहले सकारात्मक विचारों से उसे चार्ज करें जैसे कि – मैं ठीक हो रहा हूं, मैं स्वस्थ हूं। अपने परिवार के लोगों को भी सिखाएं कि वे सिर्फ आपके ठीक होने के बारे में ही सोचें, बोलें और कल्पना करें, जिससे पूरे परिवार की पॉजिटिव सामूहिक वायब्रेशन आपकी हीलिंग को तेज़ करे। डॉक्टर और उनके द्वारा दी गई दवाई पर विश्वास रखें और यह संकल्प क्रिएट करें कि मैं बहुत जल्दी ठीक हो जाऊंगा।