बीता पल सपने की तरह है
हमारा हर बीता हुआ पल सपने की तरह ही तो है। जैसे नींद से जागने के बाद, देखे गए स्वप्न को हम याद कर सकते हैं और उसका वर्णन भी कर सकते हैं परन्तु उसमें बदलाव नहीं कर सकते। ठीक इसी तरह, जीवन में घटित अच्छी-बुरी घटनाएँ हम बार-बार याद कर सकते हैं, उनका वर्णन भी कर सकते हैं परन्तु चाहते हुए भी उनमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकते। ऐसा व्यक्ति जो अपनी जिंदगी के पिछले पन्ने उलटने में ही अपना वर्तमान खर्च कर रहा है, घाटे का शिकार रहता है।
छूटें अतीत की बेड़ियों से
भगवान कहते हैं, बीती को बिंदी लगा दो, उसे चितवो नहीं। अतीत की गलियों में भ्रमण करने की आदत आपको अमूल्य वर्तमान समय का लाभ नहीं लेने देगी। वर्तमान समय में मिल रही खुशियों और नए अनुभवों से भी यह आदत वंचित कर देगी, जिसका नकारात्मक प्रभाव आपके भविष्य पर भी पड़ेगा। वैसे भी कहा जाता है कि कल होता नहीं है। जो भी है बस यही एक पल है, जो हमारा अपना वर्तमान है। हाँ, पुराने अनुभवों से शिक्षा लेकर उनका इस्तेमाल वर्तमान को सुखद बनाने में किया जा सकता है।
पुरानी चीजों से लगाव
मनुष्य का स्वभाव ऐसा है कि उसे नवीनता पसन्द है, जिसके अभाव में वह जीवन में नीरसता अनुभव करता है। परन्तु, साथ ही उसे अपनी पुरानी वस्तुओं से भी बहुत लगाव होता है। फिर भी व्यर्थ तो व्यर्थ ही होता है। जिन पुरानी बातों, दुखद घटनाओं और यादों से हमें वर्तमान समय दुख, निराशा, आत्मग्लानि या इसी तरह के अन्य नकारात्मक भावों के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है, उनको बार-बार याद करना बुद्धिमानी नहीं मानी जा सकती।
बुद्धि रूपी फ्रिज
हम कितनी भी महंगी, ताजी और स्वादिष्ट सब्जी या फल फ्रिज में रख दें और समय रहते इस्तेमाल न करें तो ये सड़-गल जाएँगी। इनकी बदबू चारों ओर फैलेगी, इससे हमें तथा आसपास वालों को परेशानी होगी। हमारे बुद्धिरूपी फ्रिज में भी न जाने कितनी ही पुरानी सड़ी-गली बातें, यादें, दुखद घटनाएँ पड़ी हुई है जिनकी बदबू, अतीत के पट बार- बार खोलकर देखते रहने से हमें परेशान कर देती है। उन नकारात्मक भावों की दुर्गंध हमारे भाव-स्वभाव को दूषित करती है जिसका बुरा प्रभाव वर्तमान के संबंध-सम्पर्क वालों पर पड़ता है। यदि किसी के साथ हमारा पिछला अनुभव बुरा रहा हो तो वर्तमान समय में भी उस व्यक्ति से सामना होने पर हमारा व्यवहार उसी नकारात्मकता से युक्त होगा क्योंकि हमने अपने बुद्धि रूपी फ्रिज की सफाई की नहीं है।