दुनिया भर में मशहूर पुष्कर मेले का हिस्सा बनने के बारे में मैं बहुत पहले से सोच रही थी। वहां के मेले और पुष्कर में मौजूद भगवान ब्रह्मा के इकलौते मंदिर के दर्शन करने की इच्छा मेरे मन में भी थी। मैंने अपनी इच्छा अपने परिवार के सामने रखी और वो मान गये, फिर क्या था मैंने जल्दी से जाने की तैयारी की और पिछले साल हम सब पुष्कर मेले का हिस्सा बनने पुष्कर पहुंच गए।
पुष्कर भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले में स्थित एक नगर है, जिसे हिन्दुओं का मुख्य तीर्थ स्थल माना जाता है। हिन्दू धर्म में चार तीर्थ स्थल हैं और पांचवां पुष्कर को माना जाता है। कहा जाता है, कि चारों धाम की यात्रा के बाद पुष्कर आने से ही यात्रा संपन्न होती है। पुष्कर मेले की शुरुआत हर साल कार्तिक महीने की कार्तिक पूर्णिमा के दिन से होती है।
मैं मेले की शुरुआत बिल्कुल मिस नहीं करना चाहती थी, इसलिए हम मेले के पहले दिन सुबह ही अजमेर पहुंच गए। पुष्कर अजमेर शहर से 14 किमी दूर स्थित है। हमने वहां पहुंचने के लिए टैक्सी ली और दोपहर तक हम पुष्कर में थे। इसके बाद मेरी आंखों में पुष्कर नगर और वहां के मेले की खूबसूरती हमेशा के लिए बस गई। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से आप भी सैर कीजिए पुष्कर मेले की और जानिए इसकी खासियत के बारे में।
बहुत ही खूबसूरत है होता है पुष्कर मेला (Bahut hi khoobsurat hota hai pushkar mela)
पुष्कर में पुष्कर सरोवर है, जिसके चारों ओर कुल 52 घाट बने हुए हैं। ये 52 घाट अलग-अलग राजपरिवारों, पंडितों और समाजों ने बनवाए थे। मेले की शुरुआत शाम को पुष्कर सरोवर की आरती से हुई। चारों ओर पर्यटकों से भरा हुआ पुष्कर रात की रौशनी में दीयों से जगमगा रहा था। घाट पर लोग स्नान कर रहें थे, मान्यता है कि इस स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं। रौशनी से जगमग ब्रह्मा जी का मंदिर आरती और घंटियों की आवाज़ से गूंज रहा था।
मैदान में लगे मेले में, वहां के रहने वाले कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन और मनमोहक प्रस्तुतियां दे रहे थे। तरह-तरह के लोक व्यंजनों से भरी दुकानें, वहां के सांस्कृतिक लहंगा-चोली पहनी हुई महिलाएं और सिर पर पगड़ी बांधे हुए पुरूष बड़े आकर्षित लग रहे थे। दुकानों की रंगत बढ़ाती रेशमी सौलें, जिनको खरीदने के लिए लोगों का झुंड लगा हुआ था। सच में पुष्कर मेले की ये सुंदरता देखते ही बनती है। वहां का सब कुछ मनमोहक था।
ऐसे तो राजस्थान में काफी गर्मी पड़ती है, मगर नवम्बर की वो ठंडी शाम, पुष्कर मेले को और भी आनंदित बना रही थी। रंग-बिरंगे कपड़ों और गहनों से सजे ऊंट इधर से उधर घूम रहे थे। कुछ लोग ऊंट पर बैठकर उसकी सवारी का मजा ले रहे थे। हालांकि, मुझे और मेरे परिवार को ऊंट की सवारी करके उसपर अपना वजन डालना सही नहीं लगा, इसलिए हमने पैदल ही मेले के मज़े लिए। हमने दूर से ही ऊंट के साथ बहुत सारी तस्वीरें ज़रूर खींच लीं। अगले दिन हमने वहां रेत में भी खूब मस्ती की।
सच में राजस्थान का पुष्कर मेला अब भी भारत की पुरानी संस्कृति और धरोहर को खुद में समेटे हुए है और उसे साथ लेकर चल रहा है। घूमने और मौज-मस्ती के इरादे से अलग आप कहीं जाने का प्लान कर रहे हैं तो राजस्थान का पुष्कर मेला अच्छा विकल्प है। आइए अब पुष्कर मेले के वर्णन के साथ जानते हैं इसकी खसियत के बारे में।
पुष्कर मेले का वर्णन (Pushkar mele ka varnan)
पुष्कर मेले का वर्णन चंद शब्दों में कर पाना आसान नहीं है। इसका कारण है कि पुष्कर मेला 100 सालों से भी ज़्यादा पुराना मेला माना जाता है। इस मेले को ऊंट मेला, पशु मेला और कार्तिक मेला भी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर ये मेला छह या सात दिन तक चलता है। मेले का मुख्य आकर्षण ऊंट हैं, क्योंकि राजस्थान ऊंटों का शहर है। इस मेले में ऊंटों के मालिक उन्हें रंग-बिरंगे कपड़ों और गहनों से सजाकर मेले में प्रदर्शनी करने लाते हैं और ज़्यादा काम करने पर उन्हें पुरस्कार भी देते हैं।
पुष्कर मेले में ऊंटों की रेस, टीमों में रस्साकसी, और मूंछ प्रतियोगिता जैसे खेल भी होते हैं। इसके अलावा लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों का आयोजन भी किया जाता है। हमने भी इन कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लिया। यकीन मानिए जब आप इन कार्यक्रमों के दर्शक बनेंगे तो अपने पैरो को थिरकने से नहीं रोक पाएंगे।
वहां के रहने वाले लोग अपनी हाथों से बनाई गई रचनात्मकता चीज़ों को बेचते हैं- जैसे, हाथ से बुने कपड़े, चित्र कलाएं, मटके, सुराही और भी बहुत-सी साज-सज्जा की चीज़ें। पर्यटक इन्हें बहुत पसंद करते हैं और खरीदते हैं। मैंने भी याद के तौर पर बहुत-सी छोटी-छोटी वस्तुएं खरीदीं जो आज मेरे कमरे की शोभा बढ़ा रही हैं। नवंबर महीने की ठंडी रेत और रेगिस्तान में मौज-मस्ती करना भी सबको खूब लुभाता है। लोग पारस्परिक ऊंट की सवारी करके रेत का मजा ले रहे थे, पर हमने डिजर्ट बाइक पर राइड करके रेत में खूब मजे किए। पुष्कर मेले की भव्यता और सुंदरता बड़ी ही प्यारी होती है। सच में, भारतीय संस्कृति और कला का अनूठा संगम है पुष्कर मेला।
पुष्कर मेला 2023 कब है? (Pushkar Mela 2023 kab hai?)
पुष्कर मेले का आयोजन हिंदू कैलंडर के अनुसार हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है। इस साल 2023 में भी मेला 20 नवंबर यानी कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत से लेकर 27 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा।
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