रूठे को कैसे मनाएं

रोते हुए व्यक्ति को तस्सली देने के लिए क्या करें और क्या ना करें?

जब कोई हमारे सामने रो रहा होता है, तो हम यह नहीं समझ पाते कि ऐसी स्थिति में क्या करें? हमें रोने वाले से पूरी हमदर्दी है और हम उसके दर्द को कम भी करना चाहते हैं।

कल मैं अपनी एक दोस्त से बात कर रही थी। वो मुझे अपने करियर, परिवार और ज़िंदगी से जुड़ी परेशानियां बता रही थी। अपनी परेशानियों को बताते-बताते वो भावुक हो गई, और मेरे सामने रोने लगी। मुझे समझ नहीं आया कि उस वक्त क्या करूं? उसे कैसे चुप कराऊं या ऐसा क्या कहुं कि उसे दिलासा दे सकूं।

मेरी तरह आपके सामने भी ऐसी कोई न कोई स्थिति ज़रूर आई होगी।जब कोई हमारे सामने रो रहा होता है, तो हम यह नहीं समझ पाते कि ऐसी स्थिति में क्या करें? हमें रोने वाले से पूरी हमदर्दी है और हम उसके दर्द को कम भी करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में उसे दिलासा देना भी ज़रूरी हो जाता है, उसे रोता देख हमारा दिल भी रो रहा होता है, पर फिर भी हम कुछ ऐसा नहीं कर पाते कि उसे अच्छा लगे और वो चुप हो जाए। हम में से बहुत से लोगों को आज भी रोते हुए को दिलासा देना नहीं आता।

तो चलिए मैं आपको बताती हूं कि जब कोई हमारे सामने रो रहा हो तो हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। साथ ही सोलवेदा के साथ जानते हैं कि रोते हुए को कैसे मनाएं।

रूठे हुए को मनाना और दिलासा देना (Ruthe huye ko manana aur dilasa dena)

हम अक्सर अनजाने में दूसरों का दिल दुखा देते हैं। उनसे कुछ ऐसा कह देते हैं, या कुछ ऐसा व्यवहार कर देते हैं, जिससे उनका दिल पूरी तरह टूट जाता है। इसकी वजह से या तो वो लोग हमसे रूठ जाते हैं या रोने लगते हैं, और तब हमें नहीं पता होता कि उस रूठे हुए को कैसे मनाएं? पर क्या आप जानते हैं कि हमारा उन्हें मनानाऔर उनके टूटे दिल को सांत्वना देना बहुत ज़रूरी है। ऐसी स्थिति में उनके दिल को दिलासा देना बहुत ज़रूरी है।

कहते हैं कि अगर वक्त रहते घाव पर मरहम न लगाया जाए तो वो घाव नासूर यानी बहुत गहरा और बड़ा बन जाता है। दिल के घाव भी शरीर पर लगी चोट जैसे होते हैं, बल्कि वक्त पर इनपर दवाईलगाना और उस इंसान को दिलाना देना बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य (Mental wellbeing) के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए चलिए आगे जानते हैं कि जब भी कोई रोए या दुखी हो तो क्या करें और क्या न करें।

कोई रोए तो यूं मनाएं (Koi roye to yuh manayein)

रोते हुए व्यक्ति को चुप कराने या मनाने के लिए हमें कुछ तरीके अपना सकते हैं:

उनका साथ दें

उनका साथ देने का मतलब यह नहीं है कि आप भी उनके साथ रोने बैठ जाए। हां बहुत बार ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव में हमें रोते हुए व्यक्ति को देखकर रोना ज़रूर आता है, पर उस स्थिति में हमें खुद मजबूत रहकर, उन्हें दिलासा देने की ज़रूरत होती है। उन्हें बताएं कि आप उनके साथ हैं और वो अकेले नहीं हैं।

गलती है तो मान लें 

चाहे जान-बूझकर किसी का दिल दुखाया हो या अनजाने में, पर अगर आपकी बात से किसी का दिल दुखा है और वो रो रहा है, तो अपनी गलती मान लेना ही सही है। अपनी गलती का एहसास करें, उनसे माफी मांग लें।

सकारात्मक बातें करें 

रोते हुआ व्यक्ति इतना दुखी होता है कि उसे अपने आस-पास कुछ भी सकारात्मक नहीं दिखता। ऐसे हालातों में उस व्यक्ति को दिलासा देना चाहते हैं तो सकारात्मक बातें करें।

रोते हुए से यह कहने से बचें (Rote huye se ye kahne se bachein)

रोते हुए के सामने ये बातेंन करें:

सलाह न दें 

रोते वक्त व्यक्ति बहुत परेशान होता है। उसे सही-गलत कुछ भी समझ नहीं आता, क्योंकि उसका दिल पूरी तरह टूटा हुआ होता है। ऐसे में उससे तर्क-वितर्क और ज़िंदगी की सच्चाई दिखाने की बजाय दिलासा देना ज़रूरी होता है। इसलिए ऐसी स्थिति में कोई भी सलाह न दें।

मज़ाक न बनाए

कभी-कभी हम रोते हुए व्यक्ति को हंसाने के लिए उसका मज़ाक बनाने लगते हैं। ऐसा करने के पीछे भले ही हमारे इरादे सही हों, पर ऐसा करने से रोते हुए व्यक्ति का दिल टूट सकता है। हम उसे चुप कराने की बजाय और भी परेशान कर सकते हैं।बात चाहे कुछ भी हो मगर रोते हुए व्यक्ति का मज़ाक कभी न उड़ाएं।

उनकी बात अनसुनी न करें 

रोते वक्त व्यक्ति बहुत उदास होता है। उसे उस वक्त प्यार और अपनेपन की ज़रूरत होती है। अगर कोई हमारे सामने रो रहा है तो इसका मतलब है कि वो हमसे चाहता है कि हम उसे समझें, इसलिए जब भी रोते हुए कोई व्यक्ति आपसे कुछ कहें तो उसकी बातों पर गौर करें और उसे नजरंदाज न करें।

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